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PM SVANidhi Yojana: मोदी सरकार ने रेहड़ी-पटरी वालों के लिए खोला खजाना, बढ़ा दी लोन की लिमिट

PM SVANidhi Yojana: पीएम स्वनिधि योजना के तहत मोदी सरकार ने रेहड़ी-पटरी वालों के लिए बड़ी राहत दी है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस योजना को 31 मार्च 2030 तक बढ़ाते हुए 7,332 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है. अब लोन की पहली किस्त 15,000 रुपये और दूसरी किस्त 25,000 रुपये कर दी गई है, जबकि तीसरी किस्त 50,000 रुपये बनी रहेगी. साथ ही रुपे क्रेडिट कार्ड, डिजिटल भुगतान पर कैशबैक और प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं भी शामिल की गई हैं.

PM SVANidhi Yojana: केंद्र की मोदी सरकार ने देश के रेहड़ी-पटरी वालों के लिए अपना खजाना खोल दिया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार 27 अगस्त, 2025 को 7,332 करोड़ रुपये के खर्च के साथ इस योजना को पुनर्गठित कर दिया है और इसकी अवधि को 31 मार्च 2030 तक बढ़ा दिया है. इसके साथ ही, सरकार ने इस योजना के तहत रेहड़ी-पटरी वालों को मिलने वाले लोन की लिमिट बढ़ाने का भी फैसला किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस फैसले को मंजूरी दी गई. पुनर्गठित योजना का लक्ष्य है कि अब तक लाभार्थी रहे लोगों के अलावा 50 लाख नए रेहड़ी-पटरी वालों सहित 1.15 करोड़ लोगों को योजना का लाभ मिले.

पीएम स्वनिधि योजना क्या है?

प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि योजना) सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसे 1 जून, 2020 को कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू किया गया था. उस समय महामारी से रेहड़ी-पटरी और छोटे विक्रेता सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे. उनके व्यापार को दोबारा खड़ा करने और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से उन्हें आसान शर्तों पर सस्ता लोन उपलब्ध कराने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई. इस योजना के तहत स्ट्रीट वेंडर्स, ठेले वाले, रेहड़ी-पटरी वाले और छोटे दुकानदारों को बिना गारंटी के बैंक से लोन मिलता है.

बढ़ गई लोन की लिमिट

सरकार ने योजना के पुनर्गठन के बाद अब लोन की लिमिट भी बढ़ा दी है. इस योजना के तहत लोन की पहली किस्त को 10,000 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये कर दिया है. इसके अलावा, इसकी दूसरी किस्त को 20,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये और तीसरी किस्त को 50,000 रुपये पर पहले की तरह यथावत रखा गया है. सरकार के इस फैसले के बाद छोटे विक्रेता अब अधिक पूंजी लेकर अपना कारोबार बेहतर तरीके से आगे बढ़ा पाएंगे.

डिजिटल पेमेंट और क्रेडिट कार्ड की सुविधा

सरकार ने इस योजना में आधुनिक सुविधाओं को भी शामिल किया है. समय पर दूसरी किस्त चुकाने वाले विक्रेताओं को अब यूपीआई से जुड़ा रुपे क्रेडिट कार्ड मिलेगा. इसके जरिए वे आकस्मिक व्यावसायिक और व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा कर सकेंगे. इसके साथ ही, खुदरा और थोक लेनदेन में डिजिटल भुगतान अपनाने वाले विक्रेताओं को 1,600 रुपये तक का कैशबैक प्रोत्साहन दिया जाएगा.

पीएम स्वनिधि योजना के फायदे

पीएम स्वनिधि योजना केवल वित्तीय सहायता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य विक्रेताओं को आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सक्षम बनाना है. इसके कुछ प्रमुख फायदे भी हैं.

  • बिना गारंटी के लोन: छोटे विक्रेता आसानी से बैंक से लोन ले सकते हैं.
  • कम ब्याज दर: सस्ती पूंजी मिलने से व्यापार बढ़ाने में मदद मिलेगी.
  • डिजिटल भुगतान को बढ़ावा: विक्रेताओं को डिजिटल इंडिया से जोड़ा जा रहा है.
  • रुपे क्रेडिट कार्ड की सुविधा: आकस्मिक जरूरतों के लिए आसानी से क्रेडिट उपलब्ध होगा.
  • कैशबैक प्रोत्साहन: डिजिटल लेनदेन करने वाले विक्रेताओं को 1,600 रुपये तक की अतिरिक्त मदद मुहैया कराई जाएगी.
  • स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा प्रशिक्षण: एफएसएसएआई की साझेदारी में रेहड़ी-पटरी वालों को स्वच्छता और सुरक्षा मानकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा.
  • क्षमता निर्माण: उद्यमिता, वित्तीय साक्षरता, डिजिटल कौशल और विपणन पर जोर.

पीएम स्वनिधि योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी

इस योजना को दो मंत्रालय और विभाग मिलकर लागू करेंगे. इसमें योजना का संचालन आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय करेगा. वहीं, वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) बैंकों और वित्तीय संस्थानों के माध्यम से लोन और क्रेडिट कार्ड की सुविधा उपलब्ध कराएगा.

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पीएम स्वनिधि योजना की उपलब्धियां

योजना की शुरुआत से अब तक इसका असर काफी बड़ा रहा है. 30 जुलाई 2025 तक, 68 लाख से अधिक रेहड़ी-पटरी वालों को 96 लाख से अधिक लोन वितरित किए गए. कुल मिलाकर अब तक लगभग 13,797 करोड़ रुपये का कर्ज वितरित हो चुका है. यह आंकड़ा दिखाता है कि योजना ने छोटे विक्रेताओं की आजीविका को स्थिर बनाने में अहम भूमिका निभाई है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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