नयी दिल्ली : इंटरनेट एक आम इंसान के जीवन में क्या बदलाव ला सकता है, इसकी एक बानगी केरल के एर्णाकुलम रेलवे स्टेशन पर दिखी. यहां एक कुली श्रीनाथ के के सरकारी नौकरी करने के ख्वाब को रेलवे के मुफ्त वार्इ-फार्इ सेवा ने पंख दिये और अब वह केरल लोक सेवा आयोग की लिखित परीक्षा उत्तीर्ण कर चुका है. श्रीनाथ यदि आयोग के साक्षात्कार को उत्तीर्ण कर लेते हैं, तो उन्हें भू-राजस्व विभाग में ग्राम सहायक का पद मिल सकता है.
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केरल के ही मुन्नार के रहने वाले श्रीनाथ के पिछले पांच साल से एर्णाकुलम स्टेशन पर कुलीगिरी कर रहे हैं. मुन्नार के पास मौजूद इस सबसे बड़े रेलवे स्टेशन पर कुलीगिरी कर अपनी आजीविका चलाने वाले श्रीनाथ ने खुद के लिए अच्छे दिनों की चाहत में स्टेशन पर उपलब्ध मुफ्त वाई-फाई का लाभ लेना शुरू किया. आज इसी का नतीजा है कि अब उन्हें साक्षात्कार उत्तीर्ण कर लेने की उम्मीद है. इसके बाद उन्हें सरकारी नौकरी मिल सकती है.
आम तौर पर सिविल सेवा की तैयारी करने वाले छात्रों के पास हम किताबों के ढेर देखने के आदी हैं, लेकिन श्रीनाथ ने दिखाया कि सरकार के ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान के तहत लगाये गये इस मुफ्त वाई-फाई का सकारात्मक उपयोग कैसे किया जा सकता है. 10वीं पास श्रीनाथ अपनी कुलीगिरी के दौरान ही अपने मोबाइल फोन पर पढ़ने की सामग्री, शिक्षकों के लेक्चर इत्यादि को चालू कर बस ईयरफोन को अपने कान में लगा लेते. यहां तक कि वह इस दौरान अपने शिक्षकों से बातचीत भी कर लेते और अपनी शंकाएं भी दूर कर लेते. फिर क्या चलते-फिरते आैर लोगों का सामान इधर से उधर ढोते वक्त ही वह अपनी पढ़ाई पूरी कर लेते.
श्रीनाथ ने बताया कि मैं पहले तीन बार परीक्षा में बैठ चुका हूं, लेकिन इस बार मैंने पहली बार स्टेशन के वाई-फाई का उपयोग अपनी पढ़ाई के लिए किया. मैं बस अपने ईयरफोन कान में लगाकर अपनी पठन सामग्री सुनता रहता. फिर लोगों का सामान इधर-उधर पहुंचाने के दौरान दिमाग में ही अपने सवाल हल करता. इस तरह मैं काम के साथ-साथ पढ़ाई भी कर सका. इसके बाद जब रात को मुझे समय मिलता, तो मैं अपनी पढ़ाई को दोहरा लेता.
गौरतलब है कि एर्णाकुलम स्टेशन पर 2016 में मुफ्त वाई-फाई की सेवा शुरू की गयी थी. रेलटेल काॅरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के खुदरा ब्रांडबैंड वितरण मॉडल रेलवायर के तहत यात्रियों को स्टेशन पर मुफ्त इंटरनेट उपलब्ध कराया जाता है. श्रीनाथ ने कहा कि स्टेशन पर उपलब्ध वाई-फाई सेवा ने उनके लिए अवसरों के नये द्वार खोले. पहले उन्होंने इस बारे में सोचा भी नहीं, लेकिन इससे उन्हें अपने अभ्यास प्रश्नपत्रों को सुलझाने एवं परीक्षा के ऑनलाइन आवेदन इत्यादि करने में तो मदद मिली ही, साथ ही किताबें खरीदने पर होने वाला उनका एक बड़ा खर्च भी बच गया.
इसके अलावा उन्होंने डी समूह की रेलवे की कई अन्य सरकारी नौकरियों के लिए भी आवेदन दिया है. ख्वाबों की नौकरी के बारे में पूछने पर श्रीनाथ ने कहा कि मेरी आदर्श नौकरी क्या है? शायद कुछ अधिकारों वाला एक व्यक्ति जिससे मैं अपने गांव में कुछ बदलाव ला सकूं.
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