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200 से अधिक देशों के लोग खाते हैं भारत की जेनरिक दवा, यूं ही नहीं कहा जाता दुनिया की फार्मेसी

Indian Pharma Sector: अमेरिका के 100% टैरिफ फैसले से भारत की जेनेरिक दवाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा. भारत को ‘दुनिया की फार्मेसी’ कहा जाता है क्योंकि यह 200 से अधिक देशों को दवाएं सप्लाई करता है. साल 2024 में भारत का फार्मा निर्यात 27.9 बिलियन डॉलर पहुंचा और इसमें जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा योगदान रहा. अमेरिका भारत का सबसे बड़ा बाजार है, जहां 40% जेनेरिक दवाएं भारत से आती हैं. भारतीय कंपनियां वैश्विक स्तर पर लागत बचत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.

Indian Pharma Sector: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पेटेंट और ब्रांडेड दवाओं के आयात पर 100% टैरिफ लगाकर पूरी दुनिया में हड़कंप मचा दिया है. उनके इस कदम से दवा कंपनियों के शेयरों में भले ही तेज गिरावट दर्ज की जा रही हो, लेकिन भारत पर इस टैरिफ का असर न के बराबर पड़ेगा. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि अमेरिका ने जेनरिक दवाओं के आयात पर टैरिफ नहीं लगाया है और दुनिया के करीब 200 से अधिक देशों के लोग भारत की जेनरिक दवाओं का सेवन करते हैं. वैश्विक स्तर पर भारत दुनिया भर में जेनरिक दवाओं का सबसे बड़ा सप्लायर देश है. यही वजह है कि भारत को ‘दुनिया की फार्मेसी’ कहा जाता है. इतना ही नहीं, भारत पूरी दुनिया में वैक्सीन का बादशाह भी कहा जाता है.

अमेरिका में इलाज खर्च कम करता है भारत

प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 में भारत ने करीब 27.9 बिलियन डॉलर तक दवाओं का निर्यात किया, जो कुल फार्मा बाजार का 50% से अधिक है. जेनरिक दवाएं भारत के निर्यात का मुख्य आधार हैं, जो अमेरिका जैसे बाजारों में इलाज में होने वाले खर्च को कम करती हैं. अंग्रेजी के अखबार द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत जेनेरिक दवाओं का 20% वैश्विक निर्यात करता है, जो 200 से अधिक देशों में पहुंचता है.

भारतीय जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा खरीदार है अमेरिका

द हिंदू की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत विश्व की लगभग 20% जेनेरिक दवाओं का निर्यात करता है, जो 200 से अधिक देशों में पहुंचती हैं. अमेरिका इसमें सबसे बड़ा खरीदार है, जहां भारत का हिस्सा 31% यानी 8.73 बिलियन डॉलर है. भारत वहां की कुल जेनेरिक मांग का 40% पूरा करता है. इसके अलावा, यूरोप में ब्रिटेन और नीदरलैंड्स प्रमुख खरीदार हैं, जबकि अफ्रीका भारत के लिए रणनीतिक रूप से अहम क्षेत्र है. अफ्रीका में मलेरिया, एचआईवी और टीबी जैसी बीमारियों की दवाओं की भारी मांग रहती है और भारत वहां 70% तक की आपूर्ति करता है. लैटिन अमेरिका, दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य पूर्व भी तेजी से बढ़ते बाजार हैं. कुल मिलाकर भारत के 55% निर्यात अमेरिका और यूरोप जैसे बाजारों में जाते हैं, जो गुणवत्ता की दृष्टि से बेहद कड़े माने जाते हैं.

ब्रांडेड दवा और वैक्सीन का भी निर्यात करता है भारत

जेनेरिक दवाओं के अलावा भारत ब्रांडेड दवाओं और वैक्सीन का भी निर्यात करता है. 2024 में भारत का कुल दवा निर्यात 27.82 बिलियन डॉलर था, जिसमें से 78.94% हिस्सा फॉर्मूलेशन और बायोलॉजिक्स का था. उत्तरी अमेरिका कुल निर्यात का 34% और अफ्रीका 18% हिस्सा लेता है. यूरोपीय यूनियन, आसियान देश, लैटिन अमेरिका और मध्य पूर्व भारत के लिए तेजी से विस्तार करते बाजार हैं. भारत वैश्विक वैक्सीन आपूर्ति का 60% करता है और कोविड-19 महामारी के दौरान 133 देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराकर अपनी अहमियत साबित कर चुका है.

इन कंपनियों के दम पर भारत का है दबदबा

भारत की फार्मा इंडस्ट्री का वैश्विक दबदबा उसकी प्रमुख कंपनियों के दम पर है. इनमें सन फार्मा दुनिया की चौथी सबसे बड़ी जेनेरिक कंपनी है, जिसका 32% राजस्व अमेरिका से आता है. डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज 30% राजस्व उत्तर अमेरिका से कमाता है और ऑन्कोलॉजी व इम्यूनोलॉजी में विशेषज्ञ है. सिप्ला एचआईवी एड्स दवाओं में अग्रणी है, जबकि लुपिन अमेरिका की तीसरी सबसे बड़ी प्रिस्क्रिप्शन कंपनी है. इनके अलावा, अरबिंदो फार्मा, अल्केम लैब्स, टॉरेंट फार्मा और मैनकाइंड फार्मा जैसी कंपनियां निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं. भारत में 741 से अधिक यूएसएफडीए-अनुमोदित प्लांट्स हैं, जो इसे दुनिया में सबसे आगे बनाते हैं.

अमेरिका भारत का सबसे बड़ा बाजार

अमेरिका भारत का सबसे बड़ा बाजार है, जहां भारत का निर्यात 723 अरब रुपये तक पहुंच गया और इसमें 14% की वृद्धि दर्ज हुई. भारत वहां सांस की बीमारी की दवाएं, कैंसर, हृदय रोग, डायबिटीज, एंटीबायोटिक्स और एचआईवी एड्स से संबंधित जेनेरिक दवाएं निर्यात करता है. अमेरिका में जेनेरिक दवाओं का हिस्सा 90% प्रिस्क्रिप्शन्स तक है और भारत अकेले 40 से 47% आपूर्ति करता है. इस वजह से अमेरिका ने स्वास्थ्य लागत में लगभग 408 बिलियन डॉलर की बचत की है.

भारत में दवा का सालाना उत्पादन

भारत का वार्षिक फार्मा उत्पादन 2024 में 50 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें 23.5 बिलियन डॉलर घरेलू खपत और 26.5 बिलियन डॉलर निर्यात शामिल हैं. भारत हर साल 60,000 से अधिक जेनेरिक दवाओं का उत्पादन करता है, जो वैश्विक जेनेरिक्स का 20% हिस्सा है. इसके अलावा, भारत 60% वैश्विक वैक्सीन का उत्पादन करता है. एपीआई यानी एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रेडिएंट्स का बाजार 11.8 बिलियन डॉलर का है और 2027 तक इसमें 12.24% सीएजीआर की दर से वृद्धि का अनुमान है.

कितना बड़ा है भारतीय फार्मा बाजार

भारत का फार्मा सेक्टर वर्तमान में 50–65 बिलियन डॉलर का है और यह वैश्विक बाजार का 5.71% हिस्सा है. 2024 में इसका वार्षिक कारोबार 50 बिलियन डॉलर रहा, लेकिन अनुमान है कि 2030 तक यह 130 बिलियन डॉलर और 2047 तक 450 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा. निर्यात में भी 9.67% की वृद्धि हुई और यह 27.82 बिलियन डॉलर हो गया, जो भारत की जीडीपी में 1.72% योगदान देता है. बायोटेक सेक्टर का आकार 130 बिलियन डॉलर है और 2030 तक इसके 300 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की संभावना है.

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अमेरिका के मुकाबले भारत का फार्मा सेक्टर

अगर भारत की तुलना अमेरिका से की जाए तो वहां का फार्मा बाजार 2024 में 658 बिलियन डॉलर का है, जबकि भारत का 50 से 65 बिलियन डॉलर यानी लगभग 10% रहा. अमेरिका ब्रांडेड और इनोवेटिव दवाओं में अग्रणी है, जबकि भारत की ताकत जेनेरिक दवाओं और वैक्सीन में है. दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका में 90% प्रिस्क्रिप्शन्स जेनेरिक दवाओं के लिए होती हैं, लेकिन 80% खर्च ब्रांडेड दवाओं पर होता है. भारत अमेरिका की लगभग 47% जेनेरिक आपूर्ति करता है और वहां की कुल दवा लागत में उल्लेखनीय बचत सुनिश्चित करता है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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