ED Action: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) अशोक पाल को धन शोधन के एक गंभीर मामले में गिरफ्तार किया है. यह कार्रवाई 68 करोड़ रुपये की कथित फर्जी बैंक गारंटी जारी करने से जुड़ी है. ईडी के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, अशोक पाल को शुक्रवार रात प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत हिरासत में लिया गया और शनिवार को उन्हें विशेष अदालत में पेश किया गया.
68 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी का खुलासा
ईडी की जांच के अनुसार, यह मामला रिलायंस पावर की सहायक कंपनी रिलायंस न्यू बीईएसएस लिमिटेड (पूर्व नाम: महाराष्ट्र एनर्जी जनरेशन लिमिटेड) से संबंधित है. इस कंपनी ने सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई) के सामने 68.2 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा की थी, जो बाद में फर्जी पाई गई. जांच में सामने आया कि कंपनी ने यह बैंक गारंटी फिलीपींस के मनीला स्थित फर्स्टरैंड बैंक से प्रस्तुत की थी, जबकि इस बैंक की उस देश में कोई शाखा ही मौजूद नहीं है. यानी गारंटी पूरी तरह जाली थी और दस्तावेजों को इस तरह तैयार किया गया था कि वे असली जैसा लगे.
ओडिशा की कंपनी ‘बिस्वाल ट्रेडलिंक’ का नाम आया सामने
ईडी ने अपनी जांच में यह भी पाया कि ओडिशा स्थित बिस्वाल ट्रेडलिंक नामक कंपनी इस पूरे घोटाले का केंद्र थी. यह कंपनी कथित रूप से विभिन्न व्यावसायिक समूहों के लिए फर्जी बैंक गारंटी जारी करने का गिरोह चला रही थी. अगस्त 2025 में ईडी ने बिस्वाल ट्रेडलिंक और उसके प्रवर्तकों के ठिकानों पर छापेमारी की थी और इसके प्रबंध निदेशक पार्थ सारथी बिस्वाल को गिरफ्तार किया था. बिस्वाल कंपनी पर आरोप है कि वह 8% कमीशन लेकर फर्जी गारंटी जारी करती थी और बैंकिंग चैनलों को गुमराह करने के लिए फर्जी ईमेल डोमेन का उपयोग करती थी.
रिलायंस पावर की भूमिका और बोर्ड की मंजूरी
ईडी के सूत्रों ने बताया कि अशोक पाल ने इस फर्जीवाड़े में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. कंपनी के बोर्ड ने उन्हें और कुछ अन्य अधिकारियों को एसईसीआई की बीईएसएस परियोजना के लिए सभी वित्तीय दस्तावेजों को तैयार करने, अनुमोदित करने और हस्ताक्षर करने का अधिकार दिया था. इन अधिकारियों ने रिलायंस पावर की वित्तीय क्षमता का इस्तेमाल करते हुए फर्जी गारंटी के माध्यम से बोली लगाई. इस पूरी प्रक्रिया में पैसों का लेनदेन कई खातों के जरिए किया गया, जिनमें से अधिकांश बाद में ‘अघोषित बैंक खाते’ पाए गए.
फर्जी ईमेल और एसबीआई डोमेन का दुरुपयोग
ईडी की जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा भी हुआ कि बिस्वाल ट्रेडलिंक ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के ईमेल डोमेन से मिलते-जुलते नकली डोमेन बनाए थे. इसका उद्देश्य था कि जब वे एसईसीआई या अन्य सरकारी संस्थाओं को मेल भेजें, तो वे एसबीआई के आधिकारिक मेल की तरह दिखें. इन फर्जी ईमेल्स के माध्यम से झूठे बैंक संदेश भेजे गए, जिससे एसईसीआई को यह भरोसा दिलाया गया कि बैंक गारंटी असली है. ईडी को संदेह है कि यह गिरोह लंबे समय से इसी तरीके से कई कंपनियों को ठगता आ रहा था.
मनी लॉन्ड्रिंग की गहरी परतों का हुआ खुलासा
जांच से यह भी सामने आया कि इस फर्जी गारंटी के एवज में कमीशन के तौर पर करोड़ों रुपये का लेनदेन किया गया. बिस्वाल ट्रेडलिंक और उससे जुड़ी कंपनियों ने इस धन को कई फर्जी बैंक खातों में स्थानांतरित किया. ईडी ने यह भी पाया कि कंपनी ने अपने रजिस्टर्ड पते पर कोई व्यवसायिक गतिविधि नहीं की थी. छापेमारी के दौरान पता चला कि कंपनी का ऑफिस वास्तव में उसके मालिक पार्थ सारथी बिस्वाल के एक रिश्तेदार का घर था, जहां किसी तरह का कोई व्यावसायिक रिकॉर्ड मौजूद नहीं था.
रिलायंस ग्रुप ने दी सफाई
घोटाले के उजागर होने के बाद रिलायंस ग्रुप ने बयान जारी कर कहा कि वह इस मामले में ‘धोखाधड़ी और जालसाजी की साजिश’ का शिकार हुआ है. कंपनी ने यह भी बताया कि उसने अक्टूबर 2024 में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में तीसरे पक्ष बिस्वाल ट्रेडलिंक के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी. रिलायंस ग्रुप ने नवंबर 2024 में स्टॉक एक्सचेंज को इस संदर्भ में आधिकारिक खुलासा भी किया था. ग्रुप के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी कानून की उचित प्रक्रिया का पालन कर रही है और वह जांच एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग करेगी.
दिल्ली पुलिस की एफआईआर और ईडी की एंट्री
यह पूरा मामला मूल रूप से दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा नवंबर 2024 में दर्ज एक प्राथमिकी से जुड़ा हुआ है. उस एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि कंपनी 8% कमीशन पर फर्जी बैंक गारंटी जारी करने के अवैध कारोबार में शामिल थी. इसके बाद, जब जांच में अंतरराज्यीय लेनदेन और विदेशी बैंक दस्तावेजों की बात सामने आई, तो ईडी ने इसमें हस्तक्षेप किया और मनी लॉन्ड्रिंग के पहलुओं की जांच शुरू की.
विशेष अदालत में पेशी
ईडी ने अशोक पाल को शनिवार को विशेष पीएमएलए अदालत में पेश किया और उन्हें रिमांड पर लेने की मांग की. जांच एजेंसी का मानना है कि अशोक पाल से पूछताछ के दौरान कई और महत्वपूर्ण नामों और कंपनियों का खुलासा हो सकता है, जिन्होंने इस फर्जी गारंटी से लाभ उठाया. साथ ही, ईडी यह भी जांच कर रही है कि कहीं यह पूरा नेटवर्क विदेशी बैंकिंग चैनलों और ऑफशोर खातों से जुड़ा तो नहीं है. जांच एजेंसी को संदेह है कि इस तरह की फर्जी गारंटियों के जरिए कई सौ करोड़ रुपये देश से बाहर भेजे गए हो सकते हैं.
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अनिल अंबानी ग्रुप के लिए बड़ी चुनौती
यह मामला अनिल अंबानी ग्रुप के लिए एक और बड़ी कानूनी चुनौती बनकर सामने आया है. पहले से ही वित्तीय संकट और लोन री-स्टक्चरिंग की प्रक्रियाओं से गुजर रही रिलायंस पावर के लिए यह विवाद उसकी साख और निवेशकों के भरोसे पर असर डाल सकता है. ईडी की कार्रवाई से यह साफ है कि एजेंसी कॉर्पोरेट स्तर पर होने वाले बैंकिंग फर्जीवाड़ों पर सख्ती से नजर रख रही है. आने वाले दिनों में इस मामले की दिशा यह तय करेगी कि क्या यह केवल कंपनी अधिकारियों की जिम्मेदारी थी या इसके पीछे ऊपरी स्तर तक साजिश फैली हुई है.
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भाषा इनपुट के साथ
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