नयी दिल्ली :किसानों को आय बढ़ाने के लिए परंपरागत मोटे अनाजों की खेती से परहेज करना होगा. आंकड़े बताते हैं कि फल-सब्जियों ने किसानों को मोटे अनाजों की तुलना में बेहतर रिटर्न दिया है. किसानों को वर्ष 2011-12 से 2015-16 के बीच फल-सब्जियों के उत्पादन पर बेहतर रिटर्न मिला है. पांच साल में फल-सब्जियों के दाम बढ़े हैं, जिससे किसानों को अधिक फायदा मिला.
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक मोटे अनाज पर अधिक लाभ नहीं मिला. फल-सब्जियों का उत्पादन मूल्य के हिसाब से 2011-12 के "2.71 लाख करोड़ से बढ़कर 2015-16 में 3.17 लाख करोड़ हो गया. ‘कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के प्रोडक्शन का मूल्य 2011-12 से 2015-16′ शीर्षकवाली रिपोर्ट में कहा कि मोटे अनाज, तिलहन रेशा समूहों का उत्पादन मूल्य मामूली रूप से घटा.
मोटे अनाजों से घाटा
2011-12 3.36 लाख करोड़
2012-13 3.31 लाख करोड़
2013-14 3.40 लाख करोड़
2014-15 3.26 लाख करोड़
2015-16 3.25 लाख करोड़
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