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Corona impact : कोरोना महामारी ने बढ़ाई महिलाओं की बेरोजगारी, ज्यादातर लेडी वर्कर्स को बीच में छोड़नी पड़ी नौकरी

Corona impact : सर्वेक्षण में एक दिलचस्प बात यह भी सामने आई है कि जनवरी से लेकर फरवरी तक के दो महीनों के दौरान औसतन एक महिला ने 18 बार से अधिक ‘सॉरी' शब्द का इस्तेमाल किया. इसके बाद, औसतन एक महिला ने 16 बार ‘लव' और 15 बार ‘हूं' कहा.

Corona impact : कोरोना महामारी की वजह से बहुत सी भारतीय महिलाओं की बेरोजगारी में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. ज्यादातर कामगार महिलाओं को महामारी के कारण अपना कैरियर बीच में छोड़ना पड़ा है. एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्य स्थलों पर 71 फीसदी कामकाजी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की मौजूदगी दर अब केवल 11 फीसदी रह गई है. कार्य स्थलों पर इतनी कम महिलाओं के साथ महिलाओं में बेरोजगारी की दर पुरुषों के 6 फीसदी के मुकाबले 17 फीसदी हो गई है.

सर्वेक्षण में एक दिलचस्प बात यह भी सामने आई है कि जनवरी से लेकर फरवरी तक के दो महीनों के दौरान औसतन एक महिला ने 18 बार से अधिक ‘सॉरी’ शब्द का इस्तेमाल किया. इसके बाद, औसतन एक महिला ने 16 बार ‘लव’ और 15 बार ‘हूं’ कहा. सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आई है कि कोरोना महामारी के दौर से निकलने के लिए संघर्ष कर रही महिलाएं अब अपनी सेहत पर अधिक ध्यान देने के साथ ही कोई कारोबार शुरू कर आत्मनिर्भरता हासिल करने और उद्यमी बनने के सपने देख रही हैं.

बबल ए आई द्वारा जनवरी 2021 से पिछले दो महीने में करवाए गए सर्वेक्षण की रिपोर्ट बताती है कि सर्वेक्षण के दायरे में आई 55 फीसदी से अधिक महिलाएं अब अपनी सेहत, फिटनेस और उत्साह पर ध्यान दे रही हैं और साथ ही इसके बारे में अपनी दोस्तों के बीच जानकारी और चिंताएं भी अधिक खुलकर साझा कर रही हैं.

भारतीय संदर्भो में रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी के कारण बहुत सी भारतीय महिलाओं को अपना कैरियर बीच में छोड़ना पड़ा है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनामी (सीएमआईई) के अनुसार, महिलाओं की श्रम बल में पहले से ही कम भागीदारी को और कम कर दिया है, जो सकते में डालने वाली बात है.

इसमें कहा गया है कि कार्य स्थलों पर 71 फीसदी कामकाजी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की मौजूदगी दर 11 फीसदी रह गई है. कार्य स्थलों पर इतनी कम महिलाओं के साथ महिलाओं में बेरोजगारी की दर पुरुषों के 6 फीसदी के मुकाबले 17 फीसदी हो गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अचानक से नौकरी से हाथ धो बैठने से भारत में महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर भी सीधा असर पड़ा है.

हालांकि, बबल एआई का कहना है कि तमाम मुश्किलों के बावजूद भारतीय महिलाओं के हौंसले बुलंद हैं. सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि जीवन शैली में बदलाव, बढ़ते शहरीकरण, पश्चिमी सभ्यता के अधिक संपर्क में आने के चलते भारत में महिलाओं और युवतियों के बीच प्यार और शादी को लेकर भी विचारों में तेजी से बदलाव आ रहा है.

रिपोर्ट में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, टिंडर, बम्बल, हिंज, हैप्पन, ओके क्यूपिड जैसे डेटिंग एप के बढ़ते इस्तेमाल के बीच 72 फीसदी महिलाएं डेटिंग और सच्चे प्रेम की तलाश के बारे में बातें कर रही हैं. रिपोर्ट में कोविड बाद की स्थितियों में महिलाओं की जीवनशैली के संबंध में आए बदलावों को आंकने का प्रयास किया गया है.

बबल एआई की सर्वेक्षण रिपोर्ट कहती है कि आमतौर पर पतियों और प्रेमियों को यह शिकायत रहती है कि किसी भी मामले में उन्हें ‘सॉरी’ शब्द बोलना पड़ता है, लेकिन सर्वेक्षण कहता है कि पिछले दो महीनों में औसतन एक महिला ने 18 बार से अधिक सॉरी शब्द का इस्तेमाल किया. इसके बाद औसतन एक महिला ने 16 बार ‘लव’ और 15 बार ‘हूं’ कहा. इस प्रकार महिलाओं के बीच ‘सॉरी’ वर्ष का सबसे अधिक इस्तेमाल किया गया शब्द रहा.

इस सर्वेक्षण को करवाने वाली बबल एआई एक मीडिया प्लेटफार्म कंपनी है, जिसने यह जानने के लिए सर्वेक्षण करवाया कि कोरोना महामारी के दौर में महिलाएं किन मुद्दों पर बात कर रही हैं. बबल एआई फेसबुक, व्हाट्सअप, टिंडर, हिंज जैसी सोशल मीडिया साइटों पर लोगों के बीच होने वाली बातचीत के बारे में सर्वेक्षण करती है और यह पता लगाने की कोशिश करती है कि आधुनिक तकनीकी क्रांति के दौर में समाज में संवाद प्रक्रिया किस प्रकार आकार ले रही है.

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Posted by : Vishwat Sen

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