नयी दिल्ली : सीबीआई की विशेष अदालत ने आज कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले में एक अहम फैसला सुनाते हुए झारखंड इस्ताप प्राइवेट लिमिटेड (जेआईपीएल) के दो निदेशकों आरएस रुंगटा और आर सी रुंगटा को दोषी ठहराया है. सीबीआई के विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने 21 मार्च को मामले में फैसला सुनाने के लिए 28 मार्च की तारीख तय की थी. सजा से पहले 31 मार्च को इस पर बहस की तारीख तय कीगयी है. कोयला ब्लॉक आबंटन घोटाला मामले में यह पहला प्रकरण है, जिसमें विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाया है. विशेष अदालत कोयला घोटाला मामले से जुड़े सभी पहलुओं को देख रही है.
कोर्ट ने दोनों निदेशकों को कोल ब्लॉक लेने के लिए गलत और फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करने का दोषी ठहराया है. सीबीआई का आरोप है कि जेआईपीएल और तीन अन्य कंपनियों के मेसर्स इलेक्ट्रो स्टील कास्टिंग लिमिटेड, मेसर्स आधुनिक एलॉयज एंड पावर लिमिटेड और मेसर्स पवनजय स्टील तथा पावर लिमिटेड को संयुक्त रूप से धादू कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए. लेकिन न तो जांच समिति ने आवेदनकर्ता कंपनी के दावे का सत्यापन किया और न ही राज्यमंत्री (एमओएस) ने आवेदनकर्ता कंपनियों के आकलन के लिए कोई तौर-तरीके अपनायें. अदालत ने इन पर आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के आरोप में मुकदमा चलाया है.
कोयला घोटाले मामले में कब क्या हुआ
वर्ष 2013 : सीबीआइ ने झारखंड इस्पात निगम लिमिटेड और अन्य के खिलाफ दादू कोल ब्लॉक आवंटन के मामले में मामला दर्ज किया.
वर्ष 2014 : सीबीआइ ने आइपीसी की धारा के तहत साजिश रचने, फर्जीवाड़ा और धोखधड़ी के मामले में झारखंड इस्पात निगम लिमिटेड, आरएस रुंगटा, आरसी रुंगटा, रामावतार केडिया और नरेश महतो के खिलाफ मामला दर्ज किया.
18 दिसंबर 2014 : अदालत ने सीबीआइ की चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सभी आरोपियों को 14 जनवरी 2015 को समन जारी किया.
14 जनवरी 2015 : कोर्ट ने रुंगटा बंधुओं को जमानत दे दी. सीबीआइ ने अदालत को कहा कि इस मामले के आरोपी रामावतार केडिया और नरेश महतो की मौत हो चुकी है.
फरवरी : अदालत ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ लगाये गये आरोपों पर सुनवाई शुरू की.
9 मार्च : अदालत ने झारखंड इस्पात निगम लिमिटेड और रुंगटा बंधुओं के खिलाफ धारा विभिन्न धाराओं के मामला चलाने का आदेश दिया.
16 मार्च : रंगटा बंधुओं ने खुद को निर्दोष बताया.
3 जून : अदालत ने इस मामले में सबूताें की मांग की.
30 अक्तूबर : अदालत ने सीबीआइ के 39 गवाहों के बयान दर्ज किये.
21 नवंबर : गवाहों के बयान दर्ज करने की समयसीमा खत्म.
26 नवंबर : आरएस रुंगटा ने अपने पक्ष में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह और पूर्व कोयला मंत्री दासरी नारायण राव को गवाह के तौर पर बुलाने की मांग की.
8 दिसंबर : अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री को गवाह के तौर पर बुलाने का फैसला सुरक्षित रखा.
23 दिसंबर : अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री को गवाह के तौर पर बुलाने की मांग खारिज कर दी.
21 जनवरी 2016 : अदालत ने बचाव पक्ष के गवाहों की बयान दर्ज करने का मामला खत्म हुआ.
11 फरवरी : इस मामले में अंतिम सुनवाई शुरू.
22 फरवरी : अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा.
28 मार्च : अदालत ने झारखंड इस्पात निगम लिमिटेड और रुंगटा बंधुओं को दोषी करार दिया.
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