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एसआईपी से होगी मोटी कमाई या म्यूचुअल फंड बजाएगा डंका, जानें आपको कौन दिलाएगा महारिटर्न?

SIP vs Mutual Fund: एसआईपी और म्यूचुअल फंड दोनों निवेश के लोकप्रिय विकल्प हैं, लेकिन इनमें कई अंतर हैं. म्यूचुअल फंड में निवेश एकमुश्त होता है और फंड मैनेजर द्वारा शेयर, बॉन्ड और हाइब्रिड फंड में किया जाता है. एसआईपी में मासिक या तिमाही छोटे निवेश होते हैं और कंपाउंडिंग के लाभ से लॉन्ग टर्म रिटर्न बढ़ता है. दोनों में टैक्स बेनिफिट, प्रोफेशनल मैनेजमेंट और जोखिम संतुलन का फायदा मिलता है. यह लेख बताएगा कि आपके लिए कौन सा निवेश विकल्प बेहतर है.

SIP vs Mutual Fund: निवेशक हमेशा अपने पोर्टफोलियो के लिए बेहतर ऑप्शन तलाशते रहते हैं. बाजार में हेज फंड, यूलिप, ईएलएसएस, एसब्ल्यूपी समेत कई दूसरे विकल्प भी मौजूद हैं. लेकिन, सबसे लोकप्रिय और सुरक्षित विकल्प म्यूचुअल फंड और एसआईपी हैं. जो लोग जोखिम उठाने की क्षमता रखते हैं और लॉन्ग टर्म में मोटी कमाई करना चाहते हैं, वे इनमें से किसी एक ऑप्शन को चूज करते हैं. लेकिन, जो नए लोग और इनमें से किसी एक फंड में पैसा लगाना चाहते हैं, उन्हें इन दोनों के बारे में जान लेना चाहिए, तभी कोई कदम उठाना चाहिए. आइए, यह जानते हैं कि आपके लिए म्यूचुअल फंड और एसआईपी में से कौन बेतहर ऑप्शन होगा.

म्यूचुअल फंड क्या है?

म्यूचुअल फंड निवेश का एक ऐसा माध्यम है, जिसमें फंड हाउस या एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (एएमसी) निवेशकों से पैसा इकट्ठा करती हैं और इसे शेयर, बॉन्ड, कमोडिटी जैसे विभिन्न निवेश साधनों में इन्वेस्ट करती हैं. इसका उद्देश्य जोखिम को कम करके लाभ को अधिकतम करना होता है.

म्यूचुअल फंड के फायदे क्या हैं?

निवेशकों का पैसा कई एसेट्स में विभाजित होता है, जिससे जोखिम कम हो जाता है. फंड मैनेजर द्वारा पोर्टफोलियो का प्रोफेशनल मैनेजमेंट किया जाता है. खास बात यह है कि आप इसमें एकमुश्त (लंपसम) निवेश कर सकते हैं. बाजार में कई प्रकार के म्यूचुअल फंड उपलब्ध हैं. इनमें स्मॉल-कैप, मिड-कैप और लार्ज-कैप फंड, इंडेक्स फंड और हाइब्रिड फंड शामिल हैं.

एसआईपी क्या है?

एसआईपी (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) भी म्यूचुअल फंड में निवेश का एक माध्यम है, लेकिन इसमें नियमित तौर पर हर महीने या प्रत्येक तीसरे महीने छोटे निवेश किए जाते हैं. आप कम से कम 500 रुपये से इसकी शुरुआत कर सकते हैं. फंड मैनेजर आपकी ओर से निवेश करता है और जोखिम को कम रखते हुए लाभ को अधिकतम करता है. एसआईपी का सबसे बड़ा फायदा कंपाउंडिंग (चक्रवृद्धि ब्याज) है, जिससे लॉन्ग टर्म में रिटर्न बढ़ता है.

म्यूचुअल फंड और एसआईपी में अंतर क्या है?

म्यूचुअल फंड और एसआईपी में कई महत्वपूर्ण अंतर हैं. म्यूचुअल फंड में निवेश एकमुश्त किया जाता है, जबकि एसआईपी में मंथली या क्वार्टरली छोटे-छोटे निवेश होते हैं. म्यूचुअल फंड और एसआईपी दोनों ही डेट, इक्विटी और हाइब्रिड फंड्स में निवेश करते हैं, लेकिन एसआईपी में निवेश छोटे हिस्सों में किया जाता है. बाजार की अस्थिरता का प्रभाव म्यूचुअल फंड पर अधिक पड़ता है, जबकि एसआईपी में नियमित छोटे निवेश समय के साथ उतार-चढ़ाव को बैलेंस करते हैं. फीस की बात करें तो म्यूचुअल फंड में एएमसी फीस और ट्रांजेक्शन चार्ज अधिक होते हैं, जबकि एसआईपी में ये बहुत कम होते हैं.

निवेशकों के लिए और दूसरे फायदे क्या हैं?

  • जोखिम प्रबंधन: म्यूचुअल फंड और एसआईपी दोनों ही बाजार जोखिम के अधीन हैं.
  • टैक्स बेनिफिट: आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत निवेशक 1,50,000 रुपये तक की छूट का दावा कर सकते हैं.
  • लचीला निवेश: एसआईपी मासिक निवेश के कारण निवेशकों के लिए बजट के अनुकूल है, जबकि म्यूचुअल फंड में एकमुश्त निवेश लंबी अवधि में रिटर्न बढ़ाने में सहायक है.
  • प्रोफेशनल मैनेजमेंट: दोनों में फंड मैनेजर का मैनेजमेंट निवेशक के समय और प्रयास को बचाता है.

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एसआईपी और म्यूचुअल फंड में बेहतर कौन है?

म्यूचुअल फंड और एसआईपी दोनों ही निवेश के लिहाज से बेहतरीन ऑप्शन हैं. अगर आप एकमुश्त निवेश करना चाहते हैं और बंपर रिटर्न के लिए लंबी अवधि की योजना बना रहे हैं, तो म्यूचुअल फंड सबसे बेहतर ऑप्शन है. अगर आप नियमित तौर पर छोटी राशि निवेश करना चाहते हैं और कंपाउंडिंग के लाभ लेना चाहते हैं, तो एसआईपी सही ऑप्शन है. दोनों ऑप्शन निवेशकों को पोर्टफोलियो का बैलेंस, जोखिम मैनेजमेंट और फाइनेंशियल स्कीम बनाने में मदद करते हैं. नए निवेशकों के लिए यह समझना जरूरी है कि एसआईपी और म्यूचुअल फंड के अलग-अलग कॉन्सेप्ट हैं, लेकिन दोनों ही बाजार में निवेश के प्रभावी तरीके हैं.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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