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मजदूर की बेटी करेगी CISF की नौकरी, 21 वर्ष की खुशी ने हासिल की सफलता

Khushi CISF Head Constable Success Story: चंडीगढ़ की रहने वाली खुशी ने CISF परीक्षा में सफलता हासिल की है. उनके पिता मजदूर हैं. उन्होंने कहा कि उनकी सफलता के पीछे माता-पिता और कोच की बड़ूी भूमिका रही है. खुशी स्कूल के दिनों से ही कई सारे खेल प्रतियोगिता में भाग लेती थीं और जीतती थीं. आइए जानते हैं उनकी कहानी.

Khushi CISF Head Constable Success Story: कोई भी राज्य हो हर जगह की बेटियां विभिन्न क्षेत्र में तमाम ऊंचाइयां हासिल करके अपने माता पिता के साथ साथ पूरे समाज को गौरवान्वित कर रही हैं. चंडीगढ़ की खुशी ने भी कुछ ऐसी ही उपलब्धि हासिल की कि उनकी चर्चा मीडिया तक हो गई. 21 वर्षीय खुशी ने अपनी हिम्मत का परिचय देते हुए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) भर्ती परीक्षा में सफलता हासिल कर ली. वे हेड कांस्टेबल के पद पर चुनी गई हैं.

परिवार और मोहल्ले में खुशी की लहर  

ये आपके हमारे लिए आम बात हो सकती है. लेकिन तंग गलियों और ऐसे जगह से आने वाली खुशी, जहां अवसर की कमी है, बड़ी उपलब्धि है. यह उपलब्धि न सिर्फ उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे मोहल्ले के लिए गर्व का क्षण है. CISF की नौकरी के लिए खुशी ने कई चरण की परीक्षा पास की, जिनमें फिजिकल टेस्ट, ट्रायल आदि शामिल हैं. खुशी के पिता मजदूरी करते हैं और उनकी मां गृहिणी हैं. 

शुरू से खेल कूद में थी रूचि 

खुशी के लिए ये यात्रा आसान नहीं थी. उनकी जिंदगी में टर्निंग पॉइंट तब आया जब वह नौवीं कक्षा में थीं और उनके स्कूल में ‘स्वयं सेल्फ-डिफेंस ट्रेनिंग प्रोग्राम’ की टीम आई. खुशी ने विभिन्न मीडिया को दिए इंटरव्यू में बताया कि वो स्कूल के दिनों में पढ़ने में कुछ खास अच्छी नहीं थी. ऐसे में वो स्पोर्ट्स में जरूर भाग लेती थीं. उन्हें पता था कि अगर आगे बढ़ना है तो पढ़ाई के साथ खेलकूद भी एक रास्ता भी हो सकता है. खुशी ने DAV कॉलेज, सेक्टर-10 से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है. 

माता पिता और कोच के कारण मिली सफलता 

खुशी अपनी सफलता का क्रेडिट अपने माता पिता और अपने ट्रेनर/कोच को देती हैं. उन्होंने कहा कि वो सुबह साइकल प्रैक्टिस पर जाती थीं और कई बार देर रात को घर आती थीं. लेकिन उनके माता-पिता उन्हें किसी बात के लिए रोकते टोकते नहीं थे. 

राष्ट्रीय खेल में जीत चुकी हैं मेडल 

खुशी ने ‘खेलो इंडिया’ और राष्ट्रीय खेलों में मेडल जीते हैं. इसके अलावा भी वे कई सारी प्रतियोगिता में भाग लेती थीं और जीतती थीं. खुशी बहुत कमजोर थीं और साथ ही अच्छा डाइट नहीं ले पाती थीं. ऐसे में उनके कोच उन्हें ऐसी प्रतियोगिता के लिए खेलने ले जाते थे, जिसमें जीतने के बाद घी आदि मिलता था.

पिता के सपने को जी रही हैं खुशी 

खुशी के पिता ने बेटी को आगे बढ़ाने के लिए दिन रात काम किया. वे मजदूरी करते हैं. वे कभी रेस्टलर बनना चाहते थे. लेकिन बेटी के लिए उन्होंने अपने सपने को त्याग दिया. खुशी अपने माता पिता को एक घर बनाकर देना चाहती हैं.

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Shambhavi Shivani
Shambhavi Shivani
शाम्भवी शिवानी पिछले 3 सालों से डिजिटल मीडिया के साथ जुड़ी हुई हैं. उन्होंने न्यूज़ हाट और राजस्थान पत्रिका जैसी संस्था के साथ काम किया है. अभी प्रभात खबर की डिजिटल टीम के साथ जुड़कर एजुकेशन बीट पर काम कर रही हैं. शाम्भवी यहां एग्जाम, नौकरी, सक्सेस स्टोरी की खबरें देखती हैं. इसके अलावा वे सिनेमा और साहित्य में भी रुचि रखती हैं.

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