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Success Story: स्कूल की घंटी नहीं, पंछियों की चहचहाहट बुलाती है पढ़ाई के लिए – क्या है अनिरवन गाचेर इस्कोले की अनूठी कहानी?

Success Story: नीम और आम के पेड़ों के नीचे शुरू हुआ स्कूल आज देशभर में चर्चा का विषय बन गया है, आइए जानते हैं क्या है इस स्कूल में खास.

Success Story: कहते हैं कि अगर आपके अंदर कुछ करने का जज्बा और इच्छाशक्ति हो तो आप कुछ भी कर सकते हैं. आज इस लेख में हम एक ऐसे सफल व्यक्ति के बारे में जानेंगे जिसने दर्शनशास्त्र से प्रेरित होकर एक अनोखा स्कूल खोला. पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के बीचोबीच, जहां आज बागडाबरा जंगल एक कहानी बयां करता है, एक अनोखे स्कूल के बारे में. अनिरवन गाचेर इस्कोले, या ‘ऐसा स्कूल जो कभी नहीं बुझता’, एक दृढ़ निश्चयी बंगाली साहित्य के प्रोफेसर अंगशुमान ठाकुर के दिमाग की उपज है, जिन्होंने आदिवासी बच्चों के लिए शिक्षा की खाई को पाटकर एक मिसाल कायम की है और इस स्कूल की स्थापना की है.

कक्षाएं नीम और आम के पेड़ों की छाया में आयोजित की जाती हैं

कोविड-19 महामारी ने कई पहली पीढ़ी के छात्रों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली से बाहर कर दिया, खासकर उन लोगों को जिनके पास ऑनलाइन संसाधनों तक पहुंच नहीं थी. उनकी दुर्दशा से प्रेरित होकर और दृढ़ संकल्प से प्रेरित होकर, अंगशुमन ने 2021 में ओपन-एयर स्कूल शुरू किया. कक्षाएं नीम और आम के पेड़ों की छाया में आयोजित की जाती हैं, जो प्रकृति के अनुभव का आनंद लेते हुए सीखने के लिए जुनून पैदा करती हैं.

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अंगशुमान ठाकुर के लिंक्डइन अकाउंट से ली गई तस्वीर

रवींद्रनाथ टैगोर के दर्शन से प्रेरित थे

रवींद्रनाथ टैगोर के समग्र शिक्षा के दर्शन से प्रेरित होकर, अंगशुमन प्रकृति के साथ गहरा संबंध विकसित करने के लिए ड्राइंग, क्ले मॉडलिंग और संगीत जैसी रचनात्मक गतिविधियों के साथ अकादमिक पाठों को जोड़ते हैं. उनकी अभिनव शिक्षण पद्धतियां पाठ्यपुस्तक के पाठों को पर्यावरण से जोड़ती हैं, जिससे सीखना दिलचस्प, व्यावहारिक और साथ ही बहुत शांतिपूर्ण हो जाता है.

केवल पांच छात्रों से शुरू हुआ यह स्कूल अब किंडरगार्टन से कक्षा 12 तक के 105 से अधिक बच्चों के लिए शिक्षा का स्वर्ग बन गया है. लोगों के दान और अंगशुमन की बचत से संचालित यह स्कूल प्रति बच्चा प्रति माह 300 रुपये की मामूली फीस पर चलता है.

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बच्चों में उद्यमिता के बीज बोना चाहते हैं

अंगशुमन इन बच्चों में उद्यमिता के बीज बोना चाहते हैं, जो आगे चलकर समुदाय तक पहुँचेंगे और उनकी आजीविका में सुधार करेंगे. अंगशुमन उनके सीखने को बढ़ाने के लिए एक पुस्तकालय और कंप्यूटर लैब के साथ एक पर्यावरण-अनुकूल परिसर बनाने का भी सपना देखते हैं.

अनिरवाण गचर इस्कूल केवल एक स्कूल नहीं है; यह शिक्षा और सामुदायिक भावना की शक्ति का एक प्रमाण है जो पुराने समय में अतीत की खुली प्रकृति के साथ थी. यह साबित करता है कि समर्पण और नवीन सोच के साथ, सबसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी शिक्षा फल-फूल सकती है.

Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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