Ratan Tata: रतन टाटा ने भारत के बिजनेस और समाज में अपनी अलग पहचान बनाई है. 1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन बनने के बाद उन्होंने ग्रुप को नए क्षेत्रों में फैलाया और इसे दुनिया भर में एक मजबूत ब्रांड बनाया है. उनके साहसिक फैसले, जैसे अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को खरीदना, और नए-नए आइडियाज, जैसे आम लोगों के लिए सस्ती कार बनाना, उनकी दूरदर्शी सोच दिखाते हैं. साथ ही, उन्होंने समाज के कमजोर लोगों की मदद करने और शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास में सुधार लाने में भी बड़ा योगदान दिया है.
Tata Group की ग्लोबल पहचान
1991 में रतन टाटा ने जे.आर.डी. टाटा की जगह टाटा ग्रुप के चेयरमैन का पद संभाला था. वही से, उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने बेहतरीन तरक्की की. नए-नए क्षेत्रों में कदम रखा और दुनिया भर में अपना नाम बनाया. टाटा ग्रुप ने स्टील, ऑटोमोबाइल, सॉफ्टवेयर से लेकर होटल व्यवसाय तक हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई और एक ग्लोबल कंपनी बन गई. रतन टाटा का अंतरराष्ट्रीय कंपनियों जैसे टेटली टी, जगुआर लैंड रोवर और कोरस स्टील को खरीदने का साहसी फैसला उनकी दूरगामी सोच को दिखाता है. इन कदमों से टाटा ग्रुप की पहुँच दुनिया भर में बढ़ी और यह ग्लोबल मार्केट में अपनी मजबूत जगह भी बना ली. उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप का मार्केट वैल्यू तेजी से बढ़ा और यह दुनिया के सबसे बड़े और सम्मानित कारोबारी समूहों में शामिल हो गया.
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आम लोगों के लिए कार खरीदना कैसे आसान बनाया गया?
रतन टाटा की सबसे खास उपलब्धियों में से एक थी टाटा नैनो को बनाना. इसे अक्सर दुनिया की सबसे सस्ती कार कहा जाता है. नैनो को 2008 में लॉन्च किया गया था. यह कार रतन टाटा की उस सोच को दिखाती है, जिसमें वे आम लोगों के लिए कार खरीदना आसान बनाना चाहते थे. हालांकि, नैनो ने मार्केट में उतनी कामयाबी हासिल नहीं की जितनी उम्मीद थी. लेकिन यह आविष्कार रतन टाटा की नई चीजे बनाने की लगन को दिखाता है. यह उनके उस उद्देश्य को बताता है, जिसमें वे सस्ती चीजो के जरिए समाज में बदलाव लाना चाहते थे.
Ratan Tata ने और क्या-क्या योगदान दिये?
रतन टाटा का योगदान सिर्फ व्यापार तक ही सीमित नहीं था. वे एक बड़े समाजसेवी भी थे और स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण विकास में बड़े निवेश किया करते थे. टाटा ट्रस्ट्स एक ऐसी चैरिटेबल संगठन है, जिसके माध्यम से उन्होंने भारत में जीवन स्तर सुधारने के लिए कई योजनाओं का समर्थन किया था. रतन टाटा के समाजसेवी प्रयासों ने खासकर गरीब इलाकों में शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाया है. टाटा मेमोरियल सेंटर और टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च जैसी संस्थाओं के साथ उनके काम ने चिकित्सा और वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्रों में स्थायी योगदान भी दिया है.
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