Swadeshi 2.0: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारी-भरकम 50% तक के टैरिफ का करारा जवाब देने के लिए भारत ने मास्टर प्लान तैयार कर लिया. सरकार ने जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) में कटौती करने के बाद स्वदेशी 2.0 को अमलीजामा पहनाने को तैयार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस स्वदेशी प्लान से भारतीय अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ने की संभावना है. एक ओर जीएसटी दरों में कटौती के माध्यम से देश के गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को महंगाई से राहत दिया जा रहा है, वहीं अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवरात्र के पहले ही दिन अपने संबोधन के दौरान देश के नागरिकों से स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने पर जोर दिया है. उन्होंने अपने संबोधन में स्पष्ट कहा है कि हमें हर घर को स्वदेशी का प्रतीक बनाना है और हर दुकान को स्वदेशी से सजाना है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नागरिकों से अपील की है, ‘हम वो सामान खरीदें, जो मेड इन इंडिया हो, जिसमें हमारे देश के नौजवानों की मेहनत लगी हो, हमारे देश के बेटे-बेटियों का पसीना हो.’ प्रधानमंत्री मोदी ने देश के नागरिकों से मेड इन इंडिया उत्पादों को अपनाने की अपील की है. प्रधानमंत्री मोदी का स्वदेशी 2.0 का आह्वान देश की तकदीर बदलने में सक्षम है. मौजूदा परिस्थितियों में स्वदेशी की मुहिम भारत के लिए आवश्यक क्यों हैं? इससे देश की अर्थव्यवस्था को ताकत कैसे मिलेगी? आइए, इसे विस्तार से समझते हैं.
स्वदेशी के नारा का क्या है राज
- प्रधानमंत्री मोदी की मानें, तो स्वदेशी सिर्फ एक नारा नहीं है, बल्कि एक महत्वपूर्ण विचार और सफल रणनीति एवं राष्ट्र की आत्मा है. स्वदेशी प्राचीन भारत की परंपरा भी रही है.
- इतिहासकार बताते हैं कि स्वदेशी आंदोलन ने स्वतंत्रता संग्राम में एक अहम भूमिका निभाई है. यह ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने और भारत की समग्र आर्थिक व्यवस्था के विकास के लिए अपनाया गया साधन था. स्वदेशी 2.0 अमेरिका की दादागिरी का जवाब और चीन का आइना है. स्वदेशी 2.0 के जरिए भारत और भी तेजी से दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगा.
- स्वतंत्रता संग्राम में स्वदेशी न केवल ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ एक प्रतीकात्मक विरोध था, बल्कि भारतीयों में आत्मसम्मान और स्वदेशी वस्तुओं के प्रति प्रेम जगाने का एक शक्तिशाली कदम भी था. स्वदेशी 2.0 का उद्देश्य भी देशवासियों के मन में स्वदेशी के प्रति सम्मान पैदा करना, स्वदेशी को आदत बनाना है.
बापू के विचारों से प्रभावित है स्वदेशी 2.0
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार ये जिक्र कर चुके हैं कि किस तरह महात्मा गांधी का जनांदोलन का विजन उनकी हर पहल को प्रेरित करता है.
- महात्मा गांधी के सामूहिकता के भाव की प्रेरणा से प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान, डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और हर घर जल जैसी कई योजनाओं में जनभागीदारी से इन्हें एक जन आंदोलन का रूप दिया.
- प्रधानमंत्री मोदी जनभागीदारी के माध्यम से स्वदेशी 2.0 को जनआंदोलन बनाकर देश में वही परिवर्तन लाने की कोशिश कर रहे हैं, जो आजादी के पहले आई थी.
- प्रधानमंत्री मोदी का विचार है कि देश की स्वतंत्रता को जैसे स्वदेशी के मंत्र से ताकत मिली, वैसे ही देश की समृद्धि को भी स्वदेशी के मंत्र से ही शक्ति मिलेगी.
पीएम मोदी के स्वदेशी 2.0 अभियान की व्यापकता
- आजादी के अमृतकाल को अमृतमय बनाने के लिए स्वदेशी-दर्शन के बल पर भारत को दुनिया की आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संकल्पबद्ध हैं.
- स्वदेशी 2.0 के लिए प्रेरक शक्ति अनिश्चितत जियो पॉलिटिक्स (भू-राजनीति) है. व्यापारिक रणनीति के शब्दों में कहें, तो स्वदेशी 2.0 का लक्ष्य आर्थिक पूर्वानुमान, स्थिरता और 140 करोड़ भारतीयों के लिए विश्वास-आधारित विश्वसनीय आर्थिक मंच मुहैया कराना है. इस लक्ष्य तक पहुंचने के तरीकों का उद्देश्य दादागीरी वाले देशों की बढ़ती शत्रुतापूर्ण भू-राजनीति और आक्रामक कार्रवाइयों का मुकाबला करना है.
- उपनिवेशी मानसिकता से मुक्त होकर, अपने देश में जो है उसको युगानुकूल बनाते हुए ‘स्व’ आधारित स्व-देशी विकासपथ अपनाने की पीएम मोदी की मुहिम का प्रभाव है कि हम अब सैन्य उपकरण तक आयात नहीं, बल्कि निर्यात करने की स्थिति में है.
- स्वदेशी कोई रूढ़िवाद नहीं, बल्कि रोजगार, व्यापार एवं संस्कृति की आत्मा है.
- स्वदेशी 2.0- एक आर्थिक अवसर देश के नाम संबोधन से पहले भी 15 अगस्त 2025 के अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वदेशी के ज़रिए चल रहे डीग्लोबलाइजेशन के उभार को संबोधित किया था. उन्होंने वोकल फॉर लोकल यानी स्थानीय उत्पादों को अपनाने को कहा. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, “मैं चाहता हूं कि देश भर के व्यापारी और दुकानदार अपने घरों में बोर्ड लगाएं जिन पर लिखा हो, ‘यहां स्वदेशी सामान बिकता है’, “हमें स्वदेशी पर गर्व होना चाहिए. हमें इसका इस्तेमाल मजबूरी में नहीं, बल्कि पूरी ताकत से, अपनी शक्ति दिखाने और जरूरत पड़ने पर दूसरों को भी इसके इस्तेमाल के लिए मजबूर करने के लिए करना चाहिए. यही हमारी शक्ति होनी चाहिए.”
परिवर्तनकारी साबित हो सकती है स्वदेशी उत्पाद खरीद
- 140 करोड़ भारतीय भारत में निर्मित स्वदेशी उत्पाद खरीदकर परिवर्तनकारी बन सकते हैं. भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है और दुनिया के व्यापारिक देश भारतीय बाजार को सबसे बड़ी उपभोक्ता-केंद्रित अर्थव्यवस्था मानते हैं.
- भारत में निर्मित स्वदेशी उत्पादों को अपनाने और विदेशी उत्पादों के आयात को कम या समाप्त करने से स्वदेशी उत्पादों से हमारी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा.
- स्वदेशी उत्पाद भारत में बदलाव लाएंगे और भारतीयों को लाखों नए रोजगार प्रदान करेंगे.
- भारत में निर्मित स्वदेशी उत्पादों की खरीद से भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रहेगी और इससे निवेशक लाभ कमाने के लिए और भी निवेश करने के लिए आकर्षित होंगे.
- भारतीय ग्राहकों द्वारा स्वदेशी उत्पादों की खरीद से भारत सरकार को हजारों मिलियन डॉलर के विदेशी भंडार की बचत करने में मदद मिली है और इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा.
इसे भी पढ़ें: RAM से होगा सरकारी बैंकों का बेड़ापार, नुवामा की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
भारत में रहेगा भारत का पैसा
- स्वदेशी उत्पादों की खरीद से भारत का पैसा भारत में रहेगा. भारतीय उत्पाद खरीदकर एक भारतीय के हाथों से दूसरे भारतीय के हाथों में पैसों का ट्रांसफर अर्थव्यवस्था को मदद करता है.
- भारतीय उत्पादों को खरीदने से अर्थव्यवस्था को मदद मिलती है. इसका सबसे अच्छा उदाहरण पतंजलि है. पतंजलि का एक ब्रांड के रूप में रूपांतरण केवल इसलिए संभव हुआ है, क्योंकि भारत के उपभोक्ता अब भारतीय उत्पादों को खरीदने के महत्व को समझ रहे हैं.
- बाजार में इतने सारे उत्पाद हैं, जिनके बारे में हमें पता ही नहीं चलता कि वे भारतीय नहीं, बल्कि विदेशी हैं. हम उन पर इतना निर्भर हैं कि हमें लगता है कि ये भारतीय सामान हैं. इसलिए पीएम मोदी ने कहा कि गर्व से कहो ये स्वदेशी है और हम स्वदेशी सामान की बिक्री पर गर्व करते हैं. इससे लोगों को स्वदेशी उत्पादों के बारे में जानकारी होगी और वो स्वदेशी उत्पाद ही खरीदेंगे.
- लोग आमतौर पर शिकायत करते हैं कि सब कुछ महंगा हो रहा है, डॉलर की कीमत बढ़ रही है और हम इन सब चीजों के लिए सरकार को दोषी ठहराते हैं, लेकिन क्या वास्तव में सरकार जिम्मेदार है?
- अर्थशास्त्र का सीधा सा नियम है कि अगर आप किसी विक्रेता से कुछ खरीदते हैं, तो उसे उसका लाभ मिलेगा. अब जाहिर सी बात है कि अगर विक्रेता अमेरिका, कोरिया, जापान, यूरोप और चीन से है, तो उसके देश को लाभ मिलेगा और उसकी मुद्रा मजबूत होगी.
- अब यदि हम किसी विदेशी कंपनी द्वारा निर्मित वस्तु का उपयोग करते हैं, तो हम मूल रूप से एक विदेशी कंपनी को धन का योगदान एक विदेशी राष्ट्र को कर रहे हैं.
- अगर हम भारतीय कंपनियों द्वारा भारत में निर्मित वस्तुओं का उपयोग करते हैं, तो हम भारतीय कंपनियों के कुल उत्पादन में वृद्धि करते हैं और इस प्रकार भारत की जीडीपी में वृद्धि होती है. यह अर्थव्यवस्था में सकारात्मक योगदान देता है.
- स्वदेशी अपनाकर देश की जनता सामूहिक रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा बदलाव ला सकती है.
- जब हम भारतीय उत्पादों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करेंगे तो आयात कम हो जाएगा. स्वदेशी उत्पादों के उपयोग से मांग बढ़ेगी और अधिक उद्योग स्थापित होंगे, जिससे रोजगार में वृद्धि होगी.
- मेड इन इंडिया, वोकल फॉर लोकल और स्वदेशी को अपनाने से रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे, आस-पास के क्षेत्र में सुधार होगा, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का विस्तार होगा और रुपये की मजबूती होगी, ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी, तकनीकी अपग्रेडेशन होगा, व्यापार में आसानी होगी, युवा प्रतिभाओं की उपलब्धता होगी, ग्रामीण क्षेत्रों का विकास होगा और पूंजी का प्रवाह होगा.
इसे भी पढ़ें: जीएसटी कटौती के बाद सरकार के रडार पर ई-कॉमर्स कंपनियां, रखी जा रही कड़ी नजर
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

