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1947 में गदर मचा के अकेले पाकिस्तान गए जिन्ना, भारत बना खानदान का बसेरा

Independence Day 2025: स्वतंत्रता संग्राम और भारत-पाकिस्तान विभाजन के केंद्र में रहे मोहम्मद अली जिन्ना 1947 में बहन फातिमा संग पाकिस्तान गए, लेकिन उनका ज्यादातर परिवार भारत में ही रहा. बेटी दीना वाडिया, नुस्ली वाडिया जैसे वारिस यहीं बसे. भाई-बहनों के वंशज आज मुंबई, कोलकाता, कराची और यूरोप में फैले हैं, जबकि फातिमा जिन्ना की संपत्ति विवादों में रही.

Independence Day 2025: कायदे-आजम के नाम से मशहूर भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के सबसे बड़े खलनायक मोहम्मद अली जिन्ना हमेशा रहस्यमय विवादों से घिरे रहे. जिन्ना का नाम भारत के विभाजन और पाकिस्तान के निर्माण के साथ हमेशा जोड़ा जाता है. बताया जाता है कि भारत-पाकिस्तान के विभाजन के समय वर्ष 1947 में मची गदर के बीच जिन्ना अपनी बहन फातिमा के साथ अकेले ही नए बने देश पाकिस्तान गए. यह वही देश था, जिसके निर्माण के लिए उन्होंने वर्षों तक राजनीतिक संघर्ष किया था. हालांकि, हैरानी की बात यह भी है कि जिन्ना के बड़े खानदान के ज्यादातर सदस्य उनके साथ पाकिस्तान नहीं गए. उन्होंने भारत में रहना ही पसंद किया और यहीं पर अपनी जिंदगी बिताई.

जिन्ना के परिवार का विभाजन के बाद का फैसला

विभाजन के समय जिन्ना के कई भाई-बहन और रिश्तेदार भारत में ही रहे. इनमें से अधिकांश ने पाकिस्तान जाने के बजाय हिंदुस्तान में रहना चुना. बाद में जरूर 1950 के दशक के अंत में उनके कुछ रिश्तेदार पाकिस्तान चले गए, लेकिन उनके कई करीबी, खासकर भाई और बहन भारत में ही जीवन बिताते रहे. आज भी जिन्ना खानदान की तीसरी पीढ़ी के लोग मुंबई, कोलकाता और कराची में रहते हैं.

अहमद अली जिन्ना की ब्रिटेन में बसी जिंदगी

जिन्ना के छोटे भाई अहमद अली ने पूरी जिंदगी ब्रिटेन में बिताई. उन्होंने एक अंग्रेज महिला एमी से शादी की थी. उनकी एकमात्र बेटी फातिमा अब स्विट्जरलैंड में रहती हैं. अहमद अली का जीवन के बाद के वर्षों में जिन्ना से ज्यादा संपर्क नहीं रहा और उन्होंने राजनीतिक हलकों से दूरी बनाए रखी.

रहमत अली और मरियम का भारत बना स्थायी ठिकाना

जिन्ना के भाई रहमत अली और बहन मरियम बाई ने हमेशा भारत में रहना पसंद किया. हालांकि, मरियम की कुछ संताने बाद में पाकिस्तान चली गईं, लेकिन रहमत अली का परिवार कोलकाता और मुंबई में ही बस गया. आज भी उनकी अगली पीढ़ी के लोग भारत में रहते हैं.

बुंदे अली और शिरीन बाई ने किया पाकिस्तान का रुख

जिन्ना के छोटे भाई बुंदे अली और छोटी बहन शिरीन बाई विभाजन के कुछ समय बाद पाकिस्तान चले गए. बुंदे अली की कोई संतान नहीं थी, जबकि शिरीन बाई का एक बेटा, जफरभाई ताजिंदगी अविवाहित रहे.

भारत में रहीं जिन्ना की इकलौती बेटी दीना वाडिया

जिन्ना की केवल एक बेटी दीना वाडिया थीं. उन्होंने स्पष्ट रूप से पाकिस्तान जाने से मना कर दिया और भारत में ही रहीं. दीना की शादी नेवल वाडिया से हुई थी. उनके बेटे नुस्ली वाडिया भारत के प्रमुख उद्योगपति हैं, जो वाडिया ग्रुप का नेतृत्व करते हैं. नुस्ली वाडिया के दो बेटे जय वाडिया और नेस वाडिया हैं, जो जिन्ना के पड़पोते हैं.

भारत-पाकिस्तान फैला है जिन्ना का खानदान

जिन्ना परिवार के कई सदस्य आज भी पाकिस्तान, भारत और यूरोप में फैले हुए हैं. रहमत बाई और मरियम बाई की संतानों में से कुछ कराची में रहते हैं, जबकि कुछ मुंबई और कोलकाता में जिंदगी बिता रहे हैं. अहमद अली की बेटी फातिमा स्विट्जरलैंड में बसी हैं. शिरीन बाई के बेटे जफरभाई की कोई संतान नहीं थी, जिससे उनकी शाखा यहीं खत्म हो गई.

फातिमा जिन्ना की संपत्ति विवाद

जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति को लेकर लंबा कानूनी विवाद चला. 1968 से 1984 तक यह मामला कराची की अदालत में लंबित रहा. अंततः इस संपत्ति को शरिया कानून के अनुसार प्रबंधित करने का निर्णय लिया गया, लेकिन उनके दो ट्रस्ट में हिस्सेदारी को लेकर विवाद अब भी बना हुआ है.

असलम जिन्ना का दावा और सच

कुछ साल पहले असलम जिन्ना नाम के एक व्यक्ति ने पाकिस्तान के सिंध हाईकोर्ट में दावा किया कि वह जिन्ना का पड़पोता है, इसलिए उनकी संपत्ति पर हकदार है. हालांकि, अदालत में जांच के बाद यह दावा गलत साबित हुआ और मामला खत्म हो गया.

परिवार से दूरी बनाए रखते थे जिन्ना

लियाकत मर्चेंट जिन्ना की बहन मरियम के पोते हैं. उन्होंने ‘डेली टाइम्स’ में लिखा है कि मोहम्मद अली जिन्ना हमेशा अपने भाइयों, बहनों और रिश्तेदारों से दूरी बनाए रखते थे. इसका कारण यह था कि वह नहीं चाहते थे कि कोई उनके नाम का राजनीतिक या व्यक्तिगत लाभ के लिए इस्तेमाल करे. कई बार जब उनके भतीजे या भाई ने किसी किताब या लेख में खुद को उनका रिश्तेदार बताकर छपवाने की कोशिश की, तो जिन्ना ने इसकी अनुमति नहीं दी.

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बंटवारे के बाद बंट गया जिन्ना का परिवार

विभाजन ने न केवल देश को बांटा, बल्कि जिन्ना के परिवार को भी अलग-अलग देशों में बिखेर दिया. जहां खुद जिन्ना और उनकी बहन फातिमा पाकिस्तान में बस गए, वहीं उनके कई करीबी भारत, ब्रिटेन और दूसरे देशों में जिंदगी गुजारते रहे. आज भी जिन्ना के खानदान की कहानियां भारत और पाकिस्तान के इतिहास में दिलचस्प अध्याय के रूप में दर्ज हैं.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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