21.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

‘ट्रंप की धमकी और धौंस के आगे झुकने की जरूरत नहीं, व्यापार अब बन गया हथियार’

Trump Tariff: अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाए जाने से वैश्विक व्यापार में हलचल मच गई है. मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने ट्रंप की धमकी और धौंस के आगे न झुकने का आह्वान किया है. वहीं, पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने चेताया कि व्यापार, निवेश और वित्त अब हथियार बन चुके हैं. दोनों विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि भारत को आत्मनिर्भरता, नए बाजारों की तलाश और बहुआयामी रणनीति के जरिए इस संकट का सामना करना होगा.

Trump Tariff: अमेरिका की ओर से भारत पर 50% रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए जाने और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से बार-बार दी जा रही धमकी के बीच ऑटो इंडस्ट्री की प्रमुख कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आरसी भार्गव और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के बयान सामने आए हैं. अमेरिका के भारी टैरिफ की वजह से इस समय वैश्विक अर्थव्यवस्था अनिश्चितताओं के दौर से गुजर रही है. अंतरराष्ट्रीय राजनीति में व्यापार को अब केवल लेन-देन का जरिया नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली हथियार बना दिया गया है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल के दिनों में जिस तरह से अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए टैरिफ का इस्तेमाल किया है, उसने न केवल वैश्विक व्यापार के समीकरण बदल दिए हैं, बल्कि साझेदार देशों के लिए नई चुनौतियां भी खड़ी कर दी हैं.

बुधवार को आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अपने एक बयान में कहा कि व्यापार अब हथियार बन गया है. वहीं, गुरुवार को मारुति के चेयरमैन आरसी भार्गव ने डोनाल्ड ट्रंप की धमकी और धौंस के आगे नहीं झुकने और उसका डटकर मुकाबला करने का सुझाव दिया है. दोनों ने अलग-अलग दृष्टिकोण से यह चेतावनी दी है कि भारत को अमेरिकी धौंस-धमकी के आगे झुकने के बजाय आत्मनिर्भर और बहुआयामी रणनीति अपनानी होगी.

ट्रंप की धमकी-धौंस के आगे न झुकें: आरसी भार्गव

मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने अपनी कंपनी की 44वीं वार्षिक आम बैठक में यह स्पष्ट कहा कि भारत को अमेरिकी टैरिफ से डरने या झुकने की जरूरत नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीयों को अपनी गरिमा और सम्मान बनाए रखते हुए एकजुट होकर इसका सामना करना होगा. उन्होंने कहा कि अमेरिकी शुल्क केवल आर्थिक बोझ नहीं है, बल्कि यह वैश्विक व्यापार व्यवस्था को हिला देने वाला कदम है. झींगा, परिधान, हीरा, चमड़ा और रत्न-ज्वेलरी जैसे लेबर-इंटेंसिव सेक्टर पर इसका सीधा असर होगा. इन क्षेत्रों में करोड़ों लोग रोजगार पाते हैं और भारी शुल्क से उनकी आजीविका खतरे में पड़ सकती है. भार्गव ने कहा कि यह केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राष्ट्र की अस्मिता और आत्मसम्मान का भी प्रश्न है. उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की धमकी के आगे झुकना भारत जैसे बड़े और तेजी से उभरते राष्ट्र के लिए उचित नहीं होगा.

अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक अनिश्चितता

आरसी भार्गव ने अमेरिकी टैरिफ को वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता और अस्थिरता का कारक बताया. उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने देशों को अपनी परंपरागत नीतियों और रिश्तों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया है. कूटनीति में टैरिफ को व्यक्तिगत हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की मिसाल पहली बार देखने को मिल रही है. अमेरिका ने केवल भारत ही नहीं, बल्कि चीन और यूरोप के साथ भी इस तरह के टकराव पैदा किए हैं. लेकिन, भारत के मामले में यह ज्यादा गंभीर इसलिए है, क्योंकि यहां निर्यात-आधारित श्रम क्षेत्रों में रोजगार की संख्या बहुत अधिक है.

जीएसटी सुधार भारत को उम्मीद

मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आरसी भार्गव ने अपने संबोधन में अमेरिकी टैरिफ से अलग भारत सरकार के जीएसटी सुधार पर भी टिप्पणी की. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तावित जीएसटी दरों के सरलीकरण को एक बड़ा कदम बताया. उन्हें इस बात की उम्मीद है कि छोटी कारों पर जीएसटी को 28% से घटाकर 18% किया जाएगा, जिससे आम उपभोक्ताओं और उद्योग दोनों को राहत मिलेगी. उन्होंने इसे सकारात्मक संकेत माना कि सरकार ने यह समझा है कि बड़ी संख्या में भारतीय उपभोक्ता बाजार के निचले स्तर पर आते हैं और उनकी क्रय शक्ति को ध्यान में रखकर टैक्स स्लैब को आसान बनाना होगा.

व्यापार, निवेश और वित्त सब बन गए हथियार: रघुराम राजन

आरसी भार्गव के बयानों से पहले आरबीआई के पूर्व गवर्नर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यात अर्थशास्त्री डॉ रघुराम राजन ने भी अमेरिकी टैरिफ नीति पर गंभीर चिंता जताई. उन्होंने इसे भारत के लिए एक स्पष्ट चेतावनी करार दिया. उन्होंने कहा कि अमेरिका का यह कदम दिखाता है कि आज की दुनिया में व्यापार, निवेश और वित्त इन तीनों को हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. भारत को इस हकीकत को समझते हुए अपने कदम सावधानी से उठाने होंगे.

एक देश पर निर्भरता कम करने की जरूरत

रघुराम राजन ने यह साफ कहा कि भारत को अपनी आर्थिक और व्यापारिक रणनीति को विविधता आधारित बनाना होगा. केवल अमेरिका या किसी एक देश पर निर्भरता भविष्य में और बड़े जोखिम पैदा कर सकती है. उन्होंने कहा कि भारत को यूरोप, एशिया और अफ्रीका जैसे नए बाजारों पर ध्यान देना चाहिए और साथ ही संरचनात्मक सुधारों के जरिए अपनी घरेलू प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करना चाहिए. इससे भारत न केवल बाहरी दबावों से बच सकेगा, बल्कि युवाओं के लिए आवश्यक 8-8.5% की विकास दर भी हासिल कर सकेगा.

रूसी तेल आयात पर दोबारा विचार करने की जरूरत

रघुराम राजन ने ट्रंप प्रशासन की ओर से भारतीय निर्यात पर लगाए गए 50% शुल्क और 25% अतिरिक्त जुर्माने की पृष्ठभूमि में रूसी तेल आयात नीति का जिक्र किया. उन्होंने सवाल उठाया कि रूस से सस्ता तेल खरीदकर क्या भारत को वाकई उतना फायदा हो रहा है, जितना सोचा गया था? उनका तर्क है कि जहां रिफाइनरी कंपनियां इससे अधिक लाभ कमा रही हैं, वहीं निर्यातक इन टैरिफ के जरिए इसकी कीमत चुका रहे हैं. अगर यह संतुलन भारत के हित में नहीं है, तो सरकार को इस नीति पर फिर से विचार करना चाहिए.

छोटे निर्यातकों पर गहरा असर

रघुराम राजन ने चिंता जताई कि अमेरिकी शुल्क का सबसे ज्यादा असर झींगा किसानों, परिधान और कपड़ा उद्योग पर पड़ेगा. यह सभी सेक्टर पहले से ही वैश्विक प्रतिस्पर्धा से जूझ रहे हैं और अब उन्हें अतिरिक्त टैक्स के बोझ का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि यह केवल भारतीय निर्यातकों के लिए ही नुकसानदेह नहीं है, बल्कि अमेरिकी उपभोक्ता भी इससे प्रभावित होंगे, क्योंकि उन्हें अब वही उत्पाद 50% महंगे दामों पर खरीदने होंगे.

इसे भी पढ़ें: मिलिए रांची की रोमिता मजूमदार से, जिन्होंने खड़ी कर दी करोड़ों की स्किनकेयर कंपनी

ट्रंप की नीतियों के पीछे का क्या है तर्क

रघुराम राजन ने ट्रंप की टैरिफ नीतियों के पीछे तीन मुख्य कारण बताए. इसमें व्यापार घाटा, टैरिफ से राजस्व की आमदनी और विदेश नीति को साधना है. अमेरिका में यह मान्यता है कि व्यापार घाटा होने का मतलब है कि दूसरा देश उनका शोषण कर रहा है. इसके साथ ही, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यह विश्वास है कि टैरिफ से आसानी से राजस्व प्राप्त होता है और इसका बोझ विदेशी कंपनियों पर पड़ता है. इसीलिए, डोनाल्ड ट्रंप वैश्विक स्तर पर शक्ति संतुलन बनाने के लिए टैरिफ को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें: अमेरिका में किस भाव बिक रहा भारत का झींगा, पढ़ें देसी-विदेशी मीडिया की रिपोर्ट

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel