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“बिल्डरों को पैसा दिखता है या जेल ” सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, पढ़ें पूरा मामला

कोर्ट ने यह टिप्पणी एक रियल स्टेट कंपनी के मामले पर सुनवाई के दौरान कही है जिसमें यह उसे जानबूझकर आदेश पालन ना करने के लिए अवमानना का दोषी करार दिया गया है और 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है.

कई बार आप फ्लैट खरीद लेते हैं लेकिन तय समय और वादे के मुताबिक आपको फ्लैट नहीं मिलता. कई ऐसे मामले सामने आये हैं जब बिल्डर अपने वादे पर कायम नहीं रहा है. ऐसे में कई बार मामला कोर्ट में पहुंचता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले पर कहा है कि बिल्डर को या तो पैसा दिखता है या फिर जेल की सजा ही समझ में आती है.

कोर्ट ने यह टिप्पणी एक रियल स्टेट कंपनी के मामले पर सुनवाई के दौरान कही है जिसमें यह उसे जानबूझकर आदेश पालन ना करने के लिए अवमानना का दोषी करार दिया गया है और 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है.

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कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद खरीदारों को पैसा नहीं लौटाया अब कोर्ट ने रियल एस्टेट फर्म इरियो ग्रेस रियलटेक प्राइवेट लिमिटेड को राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (नल्सा) के पास 15 लाख रुपये जमा करने और कानूनी खर्च के तौर पर घर खरीदारों को दो लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है .

कोर्ट ने पिछले साल 28 अगस्त को कंपनी को घर खरीदारों को नौ प्रतिशत ब्याज के साथ रिफंड का निर्देश दिया गया था. पीठ ने कहा, “हमने आपको पांच जनवरी को दो महीने के भीतर राशि लौटाने का निर्देश दिया था. फिर आपने (बिल्डर) आदेश में संशोधन की मांग करते हुए एक याचिका दायर की, जिसे हमने मार्च में खारिज कर दिया और आपको घर खरीदारों को दो महीने के भीतर पैसा लौटाने का निर्देश दिया.

अब, फिर से घर खरीदार हमारे सामने अवमानना ​​याचिका के साथ आए हैं कि आपने पैसे का भुगतान नहीं किया है. हमें कोई ठोस कदम उठाना होगा जिसे याद किया जाये या फिर किसी को जेल भेजना होगा. बिल्डर्स को केवल पैसा दिखता या फिर जेल की सजा ही समझते हैं.”

इस मामले की सुनवाई के दौरान कंपनी कंपनी के वकील ने कहा, आज 58.20 लाख रुपये का आरटीजीएस भुगतान कर दिया है और घर खरीदारों को देने के लिये 50 लाख रुपये का डिमांड ड्राफ्ट भी तैयार है.

इस पर पीठ ने कहा, ‘‘आपको मार्च में भुगतान करना था लेकिन अब अगस्त में आप कह रहे हो कि अब आप कर रहे हो. आपने जानबूझकर हमारे आदेश की अवहेलना की है, हम इसे हल्के में नहीं छोड़ सकते हैं. ग्राहकों ने बिल्डर को 62,31,906 रुपये का भुगतान कर दिया था. इसके लिये 24 मार्च 2014 को समझौते पर हस्ताक्षर किये गये.

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उन्हें फ्लैट जनवरी 2017 में दिये जाने थे. लेकिन इसमें देरी होती चली गई और अब ग्राहक अपना पैसा मांग रहे हैं. कोर्ट के इस फैसले के बाद बिल्डर के वकील ने भरोसा दिया है कि सभी के पैसे जल्द वापस कर देंगे

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