मुंबई : एयर इंडिया कर्मचारियों एवं अधिकारियों की दर्जन भर से अधिक यूनियनों ने अपनी नौकरियों की चिंता को लेकर वित्तीय संकट से जूझ रही एयरलाइन को बेचने की सरकार की दूसरी कोशिश का सोमवार को कड़ा विरोध किया. यूनियन से जुड़े सूत्रों ने प्रबंधन के साथ बैठक के बाद यह जानकारी दी. बजट की घोषणाओं के बाद तत्काल हरकत में आये एयर इंडिया के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने शुक्रवार को ही निजीकरण की योजना पर चर्चा को लेकर सोमवार को तीनों यूनियनों की बैठक बुलायी.
इसे भी देखें : घाटे में चल रही एयर इंडिया के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू, 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी सरकार
मीडिया में चल रही खबरों में कहा गया है कि सरकार ने प्रक्रिया पूरी करने के लिए अक्टूबर तक की समयसीमा तय की है. यूनियन के एक पदाधिकारी ने प्रबंधन के साथ बैठक खत्म होने के बाद नयी दिल्ली से फोन पर बताया कि 13 यूनियनों के मंच ने निजीकरण के विरोध का फैसला किया है. सूत्र ने बताया कि करीब दो घंटे तक चली बैठक के बाद विभिन्न यूनियनों के प्रतिनिधियों ने प्रबंधन को बताया कि वे एयरलाइन के कायापलट के लिए कुछ भी करने को तैयार है, लेकिन किसी भी कीमत पर निजीकरण को स्वीकार नहीं करेंगे.
इससे पहले, मोदी सरकार-I ने भी एयरलाइन कारोबार से निकलने की कोशिश की थी, लेकिन खरीदार नहीं मिलने के कारण उसे अपना फैसला टालना पड़ा था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने बजट पेश करते हुए कहा कि वर्तमान वृहद आर्थिक मानकों को देखते हुए सरकार ना सिर्फ एअर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया फिर से शुरू करेगी, बल्कि अन्य केंद्रीय उद्यमों में निजी क्षेत्र की भागीदारी की पेशकश करेगी.
एयर इंडिया के कर्मचारियों की यूनियन लगातार कंपनी के निजीकरण का विरोध करते रहे हैं. किंगफिशर और जेट एयरवेज का उदाहरण देते हुए उनका कहना है कि निजीकरण इस समस्या का समाधान नहीं है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.