नयी दिल्ली : दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनियों को गुरुवार को उस समय बड़ा झटका लगा, जब सुप्रीम कोर्ट ने उनसे करीब 92,000 करोड़ रुपये की समायोजित सकल आय की वसूली के लिए केंद्र की याचिका स्वीकार कर ली. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति एमआर शाह की तीन सदस्यीय पीठ ने दूरसंचार विभाग द्वारा तैयार की गयी समायोजित सकल आय की परिभाषा बरकरार रखी है.
पीठ ने कहा कि हमने व्यवस्था दी है कि समायोजित सकल आय की परिभाषा बरकरार रहेगी. इस संबंध में निर्णय के मुख्य अंश पढ़ते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि हम दूरसंचार विभाग की याचिका को स्वीकार करते हैं, जबकि कंपनियों की याचिका खारिज करते हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने दूरसंचार कंपनियों की सभी दलीलों को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने साफ किया कि कंपनियों को दूरसंचार विभाग को जुर्माना और ब्याज की रकम का भुगतान भी करना होगा.
पीठ ने स्पष्ट किया कि इस मामले मे आगे और कोई कानूनी वाद की अनुमति नहीं होगी. इसके अलावा, वह समायोजित सकल आय की गणना और कंपनियों को उसका भुगतान करने के लिए समयसीमा तय करेगी. केंद्र ने जुलाई में शीर्ष अदालत से कहा था कि भारती एयरटेल, वोडाफोन जैसी प्रमुख निजी दूरसंचार कंपनियों और सरकार के स्वामित्व वाली एमटीएनएल और बीएसएनएल पर उस दिन तक 92,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि लाइसेंस शुल्क के रूप में बकाया है.
दूरसंचार विभाग ने न्यायालय में दाखिल हलफनामे में कहा था कि गणना के अनुसार एयरटेल पर 21,682.71 करोड़ रुपये लाइसेंस शुल्क के बकाया थे. इसी तरह वोडाफोन पर 19,823.71 करोड़ रुपये और रिलायंस कम्युनिकेशंस पर 16,456.47 करोड़ रुपये बकाया था. हलफनामे में यह भी कहा गया था कि बीएसएनएल पर 2,098.72 करोड़ रुपये और एमटीएनएल पर 2,537.48 करोड़ रुपये बकाया है.
हलफनामे के अनुसार, इन सभी दूरसंचार कंपनियों से कुल 92,641.61 करोड़ उस दिन तक वसूल करना था. नयी दूरसंचार नीति के अनुसार, दूरसंचार लाइसेंसधारकों को अपनी समायोजित सकल आय का कुछ प्रतिशत सालाना लाइसेंस शुल्क के रूप में सरकार को देना होगा. इसके अलावा, मोबाइल संचार सेवा प्रदाताओं को उन्हें आवंटित स्पेक्ट्रम की रेडियो फ्रीक्वेंसी के उपयोग के लिए ‘स्पेक्ट्रम उपायोग शुल्क’ का भी भुगतान करना होता है.
दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. अपीलीय न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में कहा था कि किराया, अचल संपत्ति की बिक्री पर लाभ, लाभांश और प्रतिभूति से होने वाली आमदनी जैसे गैर-संचार राजस्व को समायोजित सकल आय माना जायेगा, जिस पर उन्हें सरकार को लाइसेंस शुल्क का भुगतान करना होगा.
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