Success Story: क्या आप सोच सकते हैं कि झारखंड की राजधानी रांची जैसे छोटे शहर में पली-बढ़ी कोई लड़की महज कुछ ही सालों में करोड़ों की कंपनी खड़ी कर सकती है. आप ये कहेंगे कि आप ये क्या बकवास कर रहे हैं? लेकिन, यह सच्चाई है. रांची जैसे छोटे शहर में जन्मीं रोमिता मजूमदार हमेशा महत्वाकांक्षी रही हैं. सीमित संसाधनों के बावजूद उनके माता-पिता ने शिक्षा को प्राथमिकता दी. इसी का नतीजा रहा कि रोमिता ने अपनी पढ़ाई के लिए बड़े लक्ष्य तय किए और अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, लॉस एंजिल्स (यूसीएलए) तक पहुंचीं. आज उन्होंने अपनी मेहनत के बल पर करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी.
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया ने दिलाई पहचान
फाउंडर थिसिस डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया का अनुभव रोमिता मजूमदार के लिए निर्णायक साबित हुआ. विविधता और प्रतिस्पर्धा ने उन्हें सिखाया कि जीवन की सीमाएं केवल मानसिकता से तय होती हैं. माता-पिता द्वारा की गई शिक्षा में भारी निवेश को उन्होंने रिटर्न ऑन एड स्पेंड का नाम दिया. उनकी पहली प्राथमिकता थी कि वे इसे जल्दी से जल्दी वापस करें. यही सोच उन्हें उच्च-वित्तीय करियर की ओर ले गई और उन्होंने निवेश बैंकिंग को चुना.
वॉल स्ट्रीट का अनुभव आया काम
रोमिता मजूमदार ने अपने करियर की शुरुआत बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच से की. शुरुआती दिनों में तकनीकी बैंकिंग से जुड़ीं, लेकिन जल्द ही उपभोक्ता तकनीक उनकी रुचि का केंद्र बन गई. एयर बीएनबी, उबर और पिंटरेस्ट जैसी कंपनियों के साथ काम करना उनके लिए प्रेरणादायक रहा. वे स्वयं इन सेवाओं की यूजर थीं, जिससे पेशेवर समझ व्यक्तिगत अनुभव से गहराती गई.
भारत वापसी और बाजार की समझ
साल 2018 में भारत लौटने के बाद उन्होंने स्विगी और ज़ूमकार जैसी कंपनियों के साथ सौदे किए. इस अनुभव ने उन्हें सिखाया कि भारत का बाजार अमेरिकी बाजार से अलग कैसे हैं. यहां क्षेत्रीय विविधताएं गहरी हैं और उपभोक्ता व्यवहार हर राज्य में बदलता है.
ए91 पार्टनर्स से जुड़कर ग्रोथ इक्विटी की ली सीख
रिपोर्ट में कहा गया है कि रोमिता मजूमदार ने ए91 पार्टनर्स से जुड़कर ग्रोथ इक्विटी कंपनियों में निवेश का अनुभव लिया. यहां उन्होंने उन स्टार्टअप्स का अध्ययन किया, जो यूनिट इकॉनॉमिक्स सिद्ध कर चुके थे और अब हाइपर-स्केलिंग की ओर बढ़ रहे थे. इस दौरान उन्हें यह एहसास हुआ कि वे केवल निवेशक नहीं, बल्कि एक दिन खुद संस्थापक भी बनना चाहती हैं.
रोमिता मजूमदार का लक्ष्य
रोमिता का लक्ष्य स्पष्ट था कि एक ऐसी कंपनी बनाना, जो 1,000 करोड़ रुपये वैल्यूएशन और 20% ईबीआईटीडीए हासिल करे. इसके लिए उन्होंने ऐसा सेक्टर चुना, जहां मुनाफा अधिक हो, तेजी से विकास की संभावना हो और जहां वे खुद एक पावर यूजर हों. यहीं से उन्होंने स्किनकेयर और ब्यूटी एंड पर्सनल केयर (बीपीसी) क्षेत्र में कदम रखा और फॉक्सटेल की स्थापना की.
गहन रिसर्च और उपभोक्ता अध्ययन
फॉक्सटेल की स्थापना से पहले रोमिता ने व्यापक शोध किया. उन्होंने 100 से अण्रिक स्किनकेयर ब्रांड्स का अध्ययन किया. भारत के कम से कम 10 शहरों की 937 महिलाओं से गहन बातचीत की. इससे वे दो मुख्य निष्कर्ष पहुंची. पहला यह कि भारतीय उपभोक्ता सबसे पहले प्रभावकारिता देखते हैं और दूसरा यह कि उपभोक्ता तेज नतीजे चाहते हैं. इसी आधार पर उन्होंने सीमित लेकिन अत्यधिक प्रभावी प्रोडक्ट लाइन की रणनीति बनाई.
फॉक्सटेल की शुरुआत
जनवरी 2021 में चेन्नई में आरएंडडी लैब स्थापित कर रोमिता ने डॉ रमेश सुरीन नारायणन के साथ मिलकर प्रोडक्ट डेवलपमेंट शुरू किया. हर उत्पाद को 12-18 महीने के गहन परीक्षण के बाद बाजार में उतारा गया. ब्रांड का नाम फॉक्सटेल रखा गया.
बाजार में तेज़ी से सफलता
जनवरी 2022 में लॉन्च हुआ फॉक्सटेल जल्द ही सफलता की राह पर बढ़ा और इसका राजस्व करीब 240-250 करोड़ के बीच पहुंच गया. कंपनी की वेबसाइट से कंपनी के उत्पादों की बिक्री में 50% तक का फायदा हुआ. अमेरिका और नायका जैसे मार्केटप्लेस से बिक्री 30-35% तक पहुंच गई, जबकि ऑफलाइन रिटेल से उत्पाद की बिक्री 10% तक दर्ज की गई. वेबसाइट की कन्वर्जन दर 5-6.5% है, जो उद्योग औसत से कहीं अधिक है.
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फंडिंग और निवेशक सहयोग
फॉक्सटेल ने शुरुआती फंडिंग काए कैपिल और मैट्रिक्स पार्टनर्स इंडिया से प्राप्त की. रोमिता का मानना है कि सही निवेशक पूंजी के साथ-साथ भावनात्मक समर्थन भी देते हैं और यही उनके स्टार्टअप के लिए निर्णायक साबित हुआ. रोमिता की लीडरशिप स्टाइल प्रामाणिकता और स्पष्टता पर आधारित है. वे टीम से वही अपेक्षा रखती हैं, जो खुद पर लागू करती हैं. उनके लिए संगठन से जुड़ाव सबसे अहम है. आज स्थिति यह है कि रोमिता मजूमदार सोशल मीडिया पर अपने उत्पादों के साथ छाई हुई हैं और महिलाओं के बीच इनकी गहरी पैठ है.
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