Ratan Tata Death Anniversary: आज 9 अक्टूबर 2025 को भारतीय उद्योग जगत और देश के जाने-माने उद्योगपती रतन नवल टाटा को गुजरे हुए एक बरस हो गए है. लेकिन वो आज भी भारतीय उद्योग जगत और देशवासियों के दिलों में जिंदा है. रतन टाटा ने न सिर्फ अपने आप को और टाटा ग्रुप को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है. बल्कि भारत और भारतवाशियों का भी सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है. तो आइए जानते है कैसे रतन टाटा ने न सिर्फ उद्योग जगत में बल्कि समाज सेवा में भी अपना योगदान दिया.
किसके कदम से भारतीय उद्योगों की राह बदली?
9 अक्टूबर 2024 को, भारतीय उद्योग जगत एक क्षण के लिए ठहर गया था. जमशेदपुर की फ़ैक्ट्री से लेकर मुंबई के बोर्डरूम तक और दुनिया भर के विश्वविद्यालयों में, रतन नवल टाटा को श्रद्धांजलि दी गई. 86 साल की उम्र में उनका निधन न केवल टाटा ग्रुप के लिए, बल्कि पूरे भारतीय उद्योग जगत के लिए एक भारी नुकसान था. आज एक बरस के बाद भी उनकी कमी महसूस होती है. उनका वह नेतृत्व जिसने भारत के सबसे प्रतिष्ठित ग्रुप को संजोया और दुनिया भर में भारतीय उद्योगों में विश्वास और सम्मान की नींव रखी. जिससे आज भारत अंतर्राष्ट्रीय उद्योग जगत में अपनी अलग पहचान बना चुका है.
मेहनत और समाज सेवा से बनाया करियर
28 दिसंबर 1937 को रतन टाटा का जन्म भारत के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ. उन्हें यह पद खुद से नहीं मिला, बल्कि उन्होंने इसे मेहनत से कमाया था. रतन टाटा ने कॉर्नेल और हार्वर्ड जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से अपनी पढ़ाई पूरी की थी. वे बहुत शांत और समझदार स्वभाव के थे. 1962 में उन्होंने जमशेदपुर की टाटा स्टील में काम शुरू किया. वे मजदूरों के साथ काम करते और रात की शिफ्ट में भी ड्यूटी किया करते थे. एक बार बाढ़ में उन्होंने तब तक वह जगह नहीं छोड़ी जब तक सभी मजदूर वहां से सुरक्षित बाहर नहीं निकल गए थे. इन अनुभवों ने उन्हें कर्मचारियों के प्रति संवेदनशील बनाया. रतन टाटा मानते थे कि व्यापार सिर्फ पैसा कमाने के लिए नहीं, बल्कि लोगों की मदद करने और समाज के लिए होना चाहिए.
कैसे की व्यापार में सफलता के साथ-साथ समाज की मदद ?
रतन नवल टाटा 1991 में टाटा संस के अध्यक्ष का पदभार संभाला था. भले ही शांत और विनम्र स्वभाव के होने के बावजूद उन्होंने टाटा ग्रुप को मजबूत और एकजुट बनाये रखा. उन्होंने टेटली, कोरस स्टील और जगुआर लैंड रोवर जैसी बड़ी कंपनियां खरीदी और टाटा का नाम दुनिया भर में विख्यात किया. टाटा नैनो, शिक्षा, स्वच्छ पानी और कोविड राहत जैसी पहलों के जरिए उन्होंने दिखाया कि व्यवसाय केवल पैसा कमाने के लिए नहीं, बल्कि लोगों और समाज की मदद के लिए भी होना चाहिए. 26/11 के दौरान ताज होटल के कर्मचारियों और उनके परिवारों की मदद कर के उन्होंने अपने दयालु भरे स्वभाव का परिचय दिया था.
क्या है व्यापार में असली सफलता ?
रतन टाटा हमेशा सादगी, ईमानदारी और समाज सेवा में विश्वास रखा करते थे. उनका जीवन हम सबको यह सिखलाता है कि व्यापार का असली मकसद केवल मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि समाज और लोगों की भलाई करना भी है. उनका योगदान और मूल्य आज भी टाटा ग्रुप और पूरे भारत के लिए प्रेरणा का स्रोत है.
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