16.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

कौन कंपनी बनाती है मिग-21 लड़ाकू विमान, जो 3 जंगों में पाकिस्तान का बना काल

MiG-21 Retirement: भारतीय वायुसेना ने 26 सितंबर 2025 को अपने सबसे पुराने लड़ाकू विमान मिग-21 को रिटायर कर दिया. रूस के मिकोयान-गुरेविच द्वारा बनाए गए इस सुपरसोनिक विमान ने 1965, 1971 और 1999 की जंग में पाकिस्तान के खिलाफ अहम भूमिका निभाई. भारत ने 872 मिग-21 खरीदे और एचएएल ने 657 का निर्माण किया. इसकी कीमत 1.46 करोड़ से 10 करोड़ रुपये तक रही. तेज गति और किफायती कीमत के कारण इसे ‘बाज’ कहा गया. हालांकि, दुर्घटनाओं ने इसे ‘फ्लाइंग कॉफिन’ की छवि दी.

MiG-21 Retirement: साल 1965, 1971 और 1999 की जंग में पाकिस्तानी विमानों के लिए काल बनने वाला भारत का लड़ाकू विमान आज शुक्रवार 26 सितंबर 2025 को भारतीय वायुसेना से रिटायर हो गया. भारतीय वायुसेना ने अपने सबसे पुराने और प्रतिष्ठित लड़ाकू विमान मिग-21 को औपचारिक विदाई दी. चंडीगढ़ एयरबेस पर आयोजित समारोह में इसे वाटर सैल्यूट दिया गया. एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने ‘बदल 3’ कॉल साइन के साथ इसकी अंतिम उड़ान भरी, जिसमें स्क्वाड्रन लीडर प्रिया शर्मा जैसी महिला पायलट भी शामिल रहीं. मिग-21 के रिटायरमेंट के समय का क्षण बेहद भावुक था. मिग-21 की भारतीय वायुसेना से रिटायरमेंट के साथ ही लोगों के मन में सवाल पैदा हो रहे हैं कि इस लड़ाकू विमान को कौन कंपनी बनाती है? इसे खरीदने में भारत सरकार को कितने पैसे खर्च करने पड़ते हैं? आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

किसने बनाई मिग-21 लड़ाकू विमान

अंग्रेजी के अखबार द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, मिग-21 को रूस के मिकोयान-गुरेविच (MiG) डिजाइन ब्यूरो ने बनाया था. आर्टेम मिकोयान और मिखाइल गुरेविच ने 1950 के दशक में इसका डिजाइन तैयार किया था. 1959 से 1985 तक इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन हुआ और करीब 10,645 विमान तैयार किए गए. भारत ने साल 1961 में पश्चिमी विकल्पों (हॉकर हंटर) को नकारते हुए सोवियत संघ (आज के रूस) से इसे खरीदा, जिसमें तकनीकी हस्तांतरण और स्थानीय असेंबली के अधिकार शामिल थे. बाद में तकनीकी हस्तांतरण के तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने नासिक और बेंगलुरु संयंत्रों में 657 विमान बनाए. आज मिग कंपनी रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन का हिस्सा है.

मिग-21 की कीमत और लागत

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, मिग-21 की खरीद सस्ती और रणनीतिक थी. 1950-60 के दशक में प्रत्येक विमान की कीमत लगभग 2.9 मिलियन डॉलर (आज के मूल्य में करीब 25 मिलियन डॉलर) थी, जो अमेरिकी एफ-4 फैंटम से कई गुना कम था. भारत ने 1960-80 के बीच 872 विमान आयात किए, जिनकी अनुमानित कुल लागत 20-30 बिलियन डॉलर थी. पुराने मिग-21एफएल/एम की कीमत 1.46 करोड़ रुपये (0.33 मिलियन डॉलर) थी, जबकि नए मिग-21 बाइस की 10.10 करोड़ रुपये (2.30 मिलियन अमेरिकी डॉलर) थी. अपग्रेडेड बाइसन वर्जन (2000 के दशक में इजरायली सहायता से) की लागत 3-4 मिलियन डॉलर प्रति इकाई पहुंच गई. एचएएल के लाइसेंस उत्पादन ने लागत घटाई, लेकिन रखरखाव महंगा साबित हुआ. कुल मिलाकर, मिग-21 ने किफायती हवाई शक्ति प्रदान की, जो विकासशील देशों के लिए आदर्श था.

भारतीय वायुसेना का बाज था मिग-21

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, मिग-21 भारतीय वायुसेना के लिए ‘बाज’ की तरह तेज, चुस्त और घातक था. 1965 के भारत-पाक युद्ध में पहली बार इसने पाकिस्तानी एयरफोर्स के एफ-104 को मार गिराया. इसके बाद साल 1971 के युद्ध में ढाका एयरफील्ड पर बमबारी कर भारत की जीत में निर्णायक भूमिका निभाई. 1999 के कारगिल युद्ध में में ऊंचाई पर पहाड़ की ऊंची चोटियों पर पाकिस्तानी विमानों को धूल चटाई और 2019 बालाकोट एयरस्ट्राइक में एफ-16 मार गिराया. लेकिन, दुर्भाग्य से तकनीकी खामियां, पुराने डिजाइन और खराब मौसम की वजह से 400 से अधिक दुर्घटनाओं में 171 पायलटों की मौत ने इसे ‘फ्लाइंग कॉफिन’ बना दिया. फिर भी, पायलट इसे ‘क्लीवर बर्ड’ कहते हैं, जो बाज को भी चकमा दे जाता है.

इसे भी पढ़ें: PM Modi GST Cut: जीएसटी में एक और छूट के लिए हो जाएं तैयार! पीएम मोदी बोले- हम यहीं नहीं रुकेंगे

तेजस और राफेल युग की शुरुआत

मिग-21 की रिटायरमेंट के बाद भारतीय वायुसेना की स्क्वाड्रन संख्या घटकर 29 रह गई है. अब भारतीय वायुसेना में एचएएल का स्वदेशी एलसीए तेजस एमके-1ए शामिल हो रहा है. सितंबर 2025 में सरकार ने 7 बिलियन डॉलर का सौदा किया, जिसके तहत 97 तेजस विमान खरीदे जाएंगे. तेजस स्टेल्थ फीचर, अपडेटेड एवियोनिक्स और मल्टी-रोल क्षमता से लैस है. इसके अलावा, फ्रांस की लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनी द सॉल्ट से खरीदे गए राफेल फाइटर जेट्स के 36 विमान भी वायुसेना की शक्ति बढ़ा रहे हैं. अब भारतीय वायुसेना में तेजस और राफेल युग की शुरुआत होने जा रही है.

इसे भी पढ़ें: अमेजन के लिए एफडीआई नियमों में बदलाव करने जा रही सरकार? रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel