SIP vs Mutual Fund: भारत में निवेश कल्चर तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन आज भी करोड़ों लोग यह नहीं समझ पाते कि एसआईपी यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान बेहतर है या म्यूचुअल फंड? ज्यादातर निवेशक यह मान लेते हैं कि एसआईपी और म्यूचुअल फंड दो अलग-अलग निवेश विकल्प हैं, जबकि हकीकत इससे बिल्कुल उलट है. एसआईपी म्यूचुअल फंड में निवेश करने का सिर्फ एक तरीका है, जबकि म्यूचुअल फंड एक निवेश साधन है. अगर लोगों को इस बात की जानकारी हो जाएगी, तो खुद ही नोट छापने की मशीन बन जाएंगे. आइए, निवेश के इन दोनों विकल्पों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
एसआई क्या है?
एसआईपी यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान, म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक अनुशासित तरीका है. इसमें निवेशक हर महीने, हर तीन महीने या नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि निवेश करता है. यह तरीका उन लोगों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है, जो कम आय से भी बचत शुरू करना चाहते हैं.
एसआईपी के फायदे
- छोटी राशि से शुरुआत: केवल 100 रुपये या 500 रुपये में भी एसआईपी शुरू की जा सकती है.
- रुपया लागत औसत: बाजार गिरने पर ज्यादा यूनिट और बढ़ने पर कम यूनिट मिलती हैं, जिससे खरीदारी का औसत खर्च घटता है.
- बाजार टाइमिंग की जरूरत नहीं: नियमित निवेश से जोखिम कम हो जाता है.
- अनुशासन बनता है: नियमित बचत की आदत होती है.
- लचीलापन: एसआईपी कभी भी रोकी, बढ़ाई या घटाई जा सकती है.
- चक्रवृद्धि ब्याज का फायदा: लंबे समय में पैसा बर्फ के गोले की तरह बढ़ता है.
एसआईपी के जरिए निवेशक बिना तनाव के व्यवस्थित और स्मार्ट तरीके से पैसा कमा सकते हैं.
म्यूचुअल फंड क्या है?
म्यूचुअल फंड निवेश का एक माध्यम है, जिसमें कई निवेशकों से धन इकट्ठा किया जाता है और एक प्रोफेशनल फंड मैनेजर उसे स्टॉक्स, बॉन्ड, गोल्ड या अन्य एसेट्स में निवेश करता है. इसमें निवेशक के पास दो विकल्प एसआईपी से निवेश और लम्पसम (एकमुश्त) निवेश होते हैं.
म्यूचुअल फंड कैसे काम करता है?
हर निवेशक को फंड की यूनिट दी जाती है. यूनिट का मूल्य बढ़ता है, तो निवेश बढ़ता है और यूनिट का मूल्य गिरता है, तो निवेश घटता है. म्यूचुअल फंड हर उस व्यक्ति के लिए बेहतर है, जो बड़े निवेश ज्ञान के बिना भी एक विविध पोर्टफोलियो चाहता है.
म्यूचुअल फंड के फायदे
- डायवर्सिफिकेशन: पैसों को कई हिस्सों में बांटकर जोखिम कम किया जाता है.
- प्रोफेशनल मैनेजमेंट: एक्सपर्ट आपके पैसे को मार्केट के अनुसार मैनेज करते हैं.
- कम पूंजी से शुरुआत: म्यूचुअल फंड में कम पैसों से भी शुरुआत की जा सकती है.
- टैक्स बेनिफिट: एलएसएस फंड पर धारा 80सी में 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिलती है.
- बंपर रिटर्न की संभावना: लंबे समय में स्टॉक मार्केट से ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना अधिक रहती है.
एसआईपी और म्यूचुअल फंड में अंतर
देश के अधिकतर लोग इस गलतफहमी में रहते हैं कि एसआईपी और म्यूचुअल फंड दो अलग-अलग चीजे हैं. सच्चाई यह है कि एसआईपी निवेश का तरीका है और म्यूचुअल फंड निवेश का साधन है.
निवेश का तरीका
- एसआईपी में नियमित अंतराल पर तय राशि का निवेश किया जाता है.
- एकमुश्त या एसआईपी दोनों तरीके से म्यूचुअल फंड में निवेश किया जा सकता है.
जोखिम प्रबंधन
- एसआईपी बाजार टाइमिंग के जोखिम को कम करता है.
- म्यूचुअल फंड में जोखिम फंड के प्रकार पर निर्भर करता है.
रिटर्न
- एसआईपी से लंबे समय में स्थिर और बेहतर औसत रिटर्न मिलने की संभावना अधिक रहती है.
- म्यूचुअल फंड में एकमुश्त (लम्पसम) से बंपर रिटर्न मिल सकता है, लेकिन जोखिम अधिक रहता है.
लचीलापन
- एसआईपी को कभी भी शुरू या बंद किया जा सकता है.
- म्यूचुअल फंड में एकमुश्त पैसा जमा करने पर निकासी के लिए कुछ फंडों में लॉक-इन नियम लागू किए जाते हैं.
निवेश क्षमता
- एसआईपी में कम पैसों से भी निवेश की शुरुआत की जा सकती है.
- म्यूचुअल फंड में एकमुश्त निवेश के लिए अधिक राशि की जरूरत पड़ सकती है.
अस्थिरता का असर
- एसआईपी में समय के साथ निवेश फैलने से उतार-चढ़ाव का जोखिम कम रहता है.
- म्यूचुअल फंड में एकमुश्त गलत समय में निवेश करना भारी नुकसान दे सकता है.
म्यूचुअल फंड में निवेश क्यों बढ़ रहा है?
भारत में म्यूचुअल फंड बेहद लोकप्रिय हो चुके हैं. इसके तीन मुख्य कारण हैं.
- जोखिम कम: विविधीकरण से जोखिम नियंत्रित रहता है.
- बेहतर रिटर्न: एफडी और आरडी की तुलना में दीर्घकालिक रिटर्न बहुत अधिक मिलता है.
- टैक्स बचत: ईएलएसएस फंड से टैक्स में भारी राहत मिल सकती है.
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एसआईपी क्यों है सबसे लोकप्रिय विकल्प
आज एसआईपी को सबसे सुरक्षित और स्मार्ट निवेश विकल्प माना जाता है. इसका कारण यह है कि इसमें नियमित बचत की आदत बनती है. बाजार में उतार-चढ़ाव का डर कम होता है. युवा निवेशक कम रकम में भी निवेश शुरू कर सकते हैं. लंबे समय के वित्तीय लक्ष्य पूरे करने में मदद मिलती है.
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