CII IGBC: झारखंड में शहरी विकास को सतत और पर्यावरण-अनुकूल बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है. भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) ने रांची में अपना 32वां चैप्टर लॉन्च किया. यह चैप्टर राज्य में टिकाऊ भवन निर्माण, ऊर्जा संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन को प्रोत्साहित करेगा. रांची के रेडिसन ब्लू में आयोजित इस कार्यक्रम में सरकारी अधिकारियों, उद्योग जगत के दिग्गजों और अकादमिक संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
शहरी विकास और सततता का महत्व
झारखंड की अर्थव्यवस्था और शहरीकरण की गति तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में सतत विकास का महत्व और भी बढ़ जाता है. झारखंड की राजधानी रांची समेत विभिन्न शहरों में बुनियादी ढांचे और रियल एस्टेट परियोजनाओं की मांग बढ़ रही है. लेकिन पारंपरिक निर्माण पद्धतियां ऊर्जा खपत, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन को और गंभीर बना सकती हैं. आईजीबीसी रांची चैप्टर का उद्देश्य यही है कि शहरी विकास की इस प्रक्रिया को पर्यावरणीय जिम्मेदारी और संसाधन दक्षता के साथ आगे बढ़ाया जाए.
झारखंड में विकसित होगी हरित भवन प्रथा: सुनील कुमार
रांची चैप्टर के लॉन्चिंग कार्यक्रम में मुख्य अतिथि झारखंड सरकार के शहरी विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव सुनील कुमार थे. उन्होंने कहा, “आईजीबीसी रांची चैप्टर का शुभारंभ झारखंड की शहरी विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह जरूरी है कि हमारे शहर संसाधन-कुशल और जलवायु-अनुकूल तरीके से विकसित हों.” उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि झारखंड सरकार एक ऐसा नीतिगत और नियामक ढांचा तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो हरित भवन प्रथाओं को बढ़ावा दे. इसके साथ ही, निर्माण सामग्री और प्रौद्योगिकियों में नवाचार को प्रोत्साहित किया जाएगा.
आईजीबीसी की राष्ट्रीय दृष्टि
आईजीबीसी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सी. शेखर रेड्डी ने बताया कि रांची चैप्टर का शुभारंभ, संगठन के ग्रीन और नेट-जीरो भवन अभियान में एक और मील का पत्थर है. उन्होंने कहा कि झारखंड में रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में स्थिरता को अपनाने की अपार संभावनाएं हैं. आईजीबीसी हितधारकों को तकनीकी जानकारी, उपकरण और सहयोगी मंच उपलब्ध कराएगा ताकि हरित नीतियों को व्यावहारिक परिणामों में बदला जा सके.
स्थानीय नेतृत्व: विजन और रोडमैप
आईजीबीसी रांची चैप्टर के अध्यक्ष एडवोकेट राजीव चड्डा ने संगठन की दृष्टि और रोडमैप साझा किया. उनका कहना था कि यह चैप्टर रांची और झारखंड की एक परिवर्तनकारी यात्रा की शुरुआत है. राजीव चड्डा के अनुसार, हरित भवन निर्माण को झारखंड में नया मानक बनाना, सामाजिक कल्याण और आर्थिक प्रगति के साथ पर्यावरण संरक्षण को जोड़ना और पेशेवरों, नीति निर्माताओं और आम नागरिकों को एक मंच पर लाना आवश्यक है.
उद्योग और डेवलपर्स की भूमिका
रांची चैप्टर के सह-अध्यक्ष पीयूष मोरे ने समापन भाषण में कहा कि हरित भवन निर्माण का मतलब “मूल्य की पुनर्कल्पना” करना है. यानी कम संसाधनों का उपयोग करते हुए बेहतर स्वास्थ्य और दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित करना. उन्होंने जोर दिया कि आईजीबीसी एक सहायता प्रणाली और नवाचार केंद्र के रूप में कार्य करेगा, जिससे बिल्डर, डेवलपर और निवेशक सतत निर्माण की ओर बढ़ सकें.
पैनल चर्चा: स्थानीय आकांक्षाएं और हरित झारखंड
उद्घाटन सत्र के बाद “स्थानीय आकांक्षाएं और एक हरित झारखंड की ओर आगे का रास्ता” विषय पर पैनल चर्चा हुई. इसमें अतिलेश गौतम (झारखंड नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी), सुमीत कुमार अग्रवाल (क्रेडाई झारखंड), आर्किटेक्ट अतुल सराफ (आईआईए झारखंड), और डॉ आर नरेश कुमार (बीआईटी मेसरा) शामिल हुए. पैनल ने नीतिगत ढांचे, नेट-जीरो लक्ष्यों, नई तकनीकों और रेटिंग प्रणालियों की भूमिका पर विचार रखे. सभी विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि विकास और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के बीच संतुलन बेहद जरूरी है.
नवाचार और समाधान
कार्यक्रम का समापन “हरित भवन निर्माण सामग्री, प्रौद्योगिकी और समाधान” पर एक तकनीकी सत्र से हुआ. इसमें सेंट गोबेन, टाटा स्टील, अल्ट्राटेक सीमेंट और एसीएस ग्रीन कंसल्टिंग जैसी अग्रणी कंपनियों ने अपने प्रस्तुतिकरण दिए. इसमें ऊर्जा-कुशल ग्लेजिंग सिस्टम, हरित स्टील, कम कार्बन वाले सीमेंट और आईजीबीसी प्रमाणन मानक को शामिल किया गया. इन प्रस्तुतियों ने स्थानीय उद्योग और डेवलपर्स को व्यावहारिक मार्गदर्शन दिया और सफल केस स्टडीज साझा कीं.
झारखंड की प्रगति और चुनौतियां
झारखंड धीरे-धीरे हरित भवन प्रमाणन और तकनीकी विशेषज्ञता का अपना आधार विकसित कर रहा है. हालांकि, यह क्षेत्र अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन हितधारकों की सक्रिय भागीदारी और आईजीबीसी की पहल से उम्मीदें बढ़ी हैं. राज्य का सहयोगात्मक दृष्टिकोण, ऊर्जा दक्षता, कम कार्बन वाली सामग्री और हरित प्रमाणन मानकों को तेजी से अपनाने का संकेत देता है.
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राष्ट्रीय लक्ष्यों से तालमेल
भारत ने 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है. झारखंड का यह प्रयास न केवल राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के सतत विकास लक्ष्यों में योगदान देगा. हरित भवनों को मुख्यधारा में लाने से न केवल पर्यावरणीय, बल्कि आर्थिक और सामाजिक लाभ भी होंगे.
आईजीबीसी रांची चैप्टर का शुभारंभ झारखंड के लिए सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक भविष्य-तैयार शहरी विकास की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है. यह पहल राज्य को पूर्वी भारत में सतत विकास का केंद्र बना सकती है. सरकार, उद्योग, शिक्षा और नागरिक समाज की साझेदारी से झारखंड न केवल हरित भवन निर्माण में बल्कि पर्यावरणीय जिम्मेदारी और आर्थिक प्रगति में भी मिसाल कायम करेगा.
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