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सिर्फ 64 रुपये से शुरू किया सफर, आज 17,217 करोड़ की कंपनी के मालिक हैं ये भारतीय

Success Story: सिर्फ 64 रुपये लेकर कनाडा पहुंचे प्रेम वत्स आज 17,217 करोड़ रुपये की नेटवर्थ के मालिक हैं. फेयरफैक्स फाइनेंशियल होल्डिंग्स के सीईओ वत्स को "कनाडा का वॉरेन बफे" कहा जाता है. उनकी सफलता की कहानी और फाइनेंस की दुनिया में उनका सफर काफी प्रेरक है.

Success Story: प्रेम वत्स, यही नाम है दुनिया के दिग्गज भारतीय निवेशक का. एक वक्त था, जब प्रेम वत्स (Prem Watsa) सिर्फ 64 रुपये लेकर कनाडा गए थे. आज प्रेम वत्स दुनिया के टॉप निवेशकों में गिने जाते हैं. फेयरफैक्स फाइनेंशियल होल्डिंग्स (Fairfax Financial Holdings) के चेयरमैन और सीईओ प्रेम वत्स को ‘कनाडा का वॉरेन बफे’ कहा जाता है. उनकी कंपनी की कुल वैल्यू 97 अरब डॉलर से अधिक है और उनकी नेटवर्थ 17,217 करोड़ रुपये (2.2 अरब डॉलर) है.

64 रुपये से कनाडा तक का सफर

सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, हैदराबाद में जन्मे प्रेम वत्स ने आईआईटी मद्रास से पढ़ाई की और आगे की शिक्षा के लिए एमबीए करने कनाडा गए. उस वक्त उनके पास सिर्फ 64 रुपये थे. पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए उन्होंने घर-घर जाकर होम एप्लायंसेज बेचे, जिससे उन्हें बिजनेस और फाइनेंस की समझ मिली.

करियर की शुरुआत और फेयरफैक्स की नींव

  • 1974: कन्फेडरेशन लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में स्टॉक पोर्टफोलियो मैनेजर बने.
  • 1984: खुद की इन्वेस्टमेंट कंपनी Hamblin Watsa Investment Council Ltd. की स्थापना की.
  • 1985: टोरंटो स्थित Fairfax Financial Holdings का अधिग्रहण किया.
  • कंपनी का विस्तार: प्रेम वत्स के नेतृत्व में फेयरफैक्स फाइनेंशियल ने भारत, नॉर्थ अमेरिका, यूरोप, एशिया और वेस्ट एशिया में अपने इन्वेस्टमेंट बढ़ाए.

प्रेम वत्स की उपलब्धियां

  • कनाडा के सबसे अमीर भारतीयों में शुमार
  • 2020 में भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित
  • दुनिया के टॉप बिजनेस लीडर्स में शामिल

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प्रेम वत्स की प्रेरक कहानी

प्रेम वत्स की कहानी साबित करती है कि साहस, मेहनत और सही इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी के साथ असंभव भी संभव हो सकता है. उनकी सफलता स्टार्टअप फाउंडर्स, एंटरप्रेन्योर्स और निवेशकों के लिए एक मिसाल है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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