Pakistan Gold Reserves: कंगाली का दंश झेल रहे पाकिस्तान को सोने का अकूत भंडार हाथ लग गया है. इस भंडार के मिलने के बाद आशंका और संभावनाएं दोनों जाहिर की जा रही हैं कि पाकिस्तान सोने के इस अकूत भंडार का इस्तेमाल अपना जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) को बढ़ाने में इस्तेमाल करेगा या फिर आतंकवाद को बढ़ाने के लिए गोला-बारूद की खरीद करेगा. खबर है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के अटक जिले में बहने वाली सिंधु नदी में विशाल सोने के भंडार की खोज की गई है, जिसकी अनुमानित कीमत लगभग 80,000 करोड़ रुपये बताई जा रही है.
सोने की नीलामी का दस्तावेज तैयार कर रहा पाकिस्तान
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से लाइव मिंट ने खबर दी है कि सोने के भंडार की यह खोज सरकार की ओर से कराए गए एक सर्वेक्षण के दौरान हुई. इस परियोजना का नेतृत्व नेशनल इंजीनियरिंग सर्विसेज पाकिस्तान (एनईएसपीएके) और पंजाब के खान और खनिज विभाग की ओर से किया जा रहा है. एनईएसपीएके के प्रबंध निदेशक जरगाम इसहाक खान ने बताया कि अटक जिले में सिंधु नदी के किनारे नौ प्लेसर गोल्ड ब्लॉक्स की नीलामी के लिए बोली दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं और लेनदेन कन्सल्टेंसी सर्विसेज के लिए परामर्श लिया जा रहा है.
हिमालय से बहकर सिंधु नदी में जमा है सोने का भंडार
भूवैज्ञानिकों का मानना है कि यह सोना हिमालय से सिंधु नदी के माध्यम से बहकर पाकिस्तान के क्षेत्र में जमा हुआ है. यह सोना नदी में छोटे-छोटे टुकड़ों या नगेट्स के रूप में पाया जाता है, जो निरंतर प्रवाह के कारण चपटे या गोल हो गए हैं. सिंधु नदी घाटी को खनिज संसाधनों से समृद्ध माना जाता है और इसे बहुमूल्य धातुओं का भंडार कहा जाता है.
पाकिस्तान को कंगाली से राहत मिलने की उम्मीद
पाकिस्तान फिलहाल गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जिसमें विदेशी मुद्रा भंडार की कमी और मुद्रा मूल्यह्रास शामिल हैं. दिसंबर 2024 तक पाकिस्तान के सोने के भंडार की कीमत 5.43 बिलियन डॉलर आंकी गई थी. यदि यह खनन अभियान सफल रहता है और पाकिस्तान इस सोने को निकालने में सक्षम होता है, तो इससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सकती है. यह खोज पाकिस्तान के खनन उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है.
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पाकिस्तान के लिए वरदान साबित होगा सोना या आतंकवाद की चढ़ेगा भेंट?
आने वाले महीनों में यह तय होगा कि सोने की यह खोज पाकिस्तान के लिए आर्थिक वरदान साबित होगी या फिर आतंकवाद की भेंट चढ़ जाएगी. यदि खनन प्रक्रिया सफल रहती है, तो इससे पाकिस्तान की वैश्विक स्थिति मजबूत हो सकती है और आर्थिक संकट से उबरने में सहायता मिल सकती है. वहीं, अगर वह इसका इस्तेमाल आतंकवादी संगठनों को सहायता करने में कर देता है, तो उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो सकता है. यह आशंका इसलिए भी जाहिर की जा रही है, क्योंकि पाकिस्तान अब भी खूंखार आतंकवादियों और उनके संगठनों का पनाहगाह बना हुआ है.
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