Which city is called Paris of India in Hindi: भारत में कई शहर अपनी ऐतिहासिक धरोहर, प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाने जाते हैं. इन्हीं में से एक शहर है जिसे “भारत का पेरिस” (Paris of India) कहा जाता है. यह शहर अपनी खूबसूरती, कला और शैली के कारण खूब प्रसिद्धि पाता है. इस शहर के इतिहास और प्रसिद्ध स्थलों से जुड़े जीके के प्रश्न और उत्तर परीक्षाओं और इंटरव्यू तक घूमते हैं. यहां भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर से लोग घूमने पहुंचते हैं. अगर आप भी इस शहर के बारे में जानना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक पढ़ें.
किसे “भारत का पेरिस” कहा जाता है? (Which city is known as Paris of India)
दुनिया में पेरिस को खूबसूरती के लिए जाना जाता है लेकिन भारत में भी एक शहर है जिसे भारत का पेरिस कहा जाता है. राजस्थान की राजधानी जयपुर को भारत का पेरिस कहा जाता है. इस शहर को राजा और महाराजाओं का समृद्ध और गौरवशाली इतिहास के लिए भी जाना जाता है.
Which city is called Paris of India: क्या है दूसरा नाम?
जयपुर न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी अपनी शाही संस्कृति और खूबसूरती के लिए जाना जाता है. यही वजह है कि इसे “Paris of India” की उपाधि मिली है. इसे गुलाबी नगरी भी कहा जाता है.
- UNESCO दर्जा: वर्ल्ड हेरिटेज सिटी (2019)
- प्रसिद्ध स्थल: हवा महल, आमेर किला, जंतर मंतर, सिटी पैलेस
- प्रसिद्ध कला: ब्लू पॉटरी, बंधेज, लाख की चूड़ियां, राजस्थानी आभूषण
Which city is called Paris of India? ऐसा है इतिहास और पहचान
pinkcity.jaipurmcheritage.org और UNESCO World Heritage List के मुताबिक, भारत के सबसे अच्छे योजनाबद्ध शहरों में से एक जयपुर, राजस्थान की राजधानी है. इसकी खूबसूरत वास्तुकला, टाउन प्लानिंग, कला और शिल्प, संस्कृति और पर्यटन इसे भारत के अन्य शहरी क्षेत्रों से खास बनाते हैं. राजधानी होने के साथ-साथ यह गोल्डन ट्रायंगल (दिल्ली-आगरा-जयपुर) का महत्वपूर्ण हिस्सा है और राज्य का सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक केंद्र माना जाता है. जयपुर 18वीं सदी के भारत की खगोल विज्ञान, जीवंत परंपराओं और दूरदर्शी नगर नियोजन का अनोखा उदाहरण है.

आमेर से जयपुर तक का सफर
1727 तक कछवाहा वंश की राजधानी आमेर थी. लेकिन 1727 में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने अपनी नई राजधानी जयपुर (जय नगर) की स्थापना की, जो आमेर से लगभग नौ किलोमीटर दक्षिण में स्थित है. जयपुर का परकोटे वाला शहर 18वीं सदी में एक ही चरण में विकसित किया गया था. इसकी योजना वास्तुशास्त्र के “प्रस्तार” मॉडल से प्रेरित थी. महाराजा जय सिंह द्वितीय, जो ज्योतिष, खगोल और वास्तुशास्त्र के विद्वान थे, ने नगर योजनाकार विद्याधर भट्टाचार्य की मदद से 1727 से 1731 ईस्वी तक महज चार साल में यह शहर बसाया. साथ ही, उन्होंने व्यापारियों और कारीगरों को विशेष आमंत्रण देकर यहां बसने के लिए प्रोत्साहित किया.
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