New Income Tax Bill: लोकसभा ने सोमवार को आयकर विधेयक, 2025 को सिर्फ तीन मिनट में ध्वनिमत से पारित कर दिया. यह नया विधेयक 1961 से लागू आयकर अधिनियम की जगह लेगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष की नारेबाजी के बीच इसे सदन में पेश किया. यह विधेयक विशेष रूप से उन करदाताओं को राहत देगा, जो तय समय पर आयकर रिटर्न दाखिल नहीं कर पाते, लेकिन टीडीएस रिफंड का दावा करना चाहते हैं.
पुराने कानून की जगह नया प्रावधान
नया विधेयक मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 को पूरी तरह प्रतिस्थापित करेगा. पिछले कुछ वर्षों में पुराने कानून में कई संशोधन किए गए थे, लेकिन भाषा और प्रावधान जटिल बने हुए थे. नए कानून में मूल कर प्रावधानों को बरकरार रखते हुए भाषा को सरल और स्पष्ट बनाया गया है और अनावश्यक प्रावधानों को हटाया गया है.
फरवरी में हुआ था पेश, अगस्त में संशोधन
सरकार ने 13 फरवरी 2025 को लोकसभा में आयकर विधेयक, 2025 पेश किया था. इसे प्रवर समिति के पास भेजा गया, जिसकी अध्यक्षता भाजपा सांसद बैजयंत पांडा ने की. समिति ने कई बदलाव सुझाए, जिन्हें सरकार ने लगभग पूरी तरह स्वीकार किया. 8 अगस्त को पुराना विधेयक वापस लेकर नया संशोधित संस्करण पेश किया गया.
प्रवर समिति की अहम सिफारिशें
प्रवर समिति ने सुझाव दिया कि ऐसे करदाताओं को भी टीडीएस रिफंड का दावा करने की अनुमति दी जाए, जो निर्धारित समयसीमा के बाद रिटर्न दाखिल करते हैं. यह बदलाव संशोधित विधेयक में शामिल कर लिया गया है, जिससे लाखों करदाताओं को राहत मिलने की संभावना है.
हितधारकों की राय शामिल
वित्त मंत्री के अनुसार, प्रवर समिति की सिफारिशों के अलावा सरकार को हितधारकों से भी कई सुझाव प्राप्त हुए. इनमें कानूनी भाषा को और सटीक बनाने तथा मसौदे में वाक्यांशों का संरेखण सुधारने जैसे बिंदु शामिल थे. नतीजतन, नया विधेयक अधिक स्पष्ट और समझने में आसान रूप में तैयार किया गया है.
आयकर कानून में बदलावों का असर
- मूल कर प्रावधान बरकरार: पुराने अधिनियम के मुख्य प्रावधानों में कोई बड़ा बदलाव नहीं.
- भाषा में सरलता: कानूनी शब्दों को आम आदमी के लिए आसान बनाया गया.
- अनावश्यक धाराओं को हटाया गया: कई जटिल और अप्रासंगिक प्रावधान समाप्त कर दिए गए.
- टीडीएस रिफंड का नया प्रावधान: देर से रिटर्न दाखिल करने वालों को भी दावा करने की सुविधा प्रदान की गई है.
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आयकर कानून में बदलाव का नतीजा
नया आयकर (संख्यांक 2) विधेयक, 2025 पारित होने के साथ ही 60 साल पुराने आयकर अधिनियम का अंत हो जाएगा. इस कानून से कर प्रणाली सरल होगी, करदाताओं को अधिक सुविधा मिलेगी और टीडीएस रिफंड के नियम लचीले बनेंगे. सरकार का मानना है कि यह बदलाव करदाताओं के अधिकारों को मजबूत करेगा और कर प्रशासन को अधिक पारदर्शी बनाएगा.
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