Business News: कॉर्पोरेट जगत की शब्दावली में दो शब्द अक्सर भ्रम पैदा करते हैं रेवेन्यू और प्रोफ़िट. हालांकि ये दोनों ही किसी भी बिजनेस की वित्तीय सफलता को दर्शाते हैं लेकिन ये एक-दूसरे से बहुत अलग हैं और इन्हें एक-दूसरे की जगह इस्तेमाल करना एक बड़ी भूल हो सकती है. फाइनेंशियल एक्स्पर्ट्स का कहना है कि किसी भी कंपनी की इकनॉमिक नजरिए को समझने के लिए बिजनेस मालिकों, इंवेस्टर्स और आम कंज्यूमर को इनके बीच का बुनियादी अंतर समझना बेहद ज़रूरी है.
कम्पनी में रेवेन्यू क्या होता है?
रेवेन्यू को सरल भाषा में किसी भी बिजनेस की कुल कमाई माना जा सकता है. यह वह पूरी राशि है जो कोई कंपनी अपनी वस्तुओं या सेवाओं को बेचकर एक निश्चित अवधि में जुटाती है. इसे टॉप लाइन (Top Line) कहा जाता है क्योंकि यह इनकम स्टेटमेंट में सबसे पहले दर्ज होता है. इस आंकड़े में से अभी तक कोई भी खर्च चाहे वह कर्मचारियों का वेतन हो या बिजली का बिल घटाया नहीं गया होता है. यह केवल बाज़ार में कंपनी के प्रोडक्शन की मांग को दिखाता है. उदाहरण के लिए, यदि एक मोबाइल फोन कंपनी एक साल में 50 करोड़ रुपए के फोन बेचती है, तो 50 करोड़ रुपए उसका रेवेन्यू है. यह दिखाता है कि बाज़ार में कंपनी का पैमाना कितना बड़ा है.
कम्पनी में प्रोफ़िट क्या होता है?
लाभ या मुनाफ़ा वह असली और अंतिम पैसा है जो किसी बिजनेस के पास सभी प्रकार के खर्चों को चुकाने के बाद बचता है. यही वह राशि है जिसे कंपनी अपने पास रखती है या आगे निवेश करती है. इसे बॉटम लाइन (Bottom Line) कहा जाता है क्योंकि यह सभी कटौतियों के बाद आय विवरण के अंत में दिखाई देता है. लाभ कंपनी की वर्क एफ़ियनसी को दिखाता है. यह बताता है कि कंपनी न केवल बेच रही है बल्कि बुद्धिमानी से खर्चों का प्रबंधन भी कर रही है. यदि उसी मोबाइल फोन कंपनी का कुल राजस्व 50 करोड़ रुपए है लेकिन उसके उत्पादन, विज्ञापन, और वेतन आदि पर 40 करोड़ रुपए खर्च हो गए तो उसका लाभ केवल 10 करोड़ रुपए होगा.
बड़ा राजस्व, फिर भी घाटा क्यों?
फाइनेंशियल एक्स्पर्ट्स का मानना है कि केवल उच्च राजस्व पर जश्न मनाना समझदारी नहीं है. एक बिज़नेस बहुत ज़्यादा माल बेचकर भी घाटे में जा सकता है, यदि उसका उत्पादन और परिचालन लागत उसकी बिक्री से अधिक है. यह जरूरी है कि बिज़नेस मालिक केवल बिक्री बढ़ाने (राजस्व) पर ही ध्यान न दें, बल्कि मुनाफ़े को बनाए रखने (लाभ) पर भी ध्यान दें. एक निवेशक हमेशा ऐसी कंपनी की तलाश करता है जिसका राजस्व बढ़ रहा हो, लेकिन साथ ही उसका लाभ मार्जिन भी स्वस्थ हो.
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