Trump-Ambani Meet: 14 मई को दोहा में एक ऐसी तस्वीर सामने आई, जिसने भारत की वैश्विक साख और कॉरपोरेट डिप्लोमेसी को एक नया मुकाम दिया. रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन और एमडी मुकेश अंबानी ने दोहा में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी से मुलाकात की. यह मुलाकात महज बिजनेस चर्चा नहीं थी. यह भारत की एक बोलती हुई रणनीति थी, खासकर तब, जब दुनिया की बड़ी कंपनियां भारत के खिलाफ दबाव बनाने में लगी हैं.
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने 14 मई को दोहा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी से मुलाकात की।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 15, 2025
(वीडियो सोर्स: यूएस नेटवर्क पूल वाया रॉयटर्स) pic.twitter.com/0h3JuZZXFB
मस्क भारत पर बना रहे दबाव, अंबानी खड़े हुए देश के साथ
एलन मस्क और उनकी कंपनी टेस्ला 2023 से भारत सरकार के साथ लगातार बातचीत कर रही है कि भारत में टेस्ला कारें टैक्स फ्री होकर लॉन्च हों. लेकिन इसके लिए मस्क ने खुद भारत आकर संवाद करने से परहेज किया. उल्टा, अमेरिका से भारत पर टैरिफ का दबाव बनवाने की कोशिश की, ताकि सरकार झुक जाए और टेस्ला को रियायतें दे दे.
यह एक तरह की कॉरपोरेट चाल है . जहां विदेशी कंपनियां लोकल गेटवे की बजाय बाहरी दबाव से अपना रास्ता साफ करना चाहती हैं. मगर भारत अब 1991 वाला नहीं है। और इसी मोड़ पर आते हैं मुकेश अंबानी जो बिना किसी मांग के, बिना किसी दबाव के, भारत की साख और शक्ति को सामने रखकर डोनाल्ड ट्रंप से सीधे मिले. यह वही ट्रंप हैं जिन्हें मस्क भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहते हैं.
भारत जब आतंकवाद से लड़ रहा, अंबानी दुनिया को याद दिला रहे कि हम क्या हैं
आज जब भारत आतंकवाद के खिलाफ खुला मोर्चा लिए खड़ा है. चाहे वो पाकिस्तान समर्थित सीमा पार आतंकवाद हो या खाड़ी देशों में भारत के नागरिकों की सुरक्षा. उस वक्त भारत को एक ऐसे प्रतिनिधि की ज़रूरत थी जो न सिर्फ अर्थव्यवस्था की बात करे, बल्कि भारत की सॉवरेन छवि को भी सामने रखे. अंबानी ने यह भूमिका निभाई.
ट्रंप से उनकी मुलाकात सिर्फ एक कॉरपोरेट अपॉइंटमेंट नहीं थी, यह संदेश था कि भारत के अपने प्रतिनिधि हैं, और हमें अपनी बात रखने के लिए किसी मस्क या विदेशी अरबपति की जरूरत नहीं.
भारत का उद्योगपति बना उसका सॉफ्ट पावर दूत
जहां एक तरफ एलन मस्क जैसे कारोबारी भारत को ‘बाजार’ मानते हुए शर्तों की लंबी लिस्ट लेकर आते हैं, वहीं मुकेश अंबानी जैसे भारतीय उद्योगपति बिना किसी मांग के, देश के हित में काम करते हैं और जरूरत पड़े तो दुनिया की सबसे बड़ी ताकतों से सीधे संवाद भी करते हैं.
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