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अमेजन के लिए एफडीआई नियमों में बदलाव करने जा रही सरकार? रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

FDI Rules Change: भारत सरकार विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों में बदलाव कर अमेजन जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों को राहत देने की तैयारी में है. प्रस्ताव के तहत कंपनियां भारतीय विक्रेताओं से सीधे उत्पाद खरीदकर विदेशों में बेच सकेंगी. हालांकि, छोटे रिटेलरों ने इसका विरोध किया है और आशंका जताई है कि विदेशी कंपनियां सप्लाई चेन पर नियंत्रण बढ़ा लेंगी. सरकार का कहना है कि ढील केवल निर्यात के लिए होगी और नियमों में उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. यह प्रस्ताव भारत-अमेरिका व्यापार मतभेदों को सुलझाने की दिशा भी माना जा रहा है.

FDI Rules Change: भारत सरकार विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों को आसान बनाने की तैयारी कर रही है. इससे अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन को बड़ा फायदा हो सकता है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने एक मसौदा प्रस्ताव तैयार किया है, जिसमें अमेजन जैसी विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को भारतीय विक्रेताओं से सीधे सामान खरीदने और उसे विदेशों में ग्राहकों को बेचने की इजाजत दी जा सकती है.

अभी क्या है नियम और अमेजन की मांग

अभी तक भारत में विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को सीधे ग्राहकों को सामान बेचने की अनुमति नहीं है. वे केवल मार्केटप्लेस मॉडल पर काम कर सकती हैं. इसका मतलब यह है कि वे एक ऐसा प्लेटफॉर्म चला सकती हैं, जहां खरीदार और विक्रेता जुड़ें और कंपनी उनसे इसके बदले में शुल्क ले. अमेजन लंबे समय से इस नियम को आसान करने की मांग कर रही है, ताकि भारत के छोटे व्यवसायों और निर्यातकों के लिए वैश्विक बाजार तक पहुंच आसान हो सके.

भारत-अमेरिका व्यापार विवाद में नई कड़ी

रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह प्रस्ताव भारत और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापार विवादों के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. कई वर्षों से एफडीआई नीति और ई-कॉमर्स नियम दोनों देशों के बीच मतभेद का विषय रहे हैं. अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन ने भारत सरकार से अपील की थी कि नियमों को आसान बनाया जाए, ताकि निर्यात का विस्तार किया जा सके.

छोटे व्यापारियों की आपत्ति

हालांकि, इस प्रस्ताव का विरोध भी शुरू हो गया है. भारत के लाखों छोटे खुदरा विक्रेताओं का प्रतिनिधित्व करने वाला ऑल इंडिया ट्रेडर्स कॉन्फेडरेशन (कैट) सरकार से लगातार कह रहा है कि अमेजन जैसी विदेशी कंपनियों को राहत देना स्थानीय व्यापार के लिए नुकसानदेह होगा. उनका तर्क है कि अमेजन जैसी वित्तीय रूप से शक्तिशाली कंपनियां छोटे व्यवसायों को हाशिए पर धकेल सकती हैं. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने कहा, “यह नियम विदेशी कंपनियों को ऐसा नियंत्रण देगा, जिससे यह पता लगाना मुश्किल हो जाएगा कि सामान वास्तव में निर्यात के लिए है या घरेलू बाजार में बेचा जा रहा है.”

डायरेक्टरेट का मसौदा और खास मॉडल

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 10 पन्नों का मसौदा तैयार किया है. इसमें कहा गया है कि फिलहाल भारत के केवल 10% छोटे ऑनलाइन विक्रेता ही वैश्विक निर्यात में भाग लेते हैं. इसका कारण जटिल डॉक्यूमेंटेशन और अनुपालन संबंधी नियम बताए गए हैं. इस मसौदे में एक थर्ड-पार्टी एक्सपोर्ट फैसिलिटेशन मॉडल का सुझाव दिया गया है. इसके तहत ई-कॉमर्स कंपनियों से जुड़ी एक विशेष निर्यात एजेंसी बनेगी, जो नियमों का पालन सुनिश्चित करेगी. सरकार के प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि यह ढील केवल निर्यात के लिए लागू होगी और अगर कोई कंपनी इसका दुरुपयोग करती है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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पायलट प्रोजेक्ट और भविष्य की योजना

सरकार के मसौदे में कहा गया है कि यह नीति पहले पायलट आधार पर लागू की जाएगी. इसके बाद, अगर नतीजे सकारात्मक मिले, तो इसे बड़े स्तर पर पूरे ई-कॉमर्स सेक्टर में लागू किया जाएगा. इसका मतलब यह हुआ कि शुरुआत में सीमित दायरे में अमेजन जैसे प्लेटफॉर्म को सीधी खरीद-बिक्री की सुविधा मिलेगी और फिर बाद में इसका विस्तार दिया जाएगा.

अमेजन का दावा और भारत से निर्यात

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेजन ने दिसंबर 2024 में दावा किया था कि उसने 2015 से अब तक भारत के विक्रेताओं को कुल 13 अरब डॉलर के सामान के निर्यात में मदद की है. कंपनी का लक्ष्य 2030 तक इसे बढ़ाकर 80 अरब डॉलर तक पहुंचाने का है. अमेजन का कहना है कि प्रस्तावित बदलाव भारत के निर्यातकों को वैश्विक बाजार से जोड़ने में सहायक साबित होंगे.

प्रतिस्पर्धा कानून का विवाद

हालांकि, अमेजन पहले भी भारतीय कानूनों के दायरे में विवादों में रही है. पिछले साल भारतीय एंटीट्रस्ट जांच एजेंसी ने पाया था कि अमेजन ने भारी छूट देकर और चुनिंदा विक्रेताओं के साथ गठजोड़ करके प्रतिस्पर्धा कानून का उल्लंघन किया है. हालांकि, अमेजन ने इन आरोपों को खारिज किया और कहा कि उसका उद्देश्य केवल ग्राहकों को बेहतर दाम और सेवा देना है.

स्थानीय व्यापारियों की चिंता

भारत के छोटे व्यापारी और ट्रेड बॉडीज का मानना है कि यह नीति विदेशी कंपनियों को सप्लाई चेन पर और ज्यादा पकड़ बनाने का अवसर देगी. उन्हें इस बात का डर है कि अगर अमेजन जैसे ई-कॉमर्स दिग्गज सीधे सामान खरीदने और बेचने लगेंगे, तो स्थानीय दुकानदारों और थोक व्यापारियों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है.

सरकार की सख्ती का आश्वासन

सरकार ने मसौदे में साफ किया है कि यह ढील केवल निर्यात पर केंद्रित होगी. घरेलू बाजार में सामान बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी. साथ ही, नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर कड़ी सजा और कानूनी कार्रवाई होगी. सरकार का तर्क है कि विदेशी निवेश नियमों में बदलाव से भारत के छोटे व्यवसायों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने उत्पाद बेचने का अवसर मिलेगा.

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अमेजन को मिल सकता है सीधा लाभ

भारत सरकार का यह कदम एक ओर विदेशी निवेशकों और अमेरिकी कंपनियों के लिए राहत का संकेत है, तो दूसरी ओर घरेलू व्यापारियों के लिए चिंता का विषय भी बन गया. अमेजन को इससे सीधा लाभ मिल सकता है, लेकिन सवाल यह है कि क्या छोटे व्यवसाय इस प्रतिस्पर्धा में टिक पाएंगे. सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि वह विदेशी निवेश को बढ़ावा देते हुए भारतीय छोटे व्यापारियों के हितों की रक्षा कैसे करे.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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