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धमकी देने वाले ट्रंप को मूडीज की चेतावनी, टैरिफ का धौंस न दिखाएं वर्ना अमेरिका में आ रही मंदी

Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ की धौंस दिखाकर दुनिया भर में अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन, ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने उन्हें चेतावनी दी है कि उनकी ट्रेड पॉलिसी और रेसिप्रोकल टैरिफ की वजह से मंदी अमेरिका के दहलीज पर खड़ी दिखाई दे रही है. उसने कहा है कि सरकारी नौकरियों में कटौती ने अमेरिका की स्थिति को और भी खराब कर दिया है. ये ट्रंप प्रशासन की नीतियों का ही नतीजा है कि अगस्त महीने में अमेरिका का मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई इंडेक्स गिर गया है.

Donald Trump: दुनिया के देशों को टैरिफ की धमकी देकर अपनी ताकत दिखाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने चेतावनी दी है. रेटिंग एजेंसी मूडीज ने ताजा रिपोर्ट में बड़ा झटका देते हुए कहा है कि अमेरिका गंभीर मंदी की कगार पर खड़ा है. रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी अर्थव्यवस्था का एक-तिहाई हिस्सा पहले से ही संकट में है. यह चेतावनी न सिर्फ ट्रंप के लिए बल्कि अमेरिका के लिए भी बेहद चिंताजनक है.

अमेरिका पर मंडरा रहा मंदी का खतरा

मूडीज एनालिटिक्स के मुख्य अर्थशास्त्री मार्क जैंडी ने चेतावनी दी है कि अमेरिका में कई राज्य या तो मंदी से गुजर रहे हैं या जल्द ही उसकी चपेट में आने वाले हैं. उनके मुताबिक, अमेरिकी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग एक-तिहाई हिस्सा बनाने वाले राज्य गंभीर जोखिम में हैं. उन्होंने कहा कि बाकी एक-तिहाई राज्यों में आर्थिक ग्रोथ स्थिर है, जबकि केवल कुछ राज्य ही वृद्धि दर्ज कर पा रहे हैं. इसका मतलब यह है कि संपूर्ण परिदृश्य अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर धकेल रहा है.

सरकारी नौकरियों में कटौती से बढ़ा संकट

रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिका में सरकारी नौकरियों में कटौती ने स्थिति को और खराब कर दिया है. खासकर, उत्तर-पूर्व, मध्य-पश्चिम और वाशिंगटन डीसी क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं. जैंडी ने बताया कि ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद जनवरी से मई तक वाशिंगटन डीसी में 22,100 सरकारी नौकरियां खत्म हो चुकी हैं. यह आंकड़ा अर्थव्यवस्था की अस्थिरता और बढ़ती बेरोजगारी का संकेत देता है.

अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे बनाम हकीकत

राष्ट्रपति ट्रंप लगातार दावा कर रहे हैं कि जीडीपी ग्रोथ और महंगाई के आंकड़े उनकी नीतियों की सफलता को दर्शाते हैं. वह टैरिफ को अमेरिका की अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद बता रहे हैं. लेकिन, मूडीज और अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि आयात टैरिफ का नकारात्मक असर ज्यादा है. रिपोर्ट के अनुसार, मैन्युफैक्चरर्स ने मौजूदा कारोबारी माहौल को महामंदी से भी बदतर बताया है.

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त 2025 में अमेरिका का मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई घटकर 48.7 पर आ गया है. यह लगातार छठा महीना है, जब मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट दर्ज की गई है. कारखाने ट्रंप प्रशासन के टैरिफ के दुष्प्रभाव झेल रहे हैं. अत्यधिक आयात शुल्कों के कारण उत्पादन लागत बढ़ रही है और प्रतिस्पर्धा कमजोर हो रही है. इससे कई कंपनियां उत्पादन घटाने या बंद करने को मजबूर हो रही हैं.

आईएसएम सर्वे का खुलासा

इंस्टीट्यूट फॉर सप्लाई मैनेजमेंट (आईएसएम) के सर्वे के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में वस्तुओं का निर्माण बढ़ते आयात शुल्कों की वजह से बेहद मुश्किल हो गया है. मैन्युफैक्चरर्स का कहना है कि मौजूदा माहौल निवेश और रोजगार दोनों के लिए खतरनाक है.

ट्रंप का बचाव और आलोचना

हालांकि, तमाम चेतावनियों और आंकड़ों के बावजूद ट्रंप अपने ट्रेड पॉलिसी का बचाव करते दिखाई दे रहे हैं. उनका कहना है कि टैरिफ अमेरिका की इंडस्ट्री को दोबारा खड़ा करने और लंबे समय से गिरते औद्योगिक आधार को मजबूत करने के लिए जरूरी कदम है. विशेषज्ञों का तर्क है कि ट्रंप की यह रणनीति अल्पकालिक लाभ तो दे सकती है, लेकिन दीर्घकालिक रूप से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा सकती है.

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मंदी के मुहाने पर खड़ा है अमेरिका

मूडीज की चेतावनी और लगातार गिरते आर्थिक संकेतक बताते हैं कि अमेरिका वास्तव में मंदी के मुहाने पर खड़ा है. सरकारी नौकरियों की कटौती, मैन्युफैक्चरिंग में गिरावट और टैरिफ पॉलिसी का नकारात्मक असर अमेरिकी अर्थव्यवस्था को डांवाडोल कर रहे हैं. ऐसे में, ट्रंप प्रशासन को केवल दावे करने के बजाय व्यावहारिक और संतुलित नीतियों पर ध्यान देना होगा, वरना यह मंदी अमेरिका और वैश्विक अर्थव्यवस्था दोनों के लिए बड़ा खतरा बन सकती है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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