नयी दिल्ली : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन इपीएफओ बेरोजगारी के दौरान कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा देने की योजना पर विचार कर रहा है. अगर ऐसा हुआ तो कर्मचारी नौकरी छूटने के बाद भी पीएफ में जमा पूरा पैसै नहीं निकाल पाएंगे. इपीएफओ ने इसके लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है जिसके मुताबिक उसके सदस्य कुल 60 फीसदी ही राशि निकाल पाएंगे. अगर इस प्रस्ताव को सरकार की हरी झंडी मिलती है तो कुछ मामलों में सदस्य केवलतीन महीने के वेतन के बराबर ही पीएफ निकाल पाएंगे. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के प्रस्ताव को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.
तीन महीने की राशि भी कर्मचारी कम से कम एक महीने बेरोजगार रहने के बाद ही निकाल सकेंगे. शेष राशि कर्मचारी के रिटायरमेंट के बाद ब्याज समेत उसके बैंक खाते में डाल दी जाएगी. पीएफ सदस्यों की सदस्यता कायम रखने और सामाजिक सुरक्षा की जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से यह प्रस्ताव रखा गया है. मौजूदा नियम के अनुसार, सदस्यों को नौकरी छोड़ने केदो महीने बाद पीएफ की पूरी राशि निकालने की अनुमति है.
इस बारे में इपीएफओ का कहना है की रिटायरमेंट के पूर्व ही बहुत सारे कर्मचारी बड़ी संख्या में पीएफ की निकासी कर लेते हैं. इससे उनकी सदस्यता जल्दी ही खत्म हो जाती है और परिवार की सामाजिक सुरक्षा काफी प्रभावित होती है. इस प्रस्ताव का मकसद बेरोजगारी के समय सामाजिक सुरक्षा की जरूरतों को पूरा करना है.इपीएफओ सूत्रों केअनुसार,अभी निकासी दावे में80प्रतिशत ऐसेमामले होते हैं जो परिपक्व नहीं हुए हैं.
मौजूदा नियम में बेरोजगार होने की स्थिति में अग्रिम राशि निकालने का प्रावधान नहीं है. इस वजह से सदस्य सामाजिक सुरक्षा की पूरी राशि निकाल लेते हैं. लेकिन, नये नियम बनने से वे एक महीने तक बेरोजगार रहने पर तीन महीने की राशि निकाल सकेंगे. अभी सदस्यों को नौकरी छोड़ने के दो महीने बाद पूरी राशि निकालने की अनुमति है.
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