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रूस से तेल खरीदकर साल भर में कितना कमा लेता है भारत? रिपोर्ट में खुलासा

India Russia Oil Deal: अमेरिका की ओर से भारत पर 50% टैरिफ लगाने के बीच रूस से तेल खरीद पर बहस तेज हो गई है. ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए की रिपोर्ट के अनुसार, भारत को रूसी कच्चे तेल से सालभर में महज 2.5 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 0.06% फायदा होता है. पहले जताए गए 10-25 अरब डॉलर के अनुमानों के विपरीत यह लाभ काफी कम है. रिपोर्ट में चेतावनी दी गई कि यदि भारत रूसी तेल आयात रोकता है, तो वैश्विक कीमतें 100 डॉलर तक पहुंच सकती हैं.

India Russia Oil Deal: अमेरिका की ओर से भारत पर 50% तक भारी-भरकम टैरिफ लगाए जाने के बाद रूस से तेल खरीद पर पूरे देश में बहस छिड़ गई है. इसका कारण यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर भारी टैरिफ लगाए जाने के पीछे रूस से तेल की खरीद को अहम कारण बताया है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों से अपने भाषण के दौरान कई बार चेतावनी दी कि भारात पर 50% टैरिफ इसलिए लगाया है, क्योंकि वह रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध में उसकी मदद कर रहा है. अमेरिका के टैरिफ लागू होने के बाद गुरुवार को एक अहम सवाल खड़ा हुआ है कि रूस से किफायती दरों पर कच्चा तेल खरीदकर भारत साल भर में कितनी कमाई कर लेता है? इसका खुलासा ब्रोकरेज फर्म की एक रिपोर्ट में किया गया है.

सालभर में सिर्फ 2.5 अरब डॉलर का होता है फायदा

ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस से रियायती दर पर कच्चा तेल आयात करने से भारत को एक साल में महज 2.5 अरब डॉलर फायदा होता है, जो पहले जताए गए 10 से 25 अरब डॉलर के अनुमान से बहुत कम है. रिपोर्ट के मुताबिक, “रूसी कच्चे तेल के आयात से भारत को होने वाला लाभ मीडिया में बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है. हमारे अनुमान के मुताबिक, यह लाभ भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का सिर्फ 0.06% यानी करीब 2.5 अरब डॉलर है.”

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने बढ़ाया आयात

रिपोर्ट में कहा गया है कि 24 फरवरी, 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत ने रूस से तेल आयात तेजी से बढ़ाया है. वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने कुल 54 लाख बैरल प्रतिदिन तेल आयात में से 36% यानी 18 लाख बैरल प्रतिदिन तेल को रूस से आयात किया. यूक्रेन युद्ध से पहले यह आंकड़ा 1% से भी कम था.

तेल खरीद पर भारी छूट देता है रूस

रूस ने पश्चिमी देशों द्वारा तेल बिक्री पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अपने तेल पर भारी छूट देना शुरू कर दिया था, जिससे भारत को सस्ते दर पर ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित हुई. हालांकि, अमेरिका सहित कुछ देशों ने भारत की आलोचना करते हुए इसे मुनाफाखोरी बताया.

भारत को कितनी छूट देता है रूस

सीएलएसए ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि रूसी तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल की मूल्य सीमा दिखने में बड़ी रियायत नजर आती है, लेकिन वास्तव में बीमा, जहाजरानी एवं पुनर्बीमा जैसी कई पाबंदियों के कारण भारत को यह लाभ काफी कम होता है. रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2023-24 में रूसी तेल पर औसत छूट 8.5 डॉलर प्रति बैरल थी, जो 2024-25 में घटकर तीन-पांच डॉलर और हाल के महीनों में 1.5 डॉलर प्रति बैरल तक आ गई है.

भारत के एक कदम से दुनिया में बढ़ेगी महंगाई

ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए ने चेतावनी दी है कि अगर भारत रूसी तेल आयात बंद करता है, तो इससे वैश्विक आपूर्ति बाधित होगी और कच्चे तेल की कीमत 90 से 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है, जिससे वैश्विक महंगाई बढ़ने की आशंका है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारतीय तेल कंपनियों को रूसी तेल के अधिक आयात के चलते बेहतर गुणवत्ता वाले और महंगे कच्चे तेल का भी मिश्रण करना पड़ता है. इसके कारण औसत आयात मूल्य में कोई स्पष्ट लाभ नहीं दिखता है.

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दुनिया भर के बाजारों के लिए जरूरी है रूसी तेल

सीएलएसए की रिपोर्ट कहती है कि रूसी तेल आयात न केवल भारत के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से जरूरी है, बल्कि यह वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों पर भी नियंत्रण बनाए रखने में सहायक है. हालांकि अब यह मुद्दा आर्थिक के साथ राजनीतिक भी बन गया है, जहां भारत अपने व्यापारिक निर्णयों पर स्वतंत्र रुख अपनाए हुए है. अमेरिकी सरकार ने रूस से सस्ते तेल की खरीद जारी रखने को लेकर भारतीय उत्पादों के आयात पर शुल्क को 27 अगस्त से बढ़ाकर 50% कर दिया है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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