Food Inflation: अगस्त 2025 में आम आदमी के खाने की थाली सस्ती हुई, लेकिन टमाटर ने लोगों का टेंशन बढ़ा दिया. क्रिसिल के मासिक फूड प्लेट इंडिकेटर के अनुसार, अगस्त 2025 में घर पर बनने वाली शाकाहारी और मांसाहारी थालियों की कीमतों में जोरदार कमी आई है. शाकाहारी थाली साल-दर-साल आधार पर लगभग 7% सस्ती हुई. वहीं, मांसाहारी थाली की लागत में करीब 8% की गिरावट दर्ज की गई. यह राहत मुख्य रूप से सब्जियों और दालों की कीमतों में आई बड़ी गिरावट से जुड़ी है.
प्याज और आलू की कीमतें भी घटीं
क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्याज और आलू की कीमतों में 37% और 31% की कमी दर्ज की गई. पिछले साल मौसम और रोगजन्य कारणों से उत्पादन में कमी आई थी, जिससे दाम बढ़े थे. इस बार उत्पादन में 18-20% (प्याज) और 3-5% (आलू) की बढ़ोतरी ने बाजार को स्थिर किया और दाम नीचे लाए. इसी तरह, दालों के दाम भी 14% सस्ते रहे क्योंकि उत्पादन और स्टॉक दोनों अधिक रहे.
नॉन-वेज थाली और चिकन की भूमिका
मांसाहारी थाली के सस्ते होने में चिकन (ब्रॉयलर) की बड़ी भूमिका रही. ब्रॉयलर की कीमतों में लगभग 10% की गिरावट आई, जबकि यह थाली की कुल लागत का लगभग आधा हिस्सा होता है. इसके अलावा सब्जियों और दालों के दाम घटने से भी लागत पर सकारात्मक असर पड़ा.
त्योहार और ईंधन से बढ़ा दबाव
हालांकि, आम आदमी को राहत पूरी तरह नहीं मिली. खाद्य तेलों की कीमतें 24% ऊंची रहीं, क्योंकि त्योहारों की मांग से इनकी खपत बढ़ गई. वहीं, एलपीजी सिलेंडर के दाम 6% बढ़े, जिससे घर पर थाली बनाने की लागत पर असर पड़ा और राहत सीमित हो गई.
मासिक आधार पर फिर बढ़ी महंगाई
अगर जुलाई और अगस्त के बीच के आंकड़े देखें तो स्थिति अलग है. शाकाहारी थाली की लागत 4% और मांसाहारी थाली की 2% महंगी हो गई. इसका सबसे बड़ा कारण टमाटर की कीमतों में 26% की उछाल रही. अगस्त में टमाटर की आवक 35% घटने से बाजार में कमी आई और दाम तेजी से बढ़े. इसके विपरीत, प्याज और आलू की कीमतें स्थिर रहीं क्योंकि भंडारित स्टॉक बाजार में उतरता रहा. चिकन के दाम भी स्थिर रहे, क्योंकि श्रावण माह के बाद मांग बढ़ने के बावजूद बाजार में अधिक आपूर्ति बनी रही.
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आम उपभोक्ता के लिए संदेश
क्रिसिल का यह इंडिकेटर बताता है कि आम उपभोक्ता के लिए थाली की लागत में सालाना आधार पर राहत है, लेकिन मासिक आधार पर अस्थिरता बनी हुई है. सब्जियों, खाद्य तेल और ईंधन जैसे कारक बार-बार कीमतों को प्रभावित कर रहे हैं. ऐसे में उपभोक्ताओं को त्योहारों और मौसम की अनिश्चितताओं के बीच थाली की कीमत में उतार-चढ़ाव झेलना पड़ सकता है.
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