ITR Filling: आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने में अगर आप निर्धारित समय-सीमा में चूक गए हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है. सरकार ने आकलन वर्ष 2025-26 के लिए आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तिथि सरकार ने 15 सितंबर से बढ़ाकर 16 सितंबर 2025 कर दी थी. यह कदम मुख्यतः तकनीकी खामियों और टैक्सपेयर्स को राहत देने के उद्देश्य से उठाया गया. लेकिन यदि आपने इस एक दिन की अतिरिक्त समय-सीमा में भी आईटीआर दाखिल नहीं किया है, तो चिंता की कोई बात नहीं है. आयकर विभाग ने इसके लिए वैकल्पिक रास्ते उपलब्ध कराए हैं.
आईटीआर फाइल करने का विकल्प
यदि कोई टैक्सपेयर निर्धारित समय सीमा तक अपना आयकर रिटर्न दाखिल नहीं कर पाया है, तो वह अब भी लेट फीस के साथ 31 दिसंबर 2025 तक आईटीआर फाइल कर सकता है. आयकर विभाग ने नियमों के तहत अतिरिक्त समय की सुविधा दी है, जिसे बिलेटेड रिटर्न कहा जाता है. यानी, अंतिम समय सीमा निकल जाने के बाद भी टैक्सपेयर्स के पास मौका रहता है, लेकिन इसके लिए उन्हें जुर्माना भरना होगा. इस साल के लिए आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 तय की गई है.
लेट फाइल करने के नियम
आयकर अधिनियम की धारा 234एफ के तहत लेट रिटर्न दाखिल करने पर पेनाल्टी लगाई जाती है. जिन टैक्सपेयर्स की सालाना आय 5 लाख रुपये से अधिक है, उन्हें लेट रिटर्न फाइल करने पर 5,000 रुपये तक का जुर्माना देना होगा. वहीं, जिनकी सालाना आय 5 लाख रुपये तक है, उन्हें अधिकतम 1,000 रुपये की लेट फीस देनी होगी. इस तरह, लेट फीस की राशि टैक्सपेयर की आय पर निर्भर करती है.
लेट फाइलिंग से जुड़ी चुनौतियां
लेट से आईटीआर फाइल करने पर टैक्सपेयर्स को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
- टैक्स रिफंड में देरी: समय पर आईटीआर दाखिल न करने पर रिफंड प्रोसेस में लंबा समय लग सकता है.
- स्क्रूटनी का खतरा: लेट फाइलिंग से आयकर विभाग की अतिरिक्त जांच का सामना करना पड़ सकता है.
- ब्याज का भुगतान: यदि टैक्सपेयर पर कोई बकाया टैक्स बनता है और उसने समय पर आईटीआर दाखिल नहीं किया, तो उसे आयकर एक्ट की धारा 234ए के तहत बकाया राशि पर 1% मासिक ब्याज चुकाना पड़ेगा.
बिलेटेड रिटर्न का महत्व
बिलेटेड रिटर्न टैक्सपेयर के लिए एक राहत भरा विकल्प है. इसके माध्यम से, समय सीमा चूकने के बाद भी टैक्सपेयर अपने कर दायित्वों को पूरा कर सकता है. हालांकि, लेट फीस और ब्याज के चलते यह विकल्प महंगा साबित हो सकता है. फिर भी, यह विकल्प बेहतर है, क्योंकि समय पर आईटीआर दाखिल न करने से कई वित्तीय समस्याएं खड़ी हो सकती हैं. इसमें लोन प्रक्रिया में दिक्कत, वीजा आवेदन में समस्या और वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता की कमी शामिल हैं.
टैक्सपेयर को क्या करना चाहिए?
- सबसे पहले अपनी आय, निवेश और टैक्स डिडक्शन से जुड़े सभी दस्तावेज़ व्यवस्थित कर लें.
- आयकर विभाग के पोर्टल पर जाकर आवश्यक विवरण भरें.
- यदि आपको कोई समस्या आती है तो किसी कर विशेषज्ञ या चार्टर्ड अकाउंटेंट से परामर्श करें.
- 31 दिसंबर 2025 की अंतिम तिथि से पहले अपना बिलेटेड रिटर्न जरूर दाखिल करें, ताकि अनावश्यक पेनाल्टी और ब्याज से बचा जा सके.
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टैक्सपेयर्स के पास विकल्प मौजूद
आयकर रिटर्न दाखिल करना केवल कानूनी दायित्व ही नहीं, बल्कि वित्तीय अनुशासन का भी हिस्सा है. सरकार ने तकनीकी खामियों को देखते हुए समय सीमा को एक दिन बढ़ाया था, लेकिन जिन टैक्सपेयर्स ने 16 सितंबर 2025 तक भी आईटीआर फाइल नहीं किया है, उनके पास अब भी विकल्प मौजूद है. 31 दिसंबर 2025 तक लेट फीस और ब्याज के साथ बिलेटेड रिटर्न फाइल किया जा सकता है. इसलिए समय पर अपने दस्तावेज तैयार करें और आयकर विभाग की स्क्रूटनी से बचने के लिए जल्द से जल्द आईटीआर दाखिल करें.
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