35.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Anti-Corruption Day Special: तो कुछ यूं हुआ Big Bull हर्षद मेहता का खात्मा, बड़ी रोचक है कहानी!

हर्षद मेहता का जन्म गुजरात के राजकोट के पनीर मोटी में 29 जुलाई 1954 को हुआ था, और उनका बचपन मुंबई के कांदिवली में बीता. उन्होंने लाजपत राय कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई की और फिर 1984 में अपनी ब्रोकरेज कंपनी ग्रो मोर रिसर्च मैनेजमेंट की स्थापना की.

प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव की सरकार में, भारतीय वित्तमंत्री मनमोहन सिंह ने 1991 में एक आर्थिक सुधार की शुरुआत की थी, जिसके दौरान देश की अर्थव्यवस्था में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए. इस अवधि में, एक भयंकर घोटाला सामने आया जिसने शेयरों की खरीद-बिक्री प्रक्रिया में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए.

4000 करोड़ रुपए का घोटाला

इस घोटाले के पीछे स्टॉक ब्रोकर हर्षद मेहता थे, और इसने करीब 4000 करोड़ रुपए का घोटाला किया था, जिसे आज के मानकर लगभग 50 हजार करोड़ रुपए का मान सकते हैं. इसके परंपरागत बाद, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) को शेयर बाजार में गड़बड़ी रोकने के लिए स्थापित किया गया.

Also Read: Harshad Mehta Car Collection: हर्षद मेहता की Lexus LS400 जो बनी उसके पतन का कारण!

हर्षद मेहता का निधन

हर्षद मेहता, जो मुख्य आरोपी थे, का निधन 2002 में हो गया, लेकिन 1992 में उनके निधन के पहले, शेयर बाजार घोटाले की यादें लोगों के दिल में बनी रहीं.

हर्षद मेहता शुरुआती जीवन

हर्षद मेहता का जन्म गुजरात के राजकोट के पनीर मोटी में 29 जुलाई 1954 को हुआ था, और उनका बचपन मुंबई के कांदिवली में बीता. उन्होंने लाजपत राय कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई की और फिर 1984 में अपनी ब्रोकरेज कंपनी ग्रो मोर रिसर्च मैनेजमेंट की स्थापना की.

‘बिग बुल’

हर्षद मेहता ने शेयर बाजार में अपनी और अपनी ग्रोथ के लिए ‘बिग बुल’ कहलवाया था और साल 1990 में शेयर बाजार में तेजी लाने के लिए मशहूर हो गए थे. हर्षद को फॉलो करने वाले उन्हे BSE का बच्चन कहते थे.

Also Read: Rakesh Jhunjhunwala: राकेश झुनझुनवाला का बियर से था खास कनेक्शन, हर्षद मेहता के दौर में जमकर लगाया दांव

बैंकों का कुछ यूं हुआ इस्तेमाल

उन्होंने बैंकों से उधार लेकर शेयर मार्केट में पैसा लगाया और फिर मुनाफा कमाकर उधार लिए गए पैसे को वापस किया. इस प्रकार के वित्तीय क्रियाकलापों के बाद, जब इस बारे में जानकारी सार्वजनिक हुई, शेयर मार्केट में गिरावट आई और सुरक्षा और एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की स्थापना हुई जिससे इस तरह के घोटालों को रोका जा सकता है.

ACC के शेयर की कहानी

एसीसी जो एक सिमेन्ट बनाने वाली कंपनी थी का एक शेयर 200 रुपये के भाव में था, तीन महीने में ही उसकी कीमत नौ हजार के करीब पहुंच गई. दूसरे निवेशक हर्षद की राय पर कंपनियों में पैसा डालने लगे. कुछ ही सालों में ब्रोकर हर्षद की इमेज बिजनेस टाइकून में बदल गई और वह करोड़ों कमाने लगा. इन सबके बीच एक सवाल था कि आखिर वह इतने कम समय में इतना पैसा कैसे कमा रहा था. साल 1992 आया और नामी पत्रकार सुचेता दलाल ने हर्षद मेहता के कारोबार के बारे में भंडाफोड़ कर दिया.

Also Read: ACC और Ambuja में हिस्सेदारी बेचेगा Adani ग्रुप, अगले हफ्ते आएगा खुला ऑफर

रिपोर्टर सुचेता दलाल

हर्षद मेहता का स्कैम उजागर करने वाली रिपोर्टर सुचेता के मुताबिक, हर्षद पहले बैंक रसीद (बीआर) बनवाता और बैंक से पैसा उठाकर शेयर मार्केट में डाल देता. जब उसे दूसरे शेयर से मुनाफा होता तो बैंकों को पैसा लौटा देता था. इसके अलावा उसने कई सारी तकनीकी खामियों का फायदा उठाकर बैंकों की जमा पूंजी शेयर बाजार में लगा दी, इस पूरी प्रक्रिया में कुछ बैंक कर्मचारियों की भी मिलीभगत थी. जब खुलासा हुआ तो सभी बैंकों ने हर्षद से पैसा वापस मांग लिया और शेयर मार्केट बुरी तरह टूट गया.

प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव को 1 करोड़ की घूस देने का आरोप

इस मामले में मोड़ तब आया जब साल 1993 में उसने प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव को 1 करोड़ की घूस देने का आरोप लगाया. हालांकि, इस पूरे मसले को सरकार और बाद में सीबीआई जांच ने भी सिरे से नकार दिया. इसके बाद उसे एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने 5 साल की सजा सुनाई और 25 हजार का जुर्माना लगाया. थाणे जेल में बंद हर्षद मेहता को 31 दिसंबर, 2001 को अचानक सीने में दर्द उठा और जब उसे सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया तो वहां उसकी मौत हो गई.

Also Read: Scam 1992 The Harshad Mehta Story Review: 1992 के सबसे बड़े घोटाले की कहानी… यहां पढ़ें रिव्‍यू

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें