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सब्जी और दाल के सस्ता होने से नरम हुई खुदरा महंगाई दर, मार्च में चार महीने के न्यूनतम स्तर पर खुदरा मुद्रास्फीति

सब्जी, अंडा और मांस जैसे खाने के सामान की कीमत कम होने से खुदरा मुद्रास्फीति मार्च महीने में चार महीने के न्यूनतम स्तर 5.91 फीसदी पर आ गयी.

नयी दिल्ली : सब्जी, अंडा और मांस जैसे खाने के सामान की कीमत कम होने से खुदरा मुद्रास्फीति मार्च महीने में चार महीने के न्यूनतम स्तर 5.91 फीसदी पर आ गयी. महंगाई दर का यह आंकड़ा रिजर्व बैंक के लक्ष्य के हिसाब से संतोषजनक स्तर पर है. सोमवार को जारी सरकारी आंकड़े के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति फरवरी 2020 में 6.58 फीसदी तथा पिछले साल मार्च में 2.86 फीसदी थी.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के सीपीआई के आंकड़े के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर इस साल मार्च में 8.76 फीसदी रही, जो इससे पिछले महीने 10.81 फीसदी थी. रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर पर गौर करता है. इसमें पिछले महीने से गिरावट का रुख है. दिसंबर 2019 से ही यह 6 फीसदी से ऊपर बनी हुई थी. इससे पहले, नवंबर 2019 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.54 फीसदी थी.

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सरकार ने केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति अधिकतम दो फीसदी घट-बढ़ के साथ 4 फीसदी के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया है. आंकड़े के अनुसार, मार्च में अंडे की महंगाई दर 5.56 फीसदी रही, जो इससे पूर्व माह में 7.28 फीसदी थी. इसी प्रकार, सब्जियों की महंगाई दर आलोच्य महीने में 18.63 फीसदी रही, जो एक महीने पहले फरवरी में 31.61 फीसदी थी.

इसके अलावा, फल, दाल एवं अन्य संबंधित उत्पादों की मुद्रास्फीति भी नरम हुई है. हालांकि, दूध और उसके उत्पादों की महंगाई दर फरवरी के मुकाबले मार्च में थोड़ी अधिक रही. आंकड़े के अनुसार, ईंधन और लाइट (बिजली) खंड में महंगाई दर मामूली रूप से बढ़कर मार्च में 6.59 प्रतिशत रही, जो इससे इसके पहले महीने में 6.36 फीसदी थी.

सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले एनएसओ के अनुसार, कीमत आंकड़ा चुने गये 1,114 शहरी बाजारों और 1,181 गांवों से लिये गये. मंत्रालय के अनुसार, सरकार के कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए ‘लॉकडाउन’ (बंद) को देखते हुए कीमत संग्रह का क्षेत्र में काम 19 मार्च 2020 से निलंबित है. ऐसे में, करीब 66 फीसदी कीमत उद्धरण (कोटेशन) लिये गये. एनएसओ ने कहा कि कि शेष कीमत उद्धरण के मूल्य आचरण के आकलन को लेकर एनएसओ ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य तौर-तरीके और गतिविधियों को अपनाया. उसने कहा कि सीपीआई के आकलन को लेकर राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर जो कीमत आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, वे स्वीकार्य सीमा के भीतर हैं.

आंकड़े के अनुसार, देश के शहरी क्षेत्रों में खुदरा मुद्रास्फीति 5.56 फीसदी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 6.09 फीसदी रही. आंकड़े के बारे में एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख (मुद्रा) राहुल गुप्ता ने कहा कि खाद्य पदार्थ और सब्जियों की कीमतों में गिरावट है, जिसके कारण महंगाई दर आरबीआई के लिए तय ऊपरी सीमा के अंदर आ गयी है.

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण मार्च महीने में उत्पादन सामग्री और कच्चे माल और उत्पादों की कीमत में वृद्धि कम हुई है. इसका मतलब है कि इसमें आने वाले समय में खुदरा मुद्रास्फीति में और कमी आ सकती है. इससे आरबीआई के लिए अर्थवस्था को उबारने के लिए गैर-परंपरागत कदम उठाने या नीतिगत दर में कटौती की गुंजाइश बनेगी.

इक्रा की अर्थशास्त्री अदित नायर ने कहा कि मार्च में खुदरा महंगाई दर के मोर्चे पर अभी जो राहत मिली है, उसमें निकट भविष्य में बदल सकती है. देशव्यापी बंद के दौरान शहरी खुदरा महंगाई दर में वृद्धि की संभावना है. हालांकि, स्थिति सामान्य होने पर इसमें सुधार आ सकता है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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