PM Aasha Yojana: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए दलहन आत्मनिर्भरता मिशन की शुरुआत कर दी है. इसका उद्देश्य घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी करना, आयात पर निर्भरता में कमी और किसानों की आय में स्थायी सुधार करके दलहन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है. सबसे खास बात यह है कि सरकार न केवल दालों के उत्पादन को बढ़ाकर देश के आत्मनिर्भर बनाना चाहती है, बल्कि किसानों की आमदनी को बढ़ाना चाहती है. सरकार चाहती है कि दाल उगाने वाले किसानों को उनकी मेहनत का पूरा पैसा मिले और उनकी फसल की समय पर खरीद की जा सके. इसी दिशा में प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) शुरू किया गया है, जो किसानों की आर्थिक सुरक्षा को सशक्त करने की दिशा में एक ठोस कदम है.
पीएम आशा योजना क्या है?
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम आशा) की शुरुआत सितंबर 2018 में की गई थी. इसका लक्ष्य किसानों को दलहन, तिलहन और खोपरा जैसी फसलों पर लाभकारी मूल्य दिलाना है, ताकि उन्हें बाजार की अनिश्चितता से सुरक्षा मिल सके. सरकार ने सितंबर 2024 में इस एकीकृत पीएम-आशा योजना को आगे बढ़ाने की मंजूरी दी, ताकि दाल और तिलहन उत्पादन को आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ाया जा सके. सरकार की इस योजना में तीन प्रमुख घटक शामिल हैं.
- मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस): इसके तहत सरकार किसानों की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदती है.
- मूल्य घाटा भुगतान योजना (पीडीपीएस): अगर बाजार मूल्य एमएसपी से कम होता है, तो सरकार किसानों को अंतर की भरपाई करती है.
- बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस): बाजार में कीमतें स्थिर रखने और किसानों की फसल की बिक्री सुनिश्चित करने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई है.
सरकार का उद्देश्य क्या है?
प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, पीएम आशा योजना के तहत सरकार ने अरहर (तूअर), उड़द और मसूर जैसी प्रमुख दालों की सौ फीसदी खरीदारी सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है. इस पहल के तहत भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) किसानों से सीधे खरीद करेंगे. चार साल के भीतर सभी भागीदार राज्यों में यह व्यवस्था लागू होगी. किसानों को उनकी फसल की उचित और समय पर कीमत मिलेगी. यह पहल किसानों को दलहन उत्पादन की ओर आकर्षित करेगी, जिससे भारत आयात पर निर्भरता कम करके घरेलू आत्मनिर्भरता हासिल करेगा.
सरकार का प्रोसेसिंग और वैल्यू एडिशन पर फोकस
सरकार के मिशन का एक और प्रमुख उद्देश्य फसलों के उत्पादन के बाद वैल्यू चेन को मजबूत करना है. इसके लिए सरकार 1,000 प्रोसेसिंग और पैकेजिंग यूनिट की स्थापना करेगी. प्रत्येक यूनिट को 25 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी. इन यूनिट्स से फसल का नुकसान घटेगा, वैल्यू एडिशन बढ़ेगा और गांवों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे. इसके अलावा, नीति आयोग की सिफारिशों के आधार पर क्लस्टर बेस्ड अप्रोच अपनाया जाएगा. इससे संसाधनों का बेहतरीन इस्तेमाल, जियोगरफिकल डाइवर्सिफिकेशन और फसल उत्पादन में क्षेत्रीय संतुलन प्राप्त किया जा सकेगा.
2030 तक लक्ष्य हासिल करने की योजना
सरकार ने इस मिशन के लिए स्पष्ट लक्ष्य तय किए हैं, जो 2030-31 तक हासिल करने की योजना है. इसके तत देश में दलहन की खेती का क्षेत्रफल बढ़ाकर 310 लाख हेक्टेयर करना, उत्पादन को 350 लाख टन तक बढ़ाना और फसलों की उपज को 1,130 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक बढ़ाना है. इन लक्ष्यों से न केवल भारत दालों में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि किसानों की कमाई में भी स्थायी बढ़ोतरी होगी.
आर्थिक सुरक्षा कवच बनेगी योजना
सरकार की पीएम आशा योजना देश के लिए आर्थिक सुरक्षा कवच की तरह काम करेगी. इसके जरिए किसानों को कई तरह के फायदे मिलेंगे.
- सबसे पहले किसानों को एमएसपी की गारंटी मिलेगी.
- बाजार में कीमतों की अनिश्चितता खत्म होगी और उचित दाम मिल सकेंगे.
- दालों के आयात घटने से विदेशी मुद्रा बचत होगी.
- जलवायु अनुकूल और मिट्टी के स्वास्थ्य को बढ़ाने वाली खेती को बढ़ावा मिलेगा.
- ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.
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किसानों के सपनों को ऐसे मिलेगी उड़ान
पीएम आशा योजना न केवल किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगी, बल्कि उन्हें एक स्थायी और सम्मानजनक आजीविका भी प्रदान करेगी. सरकार का यह कदम किसानों को “अन्नदाता से आत्मनिर्भर उद्यमी” में बदलने की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन साबित होगा. इस योजना से भारत में दलहन आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, रोजगार सृजन होगा और ग्रामीण विकास के नए अध्याय की शुरुआत होगी.
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