Ayushi Dabas IAS KBC Success Story: कई लोग होते हैं जो अपनी कमजोरी और परिस्थितियों के आगे घुटने टेक देते हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो हिम्मत से काम लेते हैं और अपने लिए एक मुकाम हासिल करते हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है आयुषी डबास (Ayushi Dabas IAS) की, जिनके आंखों की रोशन बचपन से ही कम थी और बाद में दिखना ही बंद हो गया. लेकिन उन्होंने अपनी दृष्टिहीनता को कमजोरी नहीं बनने दिया और आज वसंत विहार एसडीएम के पद पर कार्यरत हैं.
Ayushi Dabas IAS Preparation: ऑडियो नोट्स की मदद से की तैयारी
दिल्ली स्थित रानी खेड़ा की रहने वाली आयुषी को बचपन से ही कम दिखता था. वहीं बाद में चलकर उनकी दृष्टि और भी कमजोर हो गई. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. आयुषी की मां ने उन्हें पूरी तरह से सहयोग किया. वे आयुषी के लिए ब्रेल नोट्स वाली किताब लाकर देती थीं. वहीं बाद में सरकारी भर्ती प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए आयुषी की मां उनके लिए ब्रेल नोट्स का प्रबंध कराती थीं. साथ ही आयुषी ने ऑडियो रिकॉर्डिंग्स का सहारा लिया और जमकर तैयारी की.
Delhi University: दिल्ली यूनिवर्सिटी से हुई पढ़ाई
आयुषी की शुरुआती पढ़ाई रानी खेड़ा से हुई है. इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) के श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज से अपनी डिग्री हासिल की. ग्रेजुएशन की डिग्री के बाद उन्होंने IGNOU से इतिहास में पोस्टग्रेजुएट की पढ़ाई की.
Ayushi Dabas IAS Success Story: 4 प्रयास के बाद पाई सफलता
यूपीएससी सीएसई (UPSC CSE) परीक्षा पास करने से पहले आयुषी शिक्षक के रूप में कार्यरत थीं. उन्होंने अपने पांचवें प्रयास में वर्ष 2022 में UPSC में ऑल इंडिया 48वीं रैंक के साथ सफलता हासिल की. अभी वे SDM के पद पर कार्यरत हैं.
Ayushi Dabas IAS KBC: केबीसी में जीतने की खुशी
हाल ही में आयुषी ‘कौन बनेगा करोड़पति’ (Kaun Banega Crorepati) के सीजन 17 में देखी गईं. यहां उन्होंने 25 लाख रुपये की राशि से जुड़े सवाल का सही जवाब दिया और जीत हासिल की. वहीं इसके बाद उन्होंने 50 लाख रुपये के सवाल को नहीं चुना और वापसी कर ली. इस शो पर उन्होंने अपनी कहानी सुनाई, जिसके बाद शो के होस्ट और बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन ने उनकी प्रशंसा की और कहा कि ऐसे उदाहरण कम ही मिलते हैं.
प्रेरणा का संदेश
आयुषी की जीवन यात्रा ये बताती है कि सपने चाहे कितने भी बड़े हों, अगर हौसला मजबूत हो तो कोई बाधा रोड़ा नहीं बन सकती. उन्होंने दिखाया कि कठिनाइयां अनुभव की गिरफ्त में नहीं, बल्कि प्रेरणा की राह में आती हैं. उनका उदाहरण हम सभी को यह सिखाता है कि असमर्थता केवल उस समय होती है जब हम कोशिश करना छोड़ दें. लेकिन अगर दिल में चाह हो, और आत्मविश्वास हो, तो हर वो मंजिल संभव है जो दूर दिखती है.
यह भी पढ़ें- मजदूर की बेटी करेगी CISF की नौकरी, 21 वर्ष की खुशी ने हासिल की सफलता

