Viral Post: पारिवारिक समारोह आमतौर पर हंसी-मजाक, स्वादिष्ट भोजन और पुरानी यादों को ताजा करने के लिए होते हैं. लेकिन कभी-कभी इन मौकों पर कुछ ऐसे सवाल भी पूछ लिये जाते हैं, जो इंसान को असहज कर देते हैं. हाल ही में दिल्ली के एक युवक के रेडिट पोस्ट ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया, जब उसने बताया कि किस तरह उसके परिवार के लोग एक साधारण जन्मदिन की पार्टी में उसकी सैलरी के पीछे पड़ गए. खुन्नस में बंदे ने इंटरनेट प्लेटफॉर्म रेडिट पर एक पोस्ट डाला. अब यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तहलका मचा रहा है. यह मामला दिल्ली के सूरज विहार का बताया जा रहा है, जहां बंदा अपने एक चचेरे भाई के बेटे के दूसरे जन्मदिन की पार्टी में शामिल होने गया था.
जन्मदिन पार्टी में शुरू हुई वेतन की चर्चा
रेडिट यूजर इस बंदे ने अपनी पहचान गुप्त रखी. वह सूरज विहार में अपने चचेरे भाई के बेटे के दूसरे बर्थडे पार्टी में शामिल हुआ. पार्टी माहौल बिल्कुल सामान्य था. परिवार के लोग आपस में बातचीत करते हुए खाना-पीना कर रहे थे. लेकिन, जल्द ही माहौल बदल गया. बधाई देने के कुछ ही मिनटों बाद उसके एक चाचा ने मुस्कराते हुए सवाल पूछ लिया, “तो बेटा, आजकल कितना कमा लेते हो?” युवक ने पहले तो बात टालने की कोशिश करते कहते हुए कि, “बस पेट पालने तक हो जाता है चाचा.” मगर चाचा के लगातार सवालों और मजाक में जिद करने के बाद उसने बता दिया कि उसकी सैलरी करीब 60 लाख रुपये सालाना है. यही जवाब ने पार्टी का मूड बदल दिया.
मिठाई के रस में घुल गई खटास
शुरुआत में रिश्तेदारों ने उसे बधाई दी, मिठाई खिलाई और गर्व जताया. लेकिन जल्द ही माहौल बदल गया. एक के बाद एक सवाल आने लगे. किसी ने पूछा कि वह कितना बचाता है, कोई बोला कि पैसे कहां निवेश करता है. एक रिश्तेदार ने यहां तक पूछ लिया, “तुम्हारे पास अपना फ्लैट है या किराए पर रहते हो?” इतने में अचानक एक चाचा ने शादी का मुद्दा उठा दिया. बोले, “बेटा, एक लड़की है, बहुत अच्छी है. शादी का सोचा है क्या?” युवक को हैरानी हुई कि एक बच्चे की बर्थडे पार्टी इतनी जल्दी उसकी आर्थिक समीक्षा और संभावित शादी की बातचीत में कैसे बदल गई.
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भारतीय परिवारों में निजी बातों पर खुलापन
युवक ने अपने पोस्ट में लिखा कि उसे नहीं लगता कि रिश्तेदारों का इरादा बुरा था, बल्कि उनके लिए यह दिलचस्पी और गर्व जताने का तरीका था. भारत में कई परिवारों में वेतन, निवेश और शादी जैसे विषय सामान्य बातचीत का हिस्सा होते हैं. ऐसे में इन सवालों से बचना कभी-कभी असभ्यता समझी जाती है. दरअसल, भारतीय संस्कृति में सामूहिकता की भावना इतनी गहरी है कि व्यक्तिगत सीमाएं और पारिवारिक जिज्ञासा के बीच की लाइन अक्सर धुंधली हो जाती है. परिवार के बुजुर्ग यह मानते हैं कि बच्चे की सफलता, शादी या कमाई में उनकी भूमिका या रुचि स्वाभाविक है.
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