GST Reforms: केंद्र सरकार ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की संशोधित व्यवस्था में पांच प्रतिशत एवं 18 प्रतिशत वाली सिर्फ दो कर दरों का ही प्रस्ताव रखा है, जिसके दिवाली तक लागू हो जाने का अनुमान है. वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को घोषणा की कि उसने राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह (जीओएम) को दो स्लैब वाली नई जीएसटी दर संरचना का प्रस्ताव भेजा है. इस प्रस्ताव के तहत जीएसटी में ‘मानक’ और ‘योग्यता’ दो मुख्य स्लैब होंगे, जबकि कुछ चुनिंदा वस्तुओं पर ही विशेष दरें लागू की जाएंगी. वर्तमान में जीएसटी की पांच, 12, 18 और 28% की चार-स्तरीय संरचना लागू है.
प्रधानमंत्री की घोषणा और सुधार का रोडमैप
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में कहा कि अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार दिवाली तक लागू हो जाएंगे. उनका दावा है कि इससे कर का बोझ कम होगा और विशेष रूप से छोटे उद्योगों को लाभ पहुंचेगा. प्रधानमंत्री की घोषणा के तुरंत बाद वित्त मंत्रालय ने एक औपचारिक बयान जारी कर प्रस्ताव की रूपरेखा बताई.
वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव के क्या हैं आधार
वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि जीओएम के साथ साझा किया गया केंद्र का प्रस्ताव तीन मुख्य बिंदुओं पर आधारित है. इनमें संरचनात्मक सुधार, दरों का युक्तिसंगतकरण और जीवन को आसान बनाना शामिल हैं. इसके तहत आम आदमी की जरूरत की वस्तुओं और आकांक्षावान वस्तुओं पर कर में कमी का सुझाव है.
जीएसटी परिषद में अगली चर्चा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद की अगली बैठक सितंबर में होने की उम्मीद है. इस बैठक में मंत्रियों के समूह की सिफारिशों पर विचार-विमर्श किया जाएगा. जीएसटी से संबंधित सभी नीतिगत निर्णय लेने की शक्ति इसी परिषद के पास है.
मौजूदा जीएसटी ढांचे की स्थिति
वर्तमान चार-स्तरीय जीएसटी ढांचे में आवश्यक वस्तुओं पर या तो कोई कर नहीं है, या उन्हें निचले स्लैब में रखा गया है. नुकसानदेह और विलासिता की वस्तुओं पर 28% की उच्चतम दर लागू है. कुछ उत्पादों पर क्षतिपूर्ति उपकर (कम्पन्सेशन सेस) भी लगाया जाता है, जो 31 मार्च 2026 तक समाप्त हो जाएगा.
स्पेशल रेट्स का दायरा सीमित
नए प्रस्ताव के तहत विशेष दरें केवल चुनिंदा वस्तुओं पर लागू होंगी. वित्त मंत्रालय का मानना है कि इससे दर संरचना सरल होगी, राजस्व में स्थिरता आएगी और उपभोक्ताओं के लिए कर का बोझ घटेगा.
संरचनात्मक सुधारों के लाभ
वित्त मंत्रालय के अनुसार, प्रस्तावित संरचनात्मक सुधार उद्योग जगत में भरोसा बढ़ाने, बेहतर व्यावसायिक योजना को प्रोत्साहन और दीर्घकालिक स्थिरता के लिए कर दरों का युक्तिसंगतकरण में मदद करेंगे. क्षतिपूर्ति उपकर की समाप्ति से सरकार के पास कर ढांचे को पुनर्गठित करने की राजकोषीय गुंजाइश बनी है, जिसका इस्तेमाल स्थायी सुधार के लिए किया जा सकता है.
सहकारी संघवाद की भावना
वित्त मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सहकारी संघवाद की भावना के अनुरूप राज्यों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है. अगली पीढ़ी के कर सुधार लागू करने के लिए आने वाले हफ्तों में राज्यों के साथ व्यापक सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी.
जीओएम की भूमिका और नेतृत्व
जीएसटी दरों के युक्तिसंगतकरण के लिए गठित सात सदस्यीय मंत्रियों के समूह का नेतृत्व बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी कर रहे हैं. यह समूह विभिन्न राज्यों के विचारों को एकत्र कर परिषद को सिफारिशें देगा.
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नई दरों से उम्मीदें और चुनौतियां
नई दो-स्लैब संरचना से कर व्यवस्था को सरल बनाने की उम्मीद है, लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियां भी हैं. इनमें राज्यों के बीच राजस्व संतुलन, विशेष दरों के दायरे को लेकर विचारभिन्नता और संक्रमण अवधि में व्यवसायों का समायोजन शामिल हैं. फिर भी, यदि प्रस्ताव को व्यापक समर्थन मिलता है तो यह भारतीय कर प्रणाली में अब तक का सबसे बड़ा संरचनात्मक सुधार साबित हो सकता है.
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