Rupees vs Dollar: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने गुरुवार को रुपये में आई कमजोरी के पीछे की वास्तविक वजहों को स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि आरबीआई रुपये के लिए किसी भी विशेष स्तर को लक्ष्य नहीं बनाता और इसकी चाल पूरी तरह बाजार की मांग और आपूर्ति पर निर्भर करती है. डॉलर की बढ़ती मांग इसके अवमूल्यन का मुख्य कारण है.
डॉलर की बढ़ती मांग से गिरा रुपया
गवर्नर मल्होत्रा ने साफ कहा कि रुपये की कमजोरी का मूल कारण डॉलर की मांग में तेजी है. उन्होंने कहा, “रुपये में गिरावट क्यों आई? ऐसा मांग के कारण है. यदि डॉलर की मांग बढ़ती है तो रुपया गिरता है। यदि रुपये की मांग बढ़ती है तो रुपया मजबूत होता है.” अमेरिकी बाजार में मजबूती और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में जल्द कटौती की संभावनाओं के कम होने से डॉलर 100 के स्तर के ऊपर चला गया. इससे निवेशकों का झुकाव डॉलर की ओर बढ़ा और घरेलू मुद्रा पर दबाव आया. विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, अमेरिकी फेड की ताजा मिनट्स में दर कटौती के संकेत न मिलने से डॉलर मजबूत हुआ, जिसका सीधा असर रुपये पर पड़ा.
आरबीआई के पास मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार
रुपये में कमजोरी के बावजूद गवर्नर ने कहा कि भारत का बाहरी क्षेत्र पूरी तरह सुरक्षित है. उन्होंने बताया कि देश के पास काफी अच्छा विदेशी मुद्रा भंडार है. वैश्विक दबावों के बावजूद बाहरी क्षेत्र स्थिर है. आरबीआई लगातार वित्तीय स्थिरता बनाए रखने पर फोकस कर रहा है. भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की मजबूती रुपये को दीर्घकाल में सपोर्ट प्रदान करती है, इसलिए निवेशकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है.
जल्द सुधार की उम्मीद
डॉलर के मुकाबले रुपये में हालिया गिरावट के सवाल पर गवर्नर मल्होत्रा ने उम्मीद जताई कि भारत और अमेरिका के बीच एक अच्छा व्यापार समझौता जल्द बन सकता है. उनके अनुसार, बेहतर ट्रेड डील होने पर भारत के चालू खाते पर दबाव कम होगा. निर्यात को मजबूती मिलेगी. विदेशी पूंजी प्रवाह में सुधार होगा. यह समझौता रुपये को स्थिरता देने में अहम भूमिका निभा सकता है.
व्यापार और शुल्क संबंधी चुनौतियां भी हैं जिम्मेदार
गवर्नर ने यह भी बताया कि रुपये का अवमूल्यन केवल बाजार की गतिविधियों का नतीजा नहीं है, बल्कि हाल के व्यापारिक तनाव और अमेरिकी शुल्क बढ़ोतरी के असर से भी जुड़ा है. अमेरिका की नई ट्रेड पॉलिसियों, वैश्विक अनिश्चितताओं और निवेशकों की सेफ हेवन के रूप में डॉलर की ओर बढ़ती झुकाव ने रुपये की गिरावट को और तेज किया.
आरबीआई की प्राथमिकता है वित्तीय स्थिरता
दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स में वीकेआरवी राव स्मृति व्याख्यान में गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि आरबीआई की सर्वोच्च प्राथमिकता वित्तीय स्थिरता को सुनिश्चित करना है. उनके अनुसार, आरबीआई नियंत्रित तरीके से विनियमन को सरल कर रहा है. सुरक्षा उपायों और सुपरविजन को मजबूत रखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली की स्थिरता पर लगातार नजर बनी हुई है. यह रणनीति बाजार के उतार-चढ़ाव से भारतीय अर्थव्यवस्था को सुरक्षित रखने में मदद करती है.
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भारतीय बैंक जल्द ही दुनिया की टॉप 100 सूची में
एक सवाल के जवाब में गवर्नर ने कहा कि भारत के बैंकिंग सेक्टर का प्रदर्शन लगातार बेहतर हो रहा है. उन्होंने बताया कि भारतीय बैंकों की बैलेंस शीट मजबूत है. एनपीए ऐतिहासिक रूप से कम स्तर पर हैं और क्रेडिट ग्रोथ स्थिर और स्वस्थ है. मल्होत्रा के अनुसार, बहुत जल्द भारत के कई बैंक दुनिया के शीर्ष 100 वैश्विक ऋणदाताओं में शामिल हो सकते हैं.
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