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PMI : नवंबर में बढ़ी देश के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां, लेकिन रफ्तार में धीमापन बरकरार

नयी दिल्ली : देश में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में नवंबर में थोड़ा सुधार हुआ, लेकिन नये ऑर्डर और उत्पादन में गहमा-गहमी की कमी से कुल मिलाकर इस क्षेत्र की वृद्धि दर अभी धीमी बनी हुई है. औद्योगिक क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित मासिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है. आईएचएस मार्किट इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग का […]

नयी दिल्ली : देश में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में नवंबर में थोड़ा सुधार हुआ, लेकिन नये ऑर्डर और उत्पादन में गहमा-गहमी की कमी से कुल मिलाकर इस क्षेत्र की वृद्धि दर अभी धीमी बनी हुई है. औद्योगिक क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित मासिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है. आईएचएस मार्किट इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग का परचेजिंग मैनेजर्स सूचकांक (पीएमआई) नवंबर में बढ़कर 51.2 रहा. अक्टूबर में पीएमआई 50.6 अंक पर दो वर्ष के न्यूनतम स्तर पर था. सूचकांक का 50 से ऊपर होना उत्पादन में विस्तार का सूचक है. विनिर्माण क्षेत्र का पीएमआई लगातार 28वें महीने 50 अंक से ऊपर है.

नवबंर के सूचकांक से लगता है कि विनिर्माण क्षेत्र की हालत में हल्का सुधार जरूर हुआ है. सोमवार को जारी पीएमआई सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर में हालांकि विनिर्माण क्षेत्र की हालत सुधरी है, लेकिन इस क्षेत्र की गतिविधियां इस वर्ष के शुरू के महीनों की तुलना में अभी धीमी बनी हुई हैं. आईएचएस मार्किट की प्रधान अर्थशास्त्री पोलियाना डी लीमा ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर अक्टूबर में हल्की पड़ने के बाद नवंबर में उत्साहजनक रूप से तेज हुई है, लेकिन अब भी कारखानों के ऑर्डर, उत्पादन और निर्यात में बढ़ोतरी 2019 के शुरू की तुलना में बहुत पीछे है.

उन्होंने कहा कि इसके पीछे मुख्य कारण मांग में कुल मिला कर नरमी का होना है. रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर में कंपनियों द्वारा बाजार में नये उत्पादों की प्रस्तुति, मांग में अपेक्षाकृत सुधार और प्रतिस्पर्धा का दबाव कम हरने से इस क्षेत्र की गतिविधियां सुधरीं, लेकिन कंपनियां का आगे के बाजार को लेकर आत्मविश्वास का स्तर कम है, जो दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था को लेकर कुछ अनिश्चिताएं बनी हुई हैं.

लीमा के अनुसार, कंपनियों ने डेढ़ साल में पहली बार छंटनी की और कच्चे माल की खरीद में कटौती का एक और दौर शुरू किया. नवंबर में कच्चे मालों और विनिर्मित उत्पादों पर आधारित मुद्रास्फीति में केवल हल्की वृद्धि रही. लीमा ने कहा कि पीएमआई डेटा लगातार दर्शाता आ रहा है कि विनिर्माण क्षेत्र पर अभी मुद्रास्फीति (महंगाई) का दबाव नहीं है. इसके साथ-साथ, आर्थिक वृद्धि दर में धीमेपन को देखते हुए लगता है कि भारतीय रिजर्व बैंक अभी ब्याज दर नीति को नरम बनाये रखेगा.

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की द्वैमासिक समीक्षा 5 दिसंबर को आनी है. इसमें यदि वह अपनी ब्याज दर में कटौती करता है, तो वह नीतिगत दर में लगातार छठी कटौती होगी. आरबीआई वर्ष 2019 में अब तक रेपो रेट कुल मिलाकर 1.35 फीसदी कम कर चुका है. इस समय यह दर 5.15 फीसदी है.

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