Trump Tariff: भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब शायद पलटी मारने वाले हैं. इसका कारण यह है कि उनकी ओर से भारत पर 50% तक भारी टैरिफ लगाना अमेरिका को भारी पड़ने लगा है. इससे न केवल भारत के साथ अमेरिका के दो दशक से अधिक समय के संबंध में खटास पैदा गई, बल्कि उसे आर्थिक नुकसान होने की भी आशंका है. अमेरिका में पैदा होने रोजगार संकट और आने वाली मंदी के खतरे को भांपते हुए खुद उनके देश के राजनेता और अर्थशास्त्रियों ने ट्रंप की नीतियों की आलोचना करना शुरू कर दिया. इसी का नतीजा है कि डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ के कशीदे गढ़ना शुरू कर दिया है. हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी ने भी उनकी ओर से एक कदम बढ़ाने के बाद सौहार्दपूर्ण जवाब दिया है.
ट्रंप ने पीएम मोदी को बताया दोस्त
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-अमेरिका संबंधों पर कई महत्वपूर्ण बयान दिए. अपने बयानों में उन्होंने कहा, “मैं मोदी के साथ हमेशा मित्रवत रहूंगा, वह एक महान प्रधानमंत्री हैं.” उन्होंने कहा, “भारत और अमेरिका के बीच एक विशेष संबंध है. इसमें चिंता की कोई बात नहीं है.” उनसे सोशल मीडिया मंच ट्रुथ पर “भारत को खोने” संबंधी पोस्ट के बारे में सवाल पूछा गया था. उन्होंने ट्रुथ पर लिखा था, “मुझे नहीं लगता कि हमारे बीच कोई विशेष संबंध है.” उन्होंने कहा, “जैसा कि आप जानते हैं, मेरी (भारतीय प्रधानमंत्री) मोदी के साथ बहुत अच्छी बनती है. वह कुछ महीने पहले यहां आए थे, हम रोज गार्डन गए थे.”
पीएम मोदी ने की ट्रंप की सराहना
डोनाल्ड ट्रंप का बयान आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया मंच एक्स (पुराना ट्विटर) पर पोस्ट करके उनकी सराहना की. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पोस्ट में लिखा, ”राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं और हमारे संबंधों के सकारात्मक मूल्यांकन की हम तहे दिल से सराहना करते हैं और उनका पूर्ण समर्थन करते हैं.” उन्होंने लिखा कि भारत और अमेरिका के बीच एक अत्यंत सकारात्मक और दूरदर्शी व्यापक एवं वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है.
सीईए नागेश्वरन ने पहले ही दे दिया था संकेत
डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत और प्रधानमंत्री मोदी को लेकर बयान आने से पहले ही मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने अमेरिकी राष्ट्रपति के पलटी मारने के संकेत दे दिए थे. इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में सीईए अनंत नागेश्वरन ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारतीय वस्तुओं पर 50% टैरिफ लगाने का फैसला अल्पकालिक होगा, क्योंकि दोनों देशों के बीच “समग्र संबंधों के लिहाज से मौजूदा रुख दीर्घकालिक रूप से सकारात्मक नहीं होगा”.
25% अतिरिक्त टैरिफ कारोबार करना चुनौती
सीईए अनंत नागेश्वरन ने यह भी चेतावनी दी कि रूसी तेल की खरीद पर लगाया गया 25% टैरिफ कारोबार को बेहद चुनौतीपूर्ण बना देगा और इस कदम के प्रतिकूल प्रभाव वित्तीय वर्ष की दूसरी और तीसरी तिमाही में महसूस किए जाने की संभावना है. उन्होंने चिंता व्यक्त की कि अगर स्थिति नहीं बदली, तो टैरिफ का असर अगले वित्तीय वर्ष तक भी जारी रह सकता है.
ट्रंप ने रूसी तेल खरीद के नाम पर बढ़ाया टैरिफ
सीईए की यह टिप्पणी भारत और अमेरिका के बीच भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने को लेकर चल रहे तनाव के बीच आई. अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से 27 अगस्त को रूसी तेल की खरीद पर भारत पर 25% टैरिफ लगाया गया था. यह उस 25% शुल्क के अतिरिक्त था, जो 7 अगस्त को भारत और 70 अन्य देशों पर लागू हुआ था. वाशिंगटन की ओर से रूसी तेल आयात के लिए लगातार नई दिल्ली को जिम्मेदार ठहरा रहा है.
तियानजिन से भारत ने दी कड़ी चेतावनी
27 अगस्त से रूसी तेल खरीद के नाम पर अमेरिका की ओर से 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने के एक सप्ताह के अंदर भारत ने चीन के तियानजिन शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में अपनी मंशा जाहिर कर दी थी. जापान की यात्रा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त को तियानजिन शहर पहुंचे. इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ खुलकर बातचीत की. प्रधानमंत्री मोदी, पुतिन और जिनपिंग हंसते-मुस्कुराते मित्रवत नजर आए. यह दृश्य केवल औपचारिकता नहीं था, बल्कि संदेश था कि भारत अमेरिकी दबाव से विचलित नहीं होगा. वाशिंगटन ने इसे गंभीरता से लिया, क्योंकि पिछले दो दशकों में भारत की विदेश नीति अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ अधिक निकट हुई थी. एससीओ के मंच से रूस और चीन के साथ भारत की गर्मजोशी ने केवल अमेरिका के बाहर कूटनीति का ध्रुवीकरण था, बल्कि ट्रंप प्रशासन के लिए एक कड़ी चेतावनी भी थी.
इसे भी पढ़ें: Indian Railway: दिवाली-छठ पर बिहार-झारखंड के लिए स्पेशल ट्रेन चलाएगा रेलवे, जानें कैसे होगी बुकिंग
ट्रंप की पलटी और भारत की कूटनीति का संदेश
अब जबकि पिछले एक सप्ताह के दौरान भारत ने टैरिफ बढ़ाने के एवज में वैश्विक कूटनीतिक मंचों से अमेरिका को कड़ी चेतावनी दी, तो डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसले पर दबाव बढ़ने लगा और उसके बाद उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ की. यह इस बात का संकेत है कि अमेरिका भारत को खोने का जोखिम नहीं उठा सकता. सीईए नागेश्वरन पहले ही इशारा कर चुके थे कि ऐसे निर्णय अल्पकालिक होंगे.। वहीं, तियानजिन में रूस और चीन संग भारत की मित्रवत तस्वीर ने स्पष्ट कर दिया कि भारत अमेरिकी दबाव में नहीं झुकेगा. नतीजा यह निकला कि ट्रंप प्रशासन को अब रिश्तों में संतुलन और कूटनीति की मजबूरी समझनी पड़ रही है.
इसे भी पढ़ें: ट्रंप परिवार का क्या है पाकिस्तान कनेक्शन, जो राष्ट्रपति ने भारत के साथ तोड़ा संबंध?
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

