Gold Loan: भारत में गोल्ड निवेश का पारंपरिक विकल्प है. आप इसके बदले में लोन भी ले सकते हैं. गोल्ड लोन क्रेडिट पाने का एक पारंपरिक तरीका है. खासकर, मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास परिवारों के लिए यह महत्वपूर्ण है. यह कई तरह की इमरजेंसी जरूरतों के लिए एक क्रेडिट लाइन के रूप में भी काम करता है. आपके लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण यह है कि जब आप गोल्ड लोन लेने जाते हैं, तो आपके लिए बैंक या एनबीएफसी में से कौन बेहतर हो सकता है? आपको कहां पर बेहतर डील मिल सकती है. इन सवालों का जवाब इंडेल मनी के सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) और ईडी (प्रबंध निदेशक) उमेश मोहनन से जानिए.
सोने की कीमत और गोल्ड लोन की लोकप्रियता
उमेश मोहनन कहते हैं कि जब सोने की कीमतें बढ़ती हैं और दूसरी तरफ दूसरे तरह के क्रेडिट मिलना मुश्किल या महंगा हो जाता है, तो लोग अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए गोल्ड लोन लेते हैं. संगठित लेंडर (बैंक और एनबीएफसी) से लेने पर इसका ब्याज दर असुरक्षित लोन जैसे पर्सनल लोन की तुलना में कम होता है.
भारत में गोल्ड लोन की मांग बढ़ाने वाले कारक
वे कहते हैं कि भारत में गोल्ड लोन की मांग को बढ़ाने वाले कई कारक हैं. इनमें सोने की कीमत में बढ़ोतरी, मिडिल क्लास का बढ़ता खर्च, शहरीकरण की तेजी और गोल्ड लोन देने वाले एनबीएफसी का विस्तार और उनका गोल्ड लोन को एक बेहतर विकल्प के रूप में प्रचार शामिल हैं.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट और भारत में सोने का महत्व
हाल के वर्षों में सोने की बढ़ती कीमतों ने गोल्ड लोन की मांग में तेजी लाने में अहम भूमिका निभाई है, क्योंकि उधार लेने वाले अपने सोने के बदले ज्यादा लोन ले सकते हैं. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) के अनुसार, भारत और चीन दुनिया में सबसे बड़े सोने के उपभोक्ता हैं, जबकि चीन सोने को मुख्य रूप से निवेश के रूप में देखता है और भारत में इसकी मांग मुख्य रूप से गहनों के लिए है. भारतीय घरों और मंदिरों के पास लगभग 25,000 टन सोना है, जिसकी कीमत लगभग 2.4 ट्रिलियन डॉलर है. इसमें से लगभग 5,000 टन सिक्योरिटी के तौर पर रखा जाता है, लेकिन इसका आधा हिस्सा भी संगठित लेंडर से नहीं मिलता, बाकी गैर-औपचारिक मनीलेंडर से लिया जाता है.
बदलती स्थिति और डिजिटल इनोवेशन
भारत में अब स्थिति धीरे-धीरे बदल रही है. डिजिटल इनोवेशन के साथ गोल्ड लोन एनबीएफसी की तेजी से ग्रोथ ने गोल्ड लोन को ज्यादा सुरक्षित और आसानी से उपलब्ध करा दिया है. कमर्शियल बैंक भी इस क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और प्रतिस्पर्धी प्रोडक्ट और सर्विस दे रहे हैं.
शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंक से गोल्ड लोन
उमेश मोहनन कहते हैं कि शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंक (एससीबी) को सस्ते फंड मिलने से फायदा होता है, जिससे वे कम ब्याज दर पर लोन दे पाते हैं. वे प्रायोरिटी सेक्टर में गोल्ड से जुड़े कृषि लोन भी देते हैं. गांवों में उनकी मौजूदगी और सेफ डिपॉजिट लॉकर जैसे बुनियादी ढांचे के कारण बैंकों की परिचालन लागत कम होती है, जिससे वे आकर्षक दरें और कम चार्ज दे पाते हैं. हालांकि, गोल्ड लोन उनका मुख्य व्यवसाय नहीं है, इसलिए उधार लेने वालों को बैंक काउंटर पर हमेशा ध्यान नहीं मिल सकता.
एनबीएफसी से गोल्ड लोन लेना कितना फायदेमंद
वे कहते हैं कि एनबीएफसी के लिए गोल्ड लोन मुख्य व्यवसाय है. कई एनबीएफसी ने क्रेडिट मूल्यांकन, सिक्योरिटी मूल्यांकन और अनुपालन को आसान बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म अपनाए हैं और फिनटेक के साथ पार्टनरशिप की है. इससे प्रोसेसिंग तेजी से हुई है और इंस्टेंट गोल्ड लोन, टॉप-अप सुविधा, डोरस्टेप सर्विस और पूरी तरह से डिजिटल ऑफर जैसे नए प्रोडक्ट आए हैं. करीब 2.5 लाख रुपये से कम के लोन के लिए आरबीआई के ढीले नियमों से भी इनकी कार्यक्षमता बढ़ती है. दूसरी ओर, एनबीएफसी को उधार लेने की लागत ज्यादा होती है और वे अक्सर बैंकों की तुलना में ज्यादा ब्याज लेते हैं. इसकी भरपाई के लिए वे लचीले रिपेमेंट ऑप्शन, डिजिटल पेमेंट सुविधा, फीस में छूट और कई तरह की फाइनेंशियल सेवाएं देते हैं.
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बैंक और एनबीएफसी में से बेहतर विकल्प कौन?
ब्याज दरों के मामले में बैंकों का गोल्ड लोन स्पष्ट रूप से फायदे का सौदा है, जबकि एनबीएफसी स्पीड, सुविधा और कस्टमर सर्विस के मामले में बेहतर हैं. दोनों के नेटवर्क बढ़ने से अब उधार लेने वालों के पास अपने सोने की कीमत का लाभ उठाने के लिए पहले से कहीं ज्यादा विकल्प मौजूद हैं.
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