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Gopichand Hinduja Death: अपने पीछे अरबों की दौलत छोड़ गए अशोक लीलैंड के मालिक, गोपीचंद हिंदुजा 85 साल की उम्र में निधन

Gopichand Hinduja Death: हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन गोपीचंद पी हिंदुजा का 85 वर्ष की आयु में लंदन में निधन हो गया. उन्होंने अपने पीछे अरबों की संपत्ति और एक वैश्विक व्यावसायिक विरासत छोड़ी. 1959 में कारोबार की शुरुआत कर उन्होंने हिंदुजा ग्रुप को बैंकिंग, ऊर्जा, ऑटोमोटिव और मीडिया सेक्टर में अग्रणी बनाया. संडे टाइम्स रिच लिस्ट 2025 के अनुसार उनकी कुल संपत्ति लगभग 4.02 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है. उद्योग जगत में उनके योगदान को सदैव याद किया जाएगा.

Gopichand Hinduja Death: हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन और अशोक लीलैंड के मालिक गोपीचंद पी हिंदुजा का 85 साल की उम्र में निधन हो गया. परिवार के करीबी सूत्रों के हवाले से मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, उन्होंने लंदन के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली. हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन गोपीचंद पी हिंदुजा के निधन से उद्योग जगत में शोक की लहर फैल गई है. व्यापार और परोपकार के क्षेत्र में उनकी विरासत को हमेशा याद रखा जाएगा. गोपीचंद पी हिंदुजा ने मई 2023 में अपने बड़े भाई श्रीचंद हिंदुजा के निधन के बाद इस हिंदुजा ग्रुप की कमान संभाली थी. गोपीचंद हिंदुजा अपने पीछे अरबों की दौलत छोड़ गए.

1959 में गोपीचंद हिंदुजा ने रखा था कारोबारी कदम

29 फरवरी 1940 को जन्मे गोपीचंद पी हिंदुजा ने साल 1959 में मुंबई स्थित अपने पारिवारिक उद्योग में कारोबारी कदम रखा था. दशकों से उन्होंने हिंदुजा ग्रुप को एक पारंपरिक भारत-मध्य पूर्व व्यापारिक व्यवसाय से बैंकिंग, वित्त, ऊर्जा, ऑटोमोटिव, मीडिया और बुनियादी ढांचे में रुचि रखने वाले एक वैश्विक औद्योगिक महाशक्ति में बदलने में मदद की.

अशोक लीलैंड प्रवासी भारतीय की सबसे बड़ी कंपनी

गोपीचंद हिंदुजा के नेतृत्व में हिंदुजा ग्रुप ने अपने कुछ सबसे महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए, जिनमें 1984 में गल्फ ऑयल और तीन साल बाद अशोक लीलैंड शामिल हैं. अशोक लीलैंड भारत में प्रवासी भारतीयों द्वारा किए गए पहले बड़े निवेशों में से एक था. हिंदुजा ग्रुप की वेबसाइट के अनुसार, मुंबई के जय हिंद कॉलेज से स्नातक गोपीचंद हिंदुजा को व्यवसाय में उनके योगदान के लिए वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट ऑफ लॉ और लंदन के रिचमंड कॉलेज से मानद डॉक्टरेट ऑफ इकोनॉमिक्स की उपाधि से सम्मानित किया गया था.

गोपीचंद हिंदुजा की पारिवारिक विरासत

हिंदुजा ग्रुप की स्थापना 1919 में हुई. इसके बाद इसके संस्थापक परमानंद दीपचंद हिंदुजा सिंध (तब भारत का हिस्सा, अब पाकिस्तान में) से ईरान चले गए और एक वैश्विक समूह की नींव रखी. समूह ने 1979 में अपना मुख्यालय ईरान से लंदन स्थानांतरित कर दिया, जिससे अंतरराष्ट्रीय विस्तार का एक नया युग शुरू हुआ. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, आज मुंबई स्थित हिंदुजा ग्रुप दुनिया भर में लगभग 2,00,000 लोगों को रोजगार देता है, जिनकी रुचि वित्त, ऑटोमोटिव, ऊर्जा, मीडिया और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में है.

हिंदुजा परिवार का रियल एस्टेट का पोर्टफोलिया

हिंदुजा परिवार के पास एक प्रभावशाली रियल एस्टेट पोर्टफोलियो भी है. उनकी सबसे प्रसिद्ध संपत्तियों में व्हाइट हॉल स्थित ऐतिहासिक ओल्ड वॉर ऑफिस बिल्डिंग शामिल है, जो हाल ही में रैफल्स लंदन होटल में तब्दील हो गई है. बकिंघम पैलेस के पास एक प्रतिष्ठित पते, कार्लटन हाउस टेरेस का भी उनका स्वामित्व है.

लंदन में रहते थे गोपीचंद हिंदुजा

गोपीचंद लंदन में रहते थे, जबकि उनके छोटे भाई प्रकाश मोनाको में रहते हैं और सबसे छोटे भाई अशोक हिंदुजा मुंबई से भारत में कामकाज संभालते हैं. दशकों तक गोपीचंद हिंदुजा को एक ऐसे स्थिर हाथ के रूप में देखा जाता था, जिसने परिवार की व्यावसायिक विरासत और परोपकार एवं विवेकशीलता की प्रतिष्ठा को कायम रखा. उनका निधन भारत और ब्रिटेन के सबसे प्रभावशाली व्यावसायिक परिवारों में से एक के लिए एक युग का अंत है.

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गोपीचंद हिंदुजा के पास कितनी है संपत्ति

संडे टाइम्स रिच लिस्ट 2025 के अनुसार, गोपीचंद हिंदुजा की कुल संपत्ति लगभग 35.3 बिलियन पौंड यानी करीब 4.02 लाख करोड़ रुपये है. यह आंकड़ा हिंदुजा परिवार की कुल संपत्ति को दर्शाता है, जिसके वे अध्यक्ष हैं. और यह स्रोत और विशिष्ट रिपोर्टिंग अवधि के अनुसार भिन्न होता है. एक अन्य हालिया स्रोत के अनुसार, हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2025 के अनुसार, हिंदुजा समूह के अध्यक्ष के रूप में उनकी कुल संपत्ति लगभग 1,85,310 करोड़ रुपये है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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