Success Story: बिहार से उत्तर प्रदेश कैडर में तबादले की वजह से सुर्खियों में आईं IAS प्रतीक्षा सिंह की कहानी सिर्फ एक प्रशासनिक अधिकारी बनने की नहीं है. बल्कि यह जुनून, धैर्य और निरंतर प्रयास की मिसाल है. UPSC परीक्षा में 52वीं रैंक हासिल कर उन्होंने साबित कर दिया कि असफलताओं से सीखकर आगे बढ़ने वाले ही असली विजेता होते हैं.
प्रयागराज से प्रशासनिक सेवा तक का सफर
प्रतीक्षा सिंह का सफर प्रयागराज, उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ. उनका परिवार गाजियाबाद के साहिबाबाद में रहता है. उनके पिता शिक्षक हैं, मां गृहिणी और भाई सॉफ्टवेयर इंजीनियर. एक साधारण परिवार में जन्मी प्रतीक्षा के सपने साधारण नहीं थे. वह प्रशासनिक सेवा में जाना चाहती थीं.
2019 में अपनी मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद, उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की तैयारी शुरू की. उनका पहला प्रयास 2020 में था, जिसमें उन्होंने प्रीलिम्स और मेंस तो पास कर लिया, लेकिन इंटरव्यू में सफल नहीं हो पाईं. 2021 में, वह प्रीलिम्स भी क्लियर नहीं कर सकीं, लेकिन इसी साल उन्होंने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की PCS परीक्षा पास कर ली और 7वीं रैंक के साथ डिप्टी कलेक्टर बनीं.
संघर्ष और सफलता: SDM से IAS बनने तक
डिप्टी कलेक्टर बनने के बाद भी प्रतीक्षा का लक्ष्य बड़ा था. उने ऊपर IAS बनने का भूत सवार था. एसडीएम की जिम्मेदारियों के साथ, उन्होंने अपनी UPSC की तैयारी जारी रखी. 2022 में, उनके प्रयासों ने रंग दिखाया और उन्होंने 52वीं रैंक के साथ UPSC परीक्षा पास कर ली.
15 अप्रैल 2024 को उनकी पहली नियुक्ति बिहार के बक्सर जिले में प्रोबेशनरी ऑफिसर और SDM के रूप में हुई. हालांकि, उन्होंने बाद में उत्तर प्रदेश कैडर में स्थानांतरण की मांग की, जो स्वीकार कर ली गई. इसके पीछे एक बड़ी वजह यह भी थी कि उनके पति उत्तर प्रदेश कैडर में IPS हैं.
प्रतीक्षा की कहानी क्यों खास है?
- लगातार प्रयास: दो बार UPSC में असफलता के बावजूद हार नहीं मानी.
- स्मार्ट स्ट्रेटजी: PCS की सफलता से आत्मविश्वास बढ़ाया और UPSC की तैयारी जारी रखी.
- प्रबंधन कला: नौकरी के साथ पढ़ाई में संतुलन बनाना सीखा.
- सपनों से समझौता नहीं: एक बार सरकारी नौकरी मिलने के बाद भी बड़ा लक्ष्य तय किया.
प्रेरणा बन रही हैं प्रतीक्षा सिंह
IAS प्रतीक्षा सिंह की यह यात्रा हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो असफलताओं से घबराकर अपने सपनों को छोड़ने की सोचते हैं. उनकी कहानी हमें सिखाती है कि मेहनत और लगन से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. अगर आप UPSC या किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो याद रखें असफलता अंत नहीं, एक नया सबक है. प्रतीक्षा की तरह अगर आप भी धैर्य और दृढ़ निश्चय बनाए रखते हैं, तो सफलता निश्चित है.