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जीएसटी दरों में कटौती के दम पर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर बम-बम, अक्टूबर में एक्टिविटी मजबूत

Manufacturing PMI: भारत के विनिर्माण क्षेत्र में अक्टूबर 2025 में जोरदार वृद्धि दर्ज की गई है। एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 57.7 से बढ़कर 59.2 पर पहुंचा, जो मजबूत डिमांड, जीएसटी दरों में कटौती और तकनीकी निवेश का परिणाम है. कच्चे माल की कीमतों में नरमी और रोजगार सृजन में निरंतरता ने सेक्टर को मजबूती दी है. विशेषज्ञों के अनुसार, भविष्य में भी जीएसटी सुधार और मांग बढ़ने से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार बनी रह सकती है.

Manufacturing PMI: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कटौती, उत्पादकता में वृद्धि और तकनीकी निवेश के दम पर भारत के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां अक्टूबर में मजबूत हुईं. सोमवार को पेश किए गए एक मासिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि मौसमी रूप से समायोजित एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) सितंबर में 57.7 से बढ़कर अक्टूबर में 59.2 हो गया. यह इस क्षेत्र की स्थिति में तेजी से सुधार का संकेत देता है. खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) की भाषा में 50 से ऊपर का अंक विस्तार जबकि 50 से नीचे का अंक संकुचन दर्शाता है.

अक्टूबर में 59.2 अंक पर पहुंचा विनिर्माण पीएमआई

एचएसबीसी के मुख्य भारत अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा, ‘‘भारत का विनिर्माण पीएमआई अक्टूबर में बढ़कर 59.2 हो गया, जो पिछले महीने 57.7 था. मजबूत अंतिम मांग ने उत्पादन, नए ऑर्डर और रोजगार सृजन में वृद्धि को बढ़ावा दिया.’’ दाम के मोर्चे पर कच्चे माल की लागत में मामूली और धीमी वृद्धि हुई. फिर भी मुद्रास्फीति की दर सितंबर के लगभग 12 साल के उच्च स्तर के बराबर रही.

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कच्चे माल की कीमतों में नरमी

प्रांजुल भंडारी ने कहा, ‘‘अक्टूबर में कच्चे माल की कीमतों में नरमी आई, जबकि औसत बिक्री कीमतों में वृद्धि हुई. इसका कारण यह है कि कुछ विनिर्माताओं ने अतिरिक्त लागत का बोझ अंतिम उपभोक्ताओं पर डाल दिया.’’ इस बीच, अक्टूबर में रोजगार सृजन लगातार 20वें महीने जारी रहा. विस्तार की दर मध्यम रही और मोटे तौर पर सितंबर के समान ही रही. उन्होंने कहा, ‘‘भविष्य की ओर देखें तो जीएसटी सुधार और अच्छी मांग को लेकर सकारात्मक उम्मीदों से भविष्य की कारोबारी धारणा मजबूत है.’’

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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