Q2 Results: अक्षय ऊर्जा समाधान क्षेत्र की दिग्गज कंपनी सुजलॉन एनर्जी लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में अपने इतिहास का सबसे मजबूत प्रदर्शन दर्ज किया है. कंपनी का समेकित कर-पश्चात लाभ साल-दर-साल 538% बढ़कर 1,279 करोड़ रुपये पहुंच गया, जो पिछले तीन दशकों में सर्वोच्च तिमाही लाभ है. यह उछाल न केवल मजबूत परिचालन प्रदर्शन बल्कि वित्तीय प्रबंधन की दक्षता को भी दर्शाता है.
राजस्व में रिकॉर्ड 85% की वृद्धि
कंपनी का परिचालन से राजस्व वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में 85% बढ़कर 3,866 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. यह वृद्धि मुख्य रूप से पवन टरबाइन जनरेटर खंड में उच्च डिलीवरी और मजबूत मांग के कारण हुई. कंपनी के अनुसार, यह उसके 30 साल के इतिहास में सबसे अधिक राजस्व वृद्धि है.
ईबीआईटीडीए और पीबीटी में जबरदस्त बढ़ोतरी
वित्तीय दृष्टिकोण से भी तिमाही बेहद प्रभावशाली रही. कंपनी का ईबीआईटीडीए साल-दर-साल 145% बढ़कर 721 करोड़ रुपये हो गया. कर-पूर्व लाभ (पीबीटी) में 179% की बढ़ोतरी दर्ज हुई और यह 562 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. कंपनी ने बताया कि कर-पश्चात लाभ में हुई तेज वृद्धि का एक प्रमुख कारण 717 करोड़ रुपये की आस्थगित कर परिसंपत्तियों की पहचान थी, जिसने समग्र लाभप्रदता को और बढ़ावा दिया.
कंपनी के शेयर में हल्की तेजी
सुजलॉन के नतीजों के बाद बाजार में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली. परिणाम घोषित होने के बाद एनएसई पर इसका शेयर 1.1% बढ़कर 60.09 रुपये पर कारोबार कर रहा था. विश्लेषकों के अनुसार, निवेशक कंपनी के दीर्घकालिक ग्रोथ प्रॉस्पेक्ट को लेकर आशावादी हैं.
रिकॉर्ड डिलीवरी और मजबूत ऑर्डरबुक
सुजलॉन ने दूसरी तिमाही में 565 मेगावाट की रिकॉर्ड डिलीवरी दर्ज की, जो कंपनी के इतिहास में सबसे अधिक है. इसकी कुल ऑर्डरबुक 6.2 गीगावाट तक पहुंच गई है, जिसमें वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में 2 गीगावाट की वृद्धि दर्ज हुई. 30 सितंबर, 2025 तक कंपनी के पास 1,480 करोड़ रुपये की शुद्ध नकदी थी, जो वित्तीय स्थिरता का संकेत देती है. कंपनी ने पुष्टि की है कि वह 4.5 गीगावाट क्षमता के साथ भारत की सबसे बड़ी घरेलू पवन ऊर्जा विनिर्माण कंपनी बनी हुई है.
नवीकरणीय ऊर्जा नीति से मिलेगा लाभ
भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2032 तक 122 गीगावाट पवन ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य रखा है. यह हाइब्रिड आरटीसी (राउंड द क्लॉक) और एफडीआरई (फर्म एंड डिस्पैचेबल रिन्यूएबल एनर्जी) परियोजनाओं के विस्तार से संभव होगा. अकेले वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्र को 2030 तक 100 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा की आवश्यकता होगी. विश्लेषकों का मानना है कि इस बढ़ती मांग से सुजलॉन जैसी घरेलू कंपनियों के लिए विकास के नए अवसर खुलेंगे. अनुमान है कि वार्षिक इंस्टॉलेशन 6.6 गीगावाट से अधिक पहुंच सकता है.
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क्या कहते हैं कंपनी के सीईओ
सुजलॉन ग्रुप के सीईओ जेपी चलसानी ने कहा, “हमें भारत में अपनी अब तक की सबसे अधिक दूसरी तिमाही की डिलीवरी की रिपोर्ट करते हुए खुशी हो रही है, जिसके कारण हमारा प्रदर्शन और लाभप्रदता मजबूत हुई है. हमारी 6.2 गीगावाट ऑर्डरबुक हमारी रणनीति और निष्पादन क्षमता की मजबूती को दर्शाती है.” उन्होंने कहा कि कंपनी अपने मुख्य व्यवसाय, विस्तारित विनिर्माण क्षमता और भारत में डिजाइन किए गए विश्वस्तरीय उत्पादों पर फोकस जारी रखेगी. इससे सुजलॉन एनर्जी को आने वाले वर्षों में स्थायी और लाभदायक विकास के लिए अच्छी स्थिति में रखा जा सकेगा.
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