नौकरीपेशा लोग हर महीने कर्मचारी भविष्य निधि (इपीएफ) में कुछ रकम अंशदान के रूप में जमा कराते हैं. इपीएफ में जमा रकम रिटायरमेंट के बाद के लिए होती है और यह पैसा उसी वक्त निकालना चाहिए. लेकिन अगर कभी आप ऐसी हालात में फंसें कि आपको अचानक पैसे की जरूरत आ पड़े तो इपीएफ की रकम आप पहले भी निकाल सकते हैं. लेकिन, आप पैसा तभी निकाल सकते हैं, जब आप कम से कम पांच सालों से इपीएफ के सदस्य हों. इसके पूर्व निकासी, नौकरी छोड़ने पर ही की जा सकती है, पर तब खाता समाप्त हो जायेगा. इपीएफ खाते से निकासी करने के कुछ नियम हैं, जिनमें यह तय किया गया है कि आप किन स्थितियों में और किन शर्तो को पूरा करने पर पैसा निकाल सकते हैं. आइए, इन स्थितियों व नियमों के बारे में जानते हैं :
1. घर बनाने या खरीदने तथा आवासीय भूखंड खरीदने के लिए : 36 महीनों के मूल वेतन व महंगाई भत्ते या आपके अंशदान (नियोक्ता के अंशदान व ब्याज समेत) या निर्माण के खर्च/भूखंड की कीमत में से जो सबसे कम हो, कम से कम उतनी राशि मिलेगी. यह नौकरी की पूरी अवधि में एक बार की जा सकनेवाली आंशिक निकासी है. इसके लिए कम से कम पांच साल की सदस्यता जरूरी है.
2. राज्य सरकार, पंजीकृत सहकारी समिति, राज्य हाउसिंग बोर्ड, राष्ट्रीयकृत बैंक और सरकार वित्तीय संस्थानों का आवास ऋण (होम लोन) चुकाने के लिए : इस मकसद से निकाली जा सकनेवाली राशि ऊपरवाले मामले के समान होगी. यह भी सेवाकाल के दौरान सिर्फ एक बार की जा सकनेवाली आंशिक निकासी है. इसके लिए कम से कम 10 साल की सदस्यता जरूरी है.
3. अपनी या अपने बच्चों की शादी के लिए, बच्चों की उच्च शिक्षा (मैट्रिक से ऊपर की) के लिए : निकासी की राशि अंशदान और ब्याज की राशि के 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती. इस तरह की निकासी पूरे सेवाकाल में तीन बार की जा सकती है. पहली निकासी के लिए कम से कम इपीएफ की सात साल की सदस्यता जरूरी है.
4. अपने या अपने परिवार के किसी सदस्य के टीबी, कुष्ठ, लकवा, कैंसर, मानसिक रोग, हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज या किसी बड़ी सजर्री के लिए : बीमार का कम से कम एक महीना अस्पताल में भरती रहना जरूरी है. निकासी की राशि अधिकतम छह महीने के मूल वेतन व महंगाई भत्ते या संचित अंशदान व ब्याज (इनमें से जो कम हो) के बराबर होगी. न्यूनतम सेवाकाल की कोई बाध्यता नहीं है. यह निकासी कितनी भी बार की जा सकती है.
5. शारीरिक विकलांग व्यक्ति द्वारा अपनी अक्षमता कम करने के लिए उपकरण खरीदने के वास्ते : इस स्थिति में निकासी की राशि अधिकतम छह महीने के मूल वेतन व महंगाई भत्ते या संचित अंशदान व ब्याज या उपकरण की कीमत (इनमें से जो कम हो) के बराबर होगी.
6. सेवानिवृत्ति से एक साल पहले : आप 90 फीसदी पैसा निकाल सकते हैं. लेकिन, निकासी के समय कर्मचारी की उम्र कम से कम 54 साल होनी चाहिए. इसके अलावा देश से बाहर काम पर जाने या बसने और नौकरी छोड़ने की स्थिति में कभी भी पूरी निकासी की जा सकती है.
समय-पूर्व निकासी पर कर
लेकिन अगर निकासी पांच साल से पहले की जाती है, तो आयकर के लिहाज से इसका निम्नलिखित असर होगा :
क. कर्मचारी के अंशदान पर आयकर कानून की धारा 80सी के तहत जितनी छूट मिली है, उतनी आय को निकासी के साल में करयोग्य माना जायेगा.
ख. मूल वेतन के 12 फीसदी तक नियोक्ता के अंशदान को वेतन की आय के रूप में करयोग्य माना जायेगा.
ग. इपीएफ खाते में इकट्ठा हुए ब्याज पर अन्य स्नेत से आमदनी के रूप में आयकर देना होगा. निकासी पर कर से छूट मिल सकती है, अगर कर्मचारी की नौकरी पांच साल से पूर्व खराब स्वास्थ्य या ऐसे कारण से गयी हो जिस पर उसका बस न हो. अगर आप पुराने इपीएफ खाते से नये नियोक्ता के जरिये खुले इपीएफ खाते में पैसा ट्रांसफर करा लेते हैं, तो भी आप आयकर से बच सकते हैं. इसलिए अगर आपने पांच साल से पहले नौकरी बदली हो, तो पैसा निकालने के बजाय उसे ट्रांसफर ही करायें.
निकाली गयी रकम की भरपाई
इपीएफ से निकासी से बचना चाहिए. इसे अंतिम विकल्प के रूप में ही देखना चाहिए. याद रखें, इपीएफ आपके रिटायरटमेंट का सहारा है, बहुत जरूरी नहीं होने पर सेवाकाल में इसमें से कोई निकासी नहीं करें. लेकिन अगर आपको निकासी करनी ही पड़ी है, तो आपको अपने इपीएफ से निकाली गयी रकम की भरपाई के विकल्प पर भी सोचना चाहिए. जी हां, इसकी भरपाई के लिए आप अपनी इच्छा से हर महीने कुछ रकम स्वैच्छिक भविष्य निधि (वीपीएफ) में जमा करा सकते हैं. यह रकम पीएफ के रूप में काटी जा रही रकम के अतिरिक्त होगी. कुछ सालों के बाद आपने जो पैसा पीएफ से निकाला था, स्वैच्छिक भविष्य निधि के जरिये जमा हो रही रकम उसकी भरपाई कर देगी और आपकी बचत फिर से ठीकठाक हो जायेगी.
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