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कबाड़ नीति को लेकर इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स ने सरकार से रखी ये बड़ी मांग

वाहन कबाड़ नीति के तहत कई नियमों में बदलाव किया गया है.देश भर में ऐसे कई डीलर वर्कशॉप हैं, जो इस फैसले के बाद सरकार से नयी अनुमति के लिए अपील कर रही है.

वाहन कबाड़ नीति के तहत कई नियमों में बदलाव किया गया है. ऐसे में ग्राहकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए वाहन उद्योग संगठन सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) ने सरकार से अपील की है कि डीलर वर्कशॉप को जांच और प्रमाणन केंद्रों के रूप में काम करने की इजाजत दी जाये.

देश भर में ऐसे कई डीलर वर्कशॉप हैं, जो इस फैसले के बाद सरकार से नयी अनुमति के लिए अपील कर रही है. सियाम के अध्यक्ष के निची आयुकावा ने इस संबंध में बात रखी है जिसमें कहा, अगर सरकार नये जांच केंद्र शुरू करती है, तो संभव है कि वे व्यावसायिक रूप से व्यवहारिक ना हो और उनके पूरे भारत में विकसित होने में लंबा समय लग सकता है.

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उन्होंने कहा, “हम सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि वाहन कबाड़ योजना में डीलर वर्कशॉप को जांच और प्रमाणन केंद्रों के रूप में काम करने की मंजूरी दी जाए.इस फैसले के पीछे तर्क देते हुए उन्होंने कहा, डीलर संगठन के पास पहले से ही वाहनों की जांच के लिए जरूरी उपकरण, निवेश और विशेषज्ञता है.”

मारुति सुजुकी इंडिया के प्रबंध निदेशक और सीईओ आयुकावा ने साथ ही कहा, “इसके अलावा, डीलर ग्राहकों के करीब स्थित हैं.” उन्होंने कहा, “अगर सरकार मौजूदा ऑटोमोबाइल डीलर प्रतिष्ठानों का इस्तेमाल करने के हमारे अनुरोध को स्वीकार करती है, तो यह ऑटोमोबाइल डीलरों पर सरकार के गहरे भरोसे को दिखाएगा. आयुकावा ने विश्वास जताया कि ऑटोमोबाइल डीलर “इस बड़ी जिम्मेदारी को पूरा करेंगे” और कहा, “मुझे यह भी उम्मीद है कि वे इस विश्वास पर खरा उतरेंगे एवं निष्पक्षता के साथ सभी जांच और प्रमाणन करेंगे.

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इस नयी नीति के तहत 15- 20 साल पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप कर दिया गया है. कमर्शियल गाड़ी 15 साल बाद कबाड़ घोषित होगी, तो निजी गाड़ी के लिए यह समय 20 साल है. तय समय के बाद मालिकों को ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर ले जाना होगा.

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